DNA TV Show: भारतीयों के लिए एक अनदेखा दुश्मन है डायबिटीज, डरावने हैं आंकड़े

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Nov 15, 2023, 12:48 AM IST

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Diabetes Facts: 14 नवंबर को वर्ल्ड डायबिटीज डे के तौर पर मनाया जाता है. यह एक ऐसी बीमारी है जो इंसान को होने के बाद भी पता नहीं चलती. DNA TV Show में इस बीमारी के बारे में विस्तार से विश्लेषण किया गया है. 

डीएनए हिंदी: हर वर्ष 14 नवंबर को दुनियाभर में विश्व मधुमेह दिवस (world diabetes day) के तौर पर मनाया जाता है. लोगों को डायबिटीज के खतरे को लेकर जागरुक किया जाता है. क्या हम डायबिटीज को लेकर जागरूक हैं?, क्या हमें इस बीमारी से बचने के उपाय पता है? आज वर्ल्ड डायबिटीज डे पर इस बीमारी का विस्तार से विश्लेषण करने का फैसला किया है, ताकि आप भी इस बीमारी को लेकर जागरूक हो सकें. आम तौर पर हम सब यही सोचते हैं कि डायबिटीज तो 40 वर्ष से ज्यादा उम्र के लोगों को होती है लेकिन अब ये बीमारी बच्चों और युवाओं में भी तेजी से हो रही है. ब्रिटेन की कुल आबादी करीब 7 करोड़ है. लेकिन भारत में डायबिटीज के मरीजों की संख्या ही 10 करोड़ है. यानी डायबिटीज के मरीज अपने आप में एक देश हैं. वैसे तो ये बीमारी किसी को भी हो सकती है, लेकिन चिंता की बात ये है कि डायबिटीज अब कम उम्र के लोगों को हो रही है.

International Diabetes Federation ने वर्ष 2019 में अनुमान लगाया था कि 2030 तक भारत में डायबिटीज के कुल मरीजों की संख्या 10 करोड़ पार कर जाएगी.  भारत में ये आंकड़ा 7 वर्ष पहले यानि वर्ष 2023 में ही पार हो चुका है. एक अध्ययन के मुताबिक भारत में 20 वर्ष की आयुवर्ग के युवकों में 65 प्रतिशत जबकि युवतियों में 56 फीसदी डायबिटीज से पीड़ित होने का खतरा रहता है. एक वक्त था जब डायबिटीज को जेनटिक बीमारी यानी कि माता-पिता से विरासत में मिलने वाली बीमारी माना जाता था. भारत में अब डायबिटीज के ज्यादातर मरीज ऐसे हैं जिन्हें खराब लाइफस्टाइल की वजह से ये बीमारी हो रही है खास कर युवाओं में. 

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डायबिटीज के बारे में कुछ खास तथ्य 
- डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है, जिसमें शरीर में ब्लड शुगर की मात्रा बढ़ जाती है.
- यह तब होता है जब शरीर पर्याप्त मात्रा में इंसुलिन हार्मोन नहीं बना पाता या इंसुलिन का अच्छी तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता.
- इंसुलिन पैनक्रियाज द्वारा बनाया गया एक हार्मोन है जो कार्बोहाइड्रेट के टूटने से बने ग्लूकोज को ऊर्जा के लिए उपयोग करने में मदद करता है.
- डायबिटीज लाइलाज बीमारी है, यानी जब तक इंसान है ये बीमारी उसके साथ रहती है. इसका कोई इलाज नहीं है. युवाओं में ये बीमारी जिस तरह से बढ़ी है वो गंभीर चिंता का विषय है.

भारत में डायबिटीज की बीमारी बहुत तेज़ी से बढ़ी है. इसलिए भारत को अब Diabetic Capital of the World कहा जाने लगा है.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक पूरे विश्व में 50 करोड़ लोग डायबिटीज से पीड़ित हैं.
- इनमें अकेले भारत में ही 10 करोड़ मरीज हैं. अगले 10 वर्ष में डायबिटीज मरीजों की संख्या भारत में 10 करोड़ और बढ़ जाएगी.

ICMR का सर्वे बताता है कि भारत में बीते 4 वर्षों में ही डायबिटीज के मरीज़ों की संख्या 44% तक बढ़ी है.
- यही नहीं, ऐसे लोग जिन्हें निकट भविष्य में डायबिटीज होने का खतरा है उनकी तादाद और भी ज्यादा है. सर्वे के अनुसार भारत में तकरीबन 13 करोड़ 30 लाख मरीज ऐसे हैं, जो प्रीडायबिटीक हैं. ये वो लोग हैं जिन्हें आने वाले समय में डायबिटीज होने का खतरा है.

डायबिटीज के फैलने का नहीं लगता है पता  
डायबिटीज ऐसी बीमारी है जिसका बहुत से लोगों को पता ही नहीं चलता. यानि इंसान को बीमारी हो चुकी है लेकिन ही नहीं पता कि बीमारी उसके शरीर में फैल चुकी है. जब तक पता चलता है तब तक इस बीमारी की वजह से शरीर के दूसरे अंग प्रभावित होने लगते है. आपने भी महसूस किया होगा कि हम सबकी शारीरिक गतिविधियां बहुत कम हो गई है. लोग शारीरिक काम कम करने लगे हैं. यहां तक कि लोग पैदल भी नहीं चलना चाहते. थोड़ी सी दूर जाने के लिए भी गाड़ी में बैठकर जाते है. इसके अलावा खान-पान बहुत गलत हो गया है. जंक फूड, प्रोसेस्ड फूड, पहले से तैयार पैकेट फूड का चलन बढ़ा है. ऐसे खानों से कई तरह की परेशानियां होती है. डायबिटीज होने का एक मुख्य कारण संतुलित आहार नहीं लेना भी है.

इन राज्यों में हैं सबसे ज्यादा डायबिटीज मरीज
भारत में डायबिटीज मरीजों की बात करें तो गोवा का नंबर सबसे ऊपर आता है. यहां की 26.4 फीसदी आबादी को डायबिटीज है.
दूसरे नंबर पर पुंडुचेरी है जहां 26.3 फीसदी लोग डायबिटीज की चपेट में हैं.
तीसरे नंबर पर केरल है, केरल की 25.5 फीसदी आबादी को डायबिटीज है.
चौथे नंबर पर चंडीगढ़ है यहां 20.4 फीसदी लोगों को डायबिटीज है.
पांचवें नंबर पर देश की राजधानी दिल्ली है जहां 17.8 फीसदी लोग डायबिटीज के मरीज है.

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डायबिटीज के प्रमुख लक्षण
डायबिटीज की वजह से आंखों, दिल, लिवर और किडनी पर असर होता है. इसलिए इसके लक्षणों को पहचानना भी बेहद जरूरी है क्योंकि एक डायबिटीज कई बीमारियों का कारण बन सकती है.
- ज़्यादा प्यास लगना
- सामान्य से ज़्यादा यूरिन आना
- थकान महसूस होना
- बिना किसी कोशिश के वज़न कम होना
- मुंह में अक्सर छाले होना
- आंखों की रोशनी कम होना
- घाव भरने में समय लगना और ये वो लक्षण है जो डायबिटीज में नजर आते है. इसलिए इन लक्षणों को पहचानना बहुत जरूरी है.

आज भारत में डायबिटीज के ज्यादातर मरीज वो हैं, जो खराब लाइफस्टाइल की वजह से इसका शिकार हुए हैं. इसे टाइप टू डायबिटीज कहा जाता है और अगर ये लोग अपनी लाइफ़ स्टाइल में थोड़ा सा सुधार कर लें, तो वो इस बीमारी से ख़ुद को बचा सकते हैं.

डायबिटीज एक ऐसी बीमारी है जो धीरे धीरे इंसान के शरीर को खोखला करती है. उम्र बढ़ने के साथ साथ दिक्कत बढ़ती है. युवाओं में डायबिटीज होने का प्रमुख कारण वज़न अधिक होना, एक्सरसाइज न करना, धूम्रपान करना और पढ़ाई-नौकरी का तनाव है.

डायबिटीज की बीमारी अब गांवों तक भी पहुंची 
डायबिटीज कम हो या ज्यादा, दोनों ही स्थितियों में रोगी की सेहत के लिए खतरा बन सकती है. अभी तक हम सब यही कहते थे कि गांव देहात के लोग ज्यादा स्वस्थ होते हैं. वहां अच्छी हवा होती है, बड़े-बुजुर्ग भी सबको यही कहते हैं कि कुछ दिन गांव में आकर भी रहा करो, सेहत अच्छी हो जाएगी. हालांकि, यह बीमारी अब गांव-देहात में भी आम हो गई है. ICMR की रिपोर्ट के मुताबिक,  शहरों में 32 प्रतिशत लोगों को या तो डायबिटीज है या होने वाली है जबकि गांवों में 24% लोगों को या तो डायबिटीज है या होने वाली है.

डायबिटीज से बचने के लिए उठाएं ये कदम 
इन आंकड़ों से ही अंदाजा लगा लीजिए कि डायबिटीज कैसे घर-घर की बीमारी बन गई है. अभी भी इस बीमारी के लक्षणों, बचाव और कारणों को लेकर जागरूकता नहीं है. इसकी चपेट में आए आधे से ज़्यादा लोगों को बीमारी के बारे में मालूम नहीं होता. ऐसा नहीं है कि इससे बचा नहीं जा सकता. बचा जा सकता है, लेकिन इसके लिए कुछ कदम उठाने होंगे. जैसे कि 
- अपने वजन को कंट्रोल करें
- हर रोज़ एक्सरसाइज करें
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- संतुलित डाइट लें
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- पानी ज्यादा पीएं
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- धूम्रपान और शराब का सेवन ना करें

किसी भी बीमारी से बचने की सबसे कारगर दवाई जागरूकता है. अगर बीमारी को लेकर पहले से पता होगा तो बीमारी से बचने का रास्ता खुद ब खुद निकल आएगा. इसलिए वर्ल्ड डायबिटीज डे पर हम भी आपसे अपील करते हैं कि इस बीमारी को लेकर जागरूक हों, इसके लक्षणों को पहचानिए, अपनी जीवनशैली में बदलाव लाइए ताकि इससे लड़ा जा सके और हराया जा सके.

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