डीएनए हिंदी: उत्तराखंड सुरंग हादसे में फंसे सभी 41 मजदूरों को सुरक्षित निकाल लिया गया है. ञगर मशीन खराब होने के बाद भी मजदूरों ने अपने जीवट और रेस्क्यू टीम ने अतिरिक्त सतर्कता और सूझबूझ से इस मिशन को सफल बनाया. सोशल मीडिया ही नहीं विदेशी मीडिया में भी यह रेस्क्यू ऑपरेशन चर्चा में है. भारतीय मजदूरों के हौसले और रेस्क्यू टीम के कौशल की जमकर तारीफ हो रही है. अमेरिका से आई ऑगर मशीन के टूट जाने के बाद रैट माइनर्स ने बचे हुए मलबे को हटाकर बाहर निकाला है. खराब मौसम और प्रतिकूल परिस्थितियों के बाद भी रेस्क्यू टीम डटी रही और आखिरकार 17 दिनों के अंधेरे के बाद मंगलवार को सुनहरी रोशनी दिख ही गई.
उत्तराखंड रेस्क्यू ऑपरेशन को बीबीसी और सीएनएन जैसे मीडिया समूह ने अपने यहां जगह दी है. बीबीसी ने इस ऑपरेशन की तारीफ करते हुए लिखा कि मजदूरों का जीवट और रेस्क्यू टीम के समर्पण ने जटिल लग रहे मिशन को सफल बनाया है. सीएनएन ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की मजदूरों के साथ तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है कि प्रदेश के सीएम के साथ बाहर निकाले गए मजदूर हैं. सीएनएन ने भी इसे इंसानी जीवट की मिसाल करार दिया है.
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अमेरिका से ब्रिटेन तक इंसानी हौसले को सलाम
ब्रिटेन के प्रमुख द गार्जियन अखबार ने अपनी विस्तृत रिपोर्ट में कहा कि यह इंसानी हौसले की मशीनों पर जीत है. रिपोर्ट में कहा गया कि मानव श्रम ने मशीनरी पर विजय प्राप्त की है. जब मजदूरों तक पहुंचने के लिए ऑगर मशीन खराब हो गई तब अंतिम 12 मीटर मलबे को मैन्युअल तरीके से साफ किया गया. फिर पाइप के जरिए सभी मजदूरों को बाहर निकाला गया. अमेरिका और यूरोप के मीडिया समूहों में भी इस ऑपरेशन की तारीफ हो रही है.
17 दिनों बाद आखिरकार 41 परिवारों के लिए आई खुशखबरी
17 दिनों से मजदूर टनल में फंसे हुए थे और उनके परिवारों की जान सांसत में थी. लगातार कोशिश और मुश्किलों के बाद भी रेस्क्यू टीम ने ऑपरेशन पूरा कर दिखाया. सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सभी मजदूरों को राज्य सरकार की ओर से एक लाख रुपये की सहायता राशि देने का ऐलान किया है. देश भर में मजदूरों की सुरक्षित निकासी के लिए प्रार्थना हो रही थी. हरिद्वार और वाराणसी में देव दिवाली के मौके पर फंसे हुए लोगों के लिए दीये भी जलाए गए थे.
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