ऐन मौके पर क्यों बदलनी पड़ी पीएम मोदी की Tukaram Pagdi, क्या थे वो विवादित शब्द, जानें पूरा मामला

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jun 15, 2022, 12:34 PM IST

पगड़ी पर पहले अभंग की कुछ लाइन लिखी थी. वहीं, देहू संस्थान ने इन लाइंस पर विरोध दर्ज करवाया था जिसके बाद पगड़ी पर लिखे शब्दों को बदला गया.

डीएनए हिंदी: बीते मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) पुणे के देहू शहर में संत तुकाराम महाराज मंदिर के उद्घाटन समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे. यहां मंदिर के उद्घाटन के दौरान पीएम मोदी को एक पगड़ी भेंट की जानी थी लेकिन इससे पहले ही उस पर लिखी पंक्तियों को लेकर विवाद हो गया. बता दें कि यह पगड़ी पीएम मोदी के लिए खास डिजाइन की गई थी. हालांकि, बाद में उस पर लिखी पंक्तियों के चलते उसे बदलना पड़ा.

क्या है पूरा मामला?
पीएम मोदी के लिए स्पेशल पगड़ी मशहूर मुरुदकर जेंडेवाले (Murudkar Zendewale) से बनवाई गई थी. इसका ऑर्डर देहू मंदिर के ट्रस्टी नितिन महाराज मोरे ने दिया था. जानकारी के अनुसार, पगड़ी पर पहले अभंग (भक्ति कविता का रूप) की कुछ लाइन लिखी थी. वहीं, देहू संस्थान ने इन लाइंस पर विरोध दर्ज करवाया था जिसके बाद पगड़ी पर लिखे शब्दों को बदला गया.

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क्यों हुआ विवाद? 
पहले पीएम मोदी के लिए जो पगड़ी बनी थी, उसपर 'भले तरी देऊ कासेची लंगोटी, नाठाळाचे माथी हाणू काठी' लिखा गया था. ये लाइन संत तुकाराम की हैं जिनका मतलब, 'जिनका व्यवहार अच्छा है, उनके साथ अच्छा होगा. वहीं, बुरे आचरण वालों को करारा जवाब मिलेगा.' है. इस पर आपत्ति के बाद नितिन महाराज ने ही पगड़ी पर लिखी पंक्तियों को बदलवा दिया.

बाद में इसे बदलकर 'विष्णुमय जग वैष्णवांचा धर्म, भेदाभेद भ्रम अमंगळ' लिख दिया गया. जानकारी के लिए बता दें कि ये भी अभंग का ही हिस्सा हैं जिसका मतलब 'सारा जगत विष्णुमय है, ये मानना ही वैष्णवों का धर्म है. भेदाभेद और मत-विचार, ये सब केवल अमंगल भ्रम हैं.' है.
 

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