2024 में भारत अपना 78वां स्वतंत्रता दिवस मनाएगा. इस वर्ष की थीम 'Viksit Bharat' है, जो सरकार के 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने के संकल्प को दिखाती है. स्वतंत्रता दिवस पर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले से राष्ट्र को संबोधित करेंगे, जैसे पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू ने किया था. मगर क्या आप जानते हैं कि भारत का Independence Day 15 अगस्त को ही क्यों मनाया जाता है? यह तारीख भारत के Freedom Struggle की ऐतिहासिक यात्रा की एक दिलचस्प कहानी को छुपाए हुए है.
Freedom Struggle और 26 जनवरी
पंडित नेहरू को 1929 में लाहौर session के दौरान कांग्रेस पार्टी का लीडर appoint किया गया था. उन्हें अपने पिता, मोतीलाल नेहरू, की जगह लेनी थी. मोतीलाल नेहरू ने भारत के लिए एक नई dominion status constitution का समर्थन किया था. हालांकि, उस समय के 40 वर्षीय जवाहरलाल ने अपने पिता के प्रोपोजल को नकार दिया और ब्रिटिश शासन से complete separation की मांग की. उन्हें कांग्रेस के अन्य नेताओं जैसे कि बाल गंगाधर तिलक, सुभाष चंद्र बोस, अरविंदो, और बिपिन चंद्र पाल का समर्थन मिला. इस प्रोपोजल में, कांग्रेस ने complete independence की मांग की, जो पिछले dominion status से एक कदम आगे थी. इस प्रोपोजल को पास किया गया और कांग्रेस ने 1930 के जनवरी महीने के आखिरी रविवार को पूर्ण स्वराज के रूप में तय किया.
लाहौर Session
भारत की Freedom Struggle की शुरुआत में, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (Indian National Congress) ने 1929 में लाहौर session के दौरान पूर्ण स्वराज की मांग की थी. इस session में पंडित नेहरू ने 29 दिसंबर 1929 को Lahore के रावी नदी के किनारे Indian National Flag फहराया और इसे Independence Day के रूप में मनाने की घोषणा की. 26 जनवरी 1930 को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाने का प्रोपोजल रखा गया, जो INC के लिए एक महत्वपूर्ण दिन था. यह दिन freedom fighters के लिए एक पहचान बन गया और तब से 26 जनवरी को स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाने लगा.
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लॉर्ड माउंटबेटन का फैसला
जब भारत ने 1947 में स्वतंत्रता हुआ, तो तारीख बदल गई. यह बदलाव भारत और ब्रिटिश अधिकारियों के बीच राजनितिक दबाव और चुनौतियों के चलते हुआ. Lord Mountbatten, जो उस समय ब्रिटिश governor general थे, को भारतीय स्वतंत्रता की तारीख तय करने का काम दिया गया था. उन्होंने 15 अगस्त 1947 को स्वतंत्रता की तारीख चुनी, और इसके पीछे एक दिलचस्प वजह थी.
जापान का surrender और तारीख का चयन
Mountbatten ने 15 अगस्त को स्वतंत्रता की तारीख इसलिए चुनी, क्योंकि यह जापान के surrender की दूसरी वर्षगांठ थी. जापान ने 15 अगस्त 1945 को second world war के अंत में surrender किया था. Mountbatten ने ब्रिटिश संसद को यह तारीख प्रोपोज की, क्योंकि वह नहीं चाहते थे कि स्वतंत्रता की प्रक्रिया में कोई दंगा या हिंसा हो.Mountbatten ने कहा था कि यह तारीख अचानक चुनी गई थी, पर उन्होंने इसे इस आधार पर चुना कि यह एक महत्वपूर्ण historical दिन था.15 अगस्त 1945 को जापान के Emperor Hirohito ने अपने देश को address किया और जापान के surrender की घोषणा की - जो कि axis power में से आखिरी surrender था. जापान को 6 और 9 अगस्त को हिरोशिमा और नागासाकी पर न्यूक्लिअर हमलों के कारण भारी नुकसान पहुंचा था.
भारत की स्वतंत्रता का नया अध्याय
Mountbatten के decision के बाद, 4 जुलाई 1947 को भारतीय Independence Bill को pass किया. इसके तहत भारत और पाकिस्तान के दो अलग-अलग dominions का गठन किया गया. 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली और यह दिन अब हर साल स्वतंत्रता दिवस के रूप में मनाया जाता है.
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