डीएनए हिंदी: इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने महिला पर लगे गैंगरेप के आरोपों पर एक अहम फैसला सुनाया है. गैंगरेप के कई मामलों में महिलाओं की भूमिका पर यह फैसला एक निर्णायक वाद साबित हो सकता है. हाईकोर्ट ने कहा है कि इसमें कोई संदेह नहीं है कि एक महिला बलात्कार का अपराध नहीं कर सकती है, लेकिन अगर वह बलात्कारियों की मदद करती है तो उस पर भी गैंगरेप का केस चलाया जा सकता है.
रेप के अपराध से संबंधित भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 और 376 के प्रावधानों को बताते हुए न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने इस याचिका को खारिज कर दिया कि सामूहिक बलात्कार के मामले में एक महिला पर मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है. धारा 375 में रेप की परिभाषा है, वहीं 376 सजा के बारे में बात करती है.
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'गैंगरेप के गुनहगारों की मदद करना भी गैंगरेप'
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सुनीता पांडे द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया, जिसने अतिरिक्त जिला और सत्र न्यायाधीश, सिद्धार्थनगर द्वारा दिए गए आदेश को चुनौती दी थी. याचिका को खारिज करते हुए हाईकोर्ट ने कहा कि एक महिला रेप नहीं कर सकती है लेकिन वह अगर इस साजिश में लोगों के साथ शामिल रही है, बलात्कारियों की मदद करती है तो उस पर भी गैंगरेप का मुकदमा चलाया जा सकता है.
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376डी के तहत चल सकता है महिला पर केस
हाईकोर्ट ने कहा कि एक महिला पर गैंगरेप के लिए मुकदमा नहीं चलाया जा सकता है, बलात्कार से संबंधित धाराओं के संशोधित प्रावधानों के अनुसार सही नहीं है. कोर्ट ने कहा कि हालांकि IPC की धारा 375 की अस्पष्ट भाषा से यह स्पष्ट है कि एक महिला बलात्कार नहीं कर सकती, क्योंकि धारा विशेष रूप से बताती है कि बलात्कार का कार्य केवल पुरुष द्वारा किया जा सकता है, महिला द्वारा नहीं, लेकिन IPC की धारा 376डी के मामले में ऐसा नहीं है. 376डी गैंगरेप की धारा है.
कब की है यह घटना?
यह याचिका जून 2015 में हुए एक गैंगरेप केस से जुड़ी है. लड़की के पिता ने जुलाई 2015 में केस दर्ज कराया था कि उसकी 15 वर्षीय बेटी को आरोपी बहला-फुसलाकर अपने साथ ले गए और उसके साथ बलात्कार किया. कोर्ट ने अब इस पर अहम टिप्पणी की है. (इनपुट: IANS)
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