डीएनए हिंदी: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) सुप्रीमो मायावती ने महिला आरक्षण बिल का दोनों सदनों से पास होने पर स्वागत किया है. वहीं इसमें कुछ खामियां बताते हुए नाराजगी भी जाहिर की. उन्होंने कहा कि ओबीसी और एसटी समाज की महिलाओं को अलग-अलग आरक्षण ना देना, सामाजिक न्याय की मान्यता को नकारना है. मायावती ने शुक्रवार को सोशल मीडिया के माध्यम से लिखा कि "महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों से पारित हो जाने का स्वागत, किन्तु देश इसका भरपूर व जोरदार स्वागत करता अगर उनकी अपेक्षाओं के मुताबिक यह अविलम्ब लागू हो जाता. अब तक लगभग 27 वर्षों की लम्बी प्रतीक्षा के बाद अनिश्चितता का अब आगे और लम्बा इंतजार करना कितना न्यायसंगत?'
मायावती ने आगे लिखा कि वैसे देश की आबादी के बहुसंख्यक ओबीसी समाज की महिलाओं को आरक्षण में शामिल नहीं करना बहुजन समाज के उस बड़े वर्ग को न्याय से वंचित रखना है. इसी प्रकार एससी व एसटी समाज की महिलाओं को अलग से आरक्षण नहीं देना भी उतना ही अनुचित व सामाजिक न्याय की मान्यता को नकारना है.
बसपा मुखिया ने कहा कि सरकार ओबीसी समाज कोभी इस महिला आरक्षण बिल में शामिल करे और एससी व एसटी वर्ग की महिलाओं को अलग से आरक्षण दे. इस विधेयक को तत्काल प्रभाव से लागू करने के सभी जरूरी उपाय किए जाएं. धार्मिक अल्पसंख्यक समाज की महिलाओं की भी उपेक्षा अनुचित है.