'विपक्ष क्यों नहीं ले सकता चंदे की जानकारी?' इलेक्टोरल बॉन्ड पर SC का केंद्र से सवाल

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 01, 2023, 06:17 PM IST

Supreme Court News Hindi today 

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना चुनिंदा गुमनामी और चुनिंदा गोपनीयता रखती है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस योजना के पीछे की सोच सराहनीय है लेकिन यह पूरी तरह से गुमनाम या गोपनीय नहीं है.

डीएनए हिंदी: राजनीतिक पार्टियों को मिलने वाले चुनावी बॉन्ड को लेकर बुधवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी रही. केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पक्ष रखा. उन्होंने इलेक्टोरल बॉन्ड का बचाव करते हुए कहा कि इसकी वजह से राजनीतिक चंदे में पारदर्शिता आई है. पहले नकद में चंदा दिया जाता था. लेकिन अब चंदे की गोपनीयता दानदाताओं के हित में रखी गई है. सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि चंदा देने वाले नहीं चाहते कि उनके दान देने के बारे में दूसरी पार्टी को पता चले. जिससे उनके प्रति दूसरी पार्टी की नाराजगी बढ़े.

इस पर सीजेआई ने कहा कि अगर ऐसी बात है तो फिर सत्ताधारी दल विपक्षियों के चंदे की जानकारी क्यों लेता है? मतलब सरकार किसी के चंदे की जानकारी ले सकती है लेकिन विपक्षी दल यह हक नहीं है. सीजेआई ने सॉलिसिटर जनरल से पूछा, 'क्या सरकार यह सुनिश्चित कर सकती है कि इस योजना में प्रोटेक्शन मनी या बदले में लेन-देन शामिल नहीं होगा? क्या यह कहना गलत होगा कि इस योजना से किकबैक को बढ़ावा मिलेगा.

SBI के पास दानदाता की जानकारी
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि इलेक्टोरल बॉन्ड की योजना चुनिंदा गुमनामी और चुनिंदा गोपनीयता रखती है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि इस योजना के पीछे की सोच सराहनीय है लेकिन यह पूरी तरह से गुमनाम या गोपनीय नहीं है. क्या एसबीआई के पास दानदाता की जानकारी नहीं है. एजेंसियों के लिए भी गोपनीय नहीं है. इसलिए कोई बड़ा दानदाता कभी भी चुनावी बॉन्ड खरीदने का जोखिम नहीं उठाएगा.

ये भी पढ़ें- दिल्ली में डीजल बसों की नो एंट्री, लागू हुआ GRAP-2, जानिए किन-किन चीजों पर लगी पाबंदी 

इसपर SG तुषार मेहता ने कहा कि अगर दानदाता चेक से चंदा देगा तो खुलास हो जाएगा कि उसने किस पार्टी को कितना पैसा दिया. उससे अन्य पार्टियां नाराज हो सकती हैं. इस नाराजगी से बचने के लिए चंदा दाता नकद ही दे देते हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई कल यानी गुरुवार को भी जारी रहेगी.

BJP को 57 और कांग्रेस को 10 प्रतिशत मिला
चुनावी बांड से सभी राजनीतिक दलों को 2021-22 तक कुल 9,188 करोड़ रुपये का चंदा मिला जिसमें अकेले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के हिस्से में 57 प्रतिशत से अधिक चंदा आया, जबकि कांग्रेस को केवल 10 प्रतिशत मिला. एडीआर ने इस संबंध में आंकड़ा जारी किया है. वर्ष 2016-17 और 2021-22 के बीच 7 राष्ट्रीय राजनीतिक दलों एवं 24 क्षेत्रीय राजनीतिक दलों को चुनावी बांड के माध्यम से कुल 9,188.35 करोड़ रुपये का चंदा मिला था. 

उसमें भाजपा को 5,272 करोड़ रुपये मिले जबकि कांग्रेस को 952 करोड़ रुपये मिले. बाकी चंदा अन्य दलों को मिला. सुप्रीम कोर्ट में 5 न्यायाधीशों की एक संविधान पीठ राजनीतिक दलों की राजनीतिक फंडिंग से जुड़ी चुनावी बॉन्ड योजना की वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं सुनवाई कर रही है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफर्म्स (एडीआर) के अनुसार, चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों के चंदे में काफी बढ़ोतरी हुई और वित्तवर्ष 2017-18 और 2021-22 के बीच इसमें 743 प्रतिशत की वृद्धि हुई.

देश-दुनिया की ताज़ा खबरों Latest News पर अलग नज़रिया, अब हिंदी में Hindi News पढ़ने के लिए फ़ॉलो करें डीएनए हिंदी को गूगलफ़ेसबुकट्विटर और इंस्टाग्राम पर.

Electoral Bonds Electoral Bonds to be released Supreme Court central government