Independence Day 2023: कौन थीं अरुणा आसफ अली, जिन्होंने भारत छोड़ो आंदोलन में निभाई थी अहम भूमिका

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Aug 14, 2023, 06:17 PM IST

Aruna Asaf Ali

Who is Aruna Asaf Ali: अरुणा ने शिक्षा के जरिए महिलाओं के उत्थान में अहम भूमिका निभाई. आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि एक छोटे से बंगाली परिवार में जन्म लेने वाली लड़की ने आजादी के लिए क्या किया है...

डीएनए हिंदी: देश आजादी के लिए कई महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है. देश की आजादी के वीरों में अरुणा आसफ अली का नाम भी दर्ज है. उन्होंने 9 अगस्त 1942 को भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान गोवालिया टैंक मैदान बांबे में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज को उन्होंने फहराया. 1942 के आंदोलन के दौरान उनकी बहादुरी के लिए उन्हें एक नायिका का दर्जा दिया गया. स्वतंत्रता आंदोलन में उन्हें ग्रैंड ओल्ड लेडी के नाम से संबोधित किया गया. इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर हम आपको अरुणा आसफ अली के बारे में बताएंगे, उन्होंने कैसे भारत छोड़ो आंदोलन में अहम भूमिका निभाई थी.

कब और कहां हुआ था अरुणा आसफ़ अली का जन्म?

अरुणा आसफ़ अली देश की आजादी में अपना योगदान देने वाली कई बहादुर महिलाओं में से एक हैं. अरुणा का जन्म 16 जुलाई 1909 में कालका नामक स्थान में हुआ था, जो पहले पंजाब का और अब हरियाणा का हिस्सा है.उनका असली नाम अरुणा गांगुली था और वह ब्राह्मण बंगाली परिवार से थीं. अरुणा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा नैनीताल से पूरी की थी. उन्होंने कलकत्ता के गोखले मेमोरियल स्कूल में एक शिक्षक के रूप में शुरुआत की. वह बचपन से ही तेज़ बुद्धि, पढ़ाई लिखाई में चतुर और कक्षा में अव्वल आने वाली छात्रा थीं.

नमक सत्याग्रह आंदोलन में भी हुई थी शामिल 

अरुणा ने 1928 में अपनी उम्र से 21 साल बड़े इलाहाबाद कांग्रेस पार्टी के नेता आसफ अली से प्रेम विवाह किया था. जिसका उनके घर में काफी विरोध भी हुआ था. शादी के बाद ही वह कांग्रेस की सक्रिय सदस्य बन गईं. वह आजादी के आंदोलनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लेने लगी. उन्हें पहली बार 1930 में नमक सत्याग्रह में भाग लेने के लिए गिरफ्तार किया गया था. पुलिस ने उन पर खतरनाक होने का आरोप लगाया. जिसकी वजह से उन्हें जेल से रिहा होने में वक्त लगा. 8 अगस्त 1942 को ऑल इंडिया कांग्रेस कमेटी ने भारत छोड़ो आंदोलन का प्रस्ताव पारित किया. ब्रिटिश सरकार के खिलाफ कांग्रेस सदस्यों कि इस प्रस्ताव के चलते उन्हें गिरफ्तार करने का आदेश हो गया. अरुणा आसफ अली ने 9 अगस्त को गोवालिया टैंक मैदान मुंबई में कांग्रेस का झंडा फहराया. 1942 के आंदोलन के दौरान उनकी बहादुरी के लिए उन्हें नायिका का दर्जा दिया गया. अरुणा ने शिक्षा के जरिए महिलाओं के उत्थान में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने अपनी साप्ताहिक पत्रिकाओं 'वीकली' और समाचार पत्र 'पैट्रियट' के माध्यम से महिलाओं की ज़िंदगी में बदलाव लाने का प्रयास किया.

इन पुरस्कारों से किया गया सम्मानित

देश को आजादी मिलने के बाद अरूणा आसफ अली कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी की सदस्य बन चुकी थी.  1950 की बात वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हो गई. 1958 में अरुणा दिल्ली की पहली मेयर चुनी गई. 1975 में आपातकाल के दौरान वह इंदिरा और राजीव गांधी की करीबी बनी रही. 29 जुलाई 1996 को 87 वर्ष की आयु में उनकी मृत्यु हो गई. वहीं, अगर पुरस्कारों की बात करें तो उन्हें 1965 में  अंतरराष्ट्रीय लेनिन पुरस्कार, 'ऑर्डर ऑफ़ लेनिन', जवाहरलाल नेहरू पुरस्कार, पद्म विभूषण और मृत्यु उपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Happy Independence Day 2023 Independence Day 2023 India Independence Day 2023 Hindi News DNA Hindi