State Foundation Day: 1 नवंबर को बने थे ये 8 राज्य और पांच केंद्र शासित प्रदेश, पढ़ें पूरी कहानी

Written By नीलेश मिश्र | Updated: Nov 01, 2023, 12:02 PM IST

Indian States

State Organization Act: आज देश के कई राज्य अपना स्थापना दिवस एकसाथ मना रहे हैं. क्या आप जानते हैं कि 1 नवंबर की तारीख इतनी अहम क्यों है?

डीएनए हिंदी: आजादी से पहले भारत देश अलग-अलग रियासतों और प्रांतों में बिखरा हुआ था. आजादी मिलते ही एकीकरण का काम शुरू किया गया. शुरुआत में सिर्फ 14 राज्य बनाए गए थे. अब यह संख्या 28 राज्यों और 8 केंद्र शासित प्रदेशों तक पहुंच गई है. समय के साथ-साथ अलग-अलग वजहों से राज्यों का पुनर्गठन होता रहा. कुछ नए राज्य बने, कुछ की सीमाएं बदलीं, कुछ का विभाजन हुआ और कुछ के दर्जे में बदलाव हुआ. पूर्वोत्तर के कई राज्य पहले केंद्र शासित प्रदेश थे और अब वे पूर्ण राज्य हैं. वहीं, जम्मू-कश्मीर अब लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बंट गया है. इसमें से लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश है तो जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश. राज्यों के पुनर्गठन में एक अहम तारीख है 1 नवंबर. यह तारीख 8 राज्यों और पांच केंद्र शासित प्रदेशों के स्थापना दिवस के तौर पर मशहूर है.

शुरुआत में जैसे-तैसे करके राज्यों का गठन किया गया था. जरूरत महूसस की गई थी कि राज्यों का गठन किसी ठोस आधार पर होना चाहिए इसीलिए भारत सरकार ने 1948 में इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज एस के धर की अगुवाई में भाषा के आधार पर राज्यों के गठन के लिए एक आयोग बनाया. इस आयोग ने कहा कि भाषा के बजाय प्रशासनिक सुविधा, भौगोलिक और ऐतिहाक कारणों को वरीयता दी जाए.

ना चाहते हुए भी भाषा के आधार पर बने राज्य
इसके बाद दिसंबर 1948 में जेवीपी कमेटी बनाई गई. जहां जेवीपी का मतलब जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल और पट्टाभि सीतारमैया था. इस समिति ने भी भाष के आधार पर राज्यों की गठन के प्रस्ताव को खारिज किया. हालांकि, आंध्र प्रदेश का गठन भाषा के आधार पर ही करना पड़ा क्योंकि श्रीरामुलु ने 56 दिन की भूख हड़ताल की और उनकी मौत हो गई.

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आंध्र प्रदेश के गठन के बाद भाषायी आधार पर राज्य बनाने की मांग जोर पकड़ने लगी और प्रदर्शन होने लगे. तत्कालीन प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने इस बार फजल अली की अध्यक्षता में एक आयोग बनाया. इस आयोग ने 1955 में अपनी रिपोर्ट दी. कमेटी ने सुझाव दिया था कि पूरे भारत को कुल 16 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा जाए. आखिर में देश में कुल 14 राज्य और 6 केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए.

इसी राज्य पुनर्गठन कानून की बदौलत 1 नवंबर 1956 को आंध्र प्रदेश (अब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना), असम, बिहार, उड़ीसा, मैसूर (अब कर्नाटक), मद्रास (अब तमिलनाडु), मध्य प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, बंबई (बाद में महाराष्ट्र और गुजरात), बिहार, केरल, पंजाब, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश का गठन किया गया. इनमें से कुछ राज्य पहले से ही बने हुए थे. इन 14 राज्यों के साथ छह केंद्र शासित प्रदेश दिल्ली, हिमाचल प्रदेश, मणिपुर, त्रिपुरा, लक्षद्वीप और मिनिकॉय-अमिनदेवी द्वीप का गठन कर दिया गया.

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लगातार बढ़ती रही राज्यों की संख्या
साल 1960 में बंबई के दो हिस्से कर दिए गए. मराठी भाषा वाले राज्य को महाराष्ट्र और गुजराती भाषा वाले राज्य को गुजरात बनाया गया. 1966 में पंजाब को दो भागों में बांट दिया गया. पंजाबी भाषा वाला राज्य पंजाब और हरियाणवी बोलने वाले क्षेत्र को हरियाणा बनाया गया. 1971 में ही हिमाचल प्रदेश को पूर्ण राज्य का दर्जा मिल गया. 1971 से 1972 के बीच नॉर्थ ईस्ट में नए-नए राज्य बने. 1972 में मणिपुर, मेघालय और त्रिपुरा का गठन हुआ. 1975 में सिक्किम, 1987 में गोवा, मिजोरम और अरुणाचल प्रदेश का गठन किया गया.

साल 2000 में उत्तर प्रदेश से अळग होकर उत्तरांचल बना जिसका नाम बाद में उत्तराखंड कर दिया गया. फिर बिहार से अलग होकर झारखंड और मध्य प्रदेश से अलग करके छत्तीसगढ़ का गठन भी इसी साल में हुआ. भारत में सबसे नया राज्य तेलंगाना साल 2014 में बना जिसे आंध्र प्रदेश से अलग किया गया था.

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2019 में जब संविधान के अनुच्छेद 370 को खत्म किया गया तो जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा भी खत्म हो गया. इसी के साथ जम्मू-कश्मीर को लद्दाख और जम्मू-कश्मीर में बांट दिया गया. अब जम्मू-कश्मीर विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश है और लद्दाख बिना विधानसभा वाला केंद्र शासित प्रदेश.

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