भारतीय कोस्ट गार्ड में महिलाओं को परमानेंट कमीशन न देने पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाई है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सोमवार को सुनवाई करते हुए कहा केंद्र को कड़ी चेतावनी दी. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि अगर केंद्र सरकार मौजूदा नियमों में कोई बदलाव नहीं करती है तो न्यायपालिका को मजबूरन कदम उठाना पड़ेगा. कोर्ट ने सख्ते लहजे में कहा कि अगर आप नहीं करेंगे, तो हम कर देंगे. आइए आपको बताते हैं कि पूरा मामला क्या है.
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन कोस्ट गार्ड की एक महिला अधिकारी की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें ICG के लिए योग्य महिला शॉर्ट-सर्विस कमीशन अधिकारियों को परमानेंट कमीशन देने की मांग की गई है. केंद्र की ओर से पेश हुए अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी ने कहा कि कोस्ट गार्ड नेवी और आर्मी से बिल्कुल अलग है. इस मामले में एक बोर्ड बनाई जा चुकी है. इसमें स्ट्रक्चरल चेंजेस की जरूरत है. जिस पर मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने जोर देते हुए कहा कि ये कार्यक्षमता जैसे तर्क 2024 में मायने नहीं रखते. महिलाओं को इस तरह बाहर नहीं किया जा सकता. अगर आप ऐसा नहीं करेंगे, तो हम ऐसा करेंगे. आप परमानेंट कमीशन दीजिए वरना हम आदेश पारित करेंगे.
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कब होगी अगली सुनवाई
सुप्रीम कोर्ट ने इंडियन कोस्ट गार्ड में महिला ऑफिसरों को परमानेंट कमीशन नहीं देने के मामले में सुनवाई एक मार्च के लिए टाल दी है. इसके साथ केंद्र सरकार को जवाब दाखिल करने को कहा है. 19 फरवरी को भी सुनवाई के दौरान CJI की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने सख्त टिप्पणी की थी. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कोर्ट ने कहा था कि कोस्ट गार्ड का यह कैसा पितृसत्तात्मक रवैया है? आप महिलाओं को कोस्ट गार्ड में क्यों नहीं चाहते? महिलाएं सीमाओं की रक्षा कर सकती हैं तो समुद्र तट की भी रक्षा कर सकती हैं. कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि आप नारीशक्ति की बात करते हैं न, तो करके दिखाई अब. कोर्ट ने कहा कि हमें नहीं लगता कि जब सेना और नौसेना ये काम कर चुके हैं तो तटरक्षक बल यह कह सकता है कि तो वे लीक से बाहर रहेंगे.
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जानिए पूरा मामला
कोस्ट गार्ड की एक शॉर्ट सर्विस कमीशन अधिकारी प्रियंका त्यागी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिन्हें त्रुटिहीन रिकॉर्ड के साथ 14 साल की सेवा के बाद भी परमानेंट कमीशन के अवसर से वंचित कर दिया गया था. याचिकाकर्ता ने अपनी रिट में 10 वर्षों की शॉर्ट सर्विस नियुक्ति को आधार बनाते हुए एनी नागराज और बबिता पूनिया के मामले में सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दिया है और न्याय की गुहार लगाई है. महिला अधिकारी ने अपनी याचिका में ये भी कहा कि उन्होंने पुरुष और महिला सहित सभी रक्षा बलों में सीनियॉरिटी के हिसाब से सबसे ज्यादा घंटे उड़ान भरी हैं, जो कि एक रिकॉर्ड है. उन्होंने डोर्नियर विमान पर 4500 घंटे उड़ान भरी है और 300 से ज्यादा लोगों की जान बचाई है. इसके बाद भी उन्हें परमानेंट कमीशन का अवसर नहीं दिया गया.
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