डीएनए हिंदी: कोरोना महामारी के चलते जहां दुनियाभर में अरबपतियों (Billionaires) की संख्या में थोड़ी गिरवाट दर्ज की गई, वहीं भारत में इसका कोई खास असर नहीं पड़ा. यहां अरबपति कम होने की बजाय तेजी से बढ़े हैं. भारत में साल 2022 में हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) की संपत्ति में 10.5 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. जिसके बाद 308 नए व्यक्ति अरबपति (Billionaires) बन गए हैं. यह लोग अल्ट्रा-रिच की कैटेगरी में आ गए हैं. इस बात का खुलासा कैपजेमिनी की 'वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट' में हुआ है.
Capgemini की ‘वर्ल्ड वेल्थ रिपोर्ट’ के अनुसार, कोविड-19 महामारी के बावजूद दुनिया भर के अमीरों की कुल संपत्ति में 86 खरब डॉलर की वृद्धि हुई है. इनमें अन्य देशों के मुकाबले भारतीय अल्ट्रा-रिच व्यक्तियों की संख्या में अधिक बढ़ोतरी हुई है. वैश्विक स्तर पर हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) संख्या में 7.8 प्रतिशत से बढ़कर 22.5 मिलियन व्यक्ति हो गई है. 2020 में भारत में 261 हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) थे, जो 2022 में बढ़कर 308 हो गए हैं. इनकी संपत्ति सामूहिक रूप से 8 प्रतिशत बढ़कर 86 ट्रिलियन डॉलर हो गई है.
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अल्ट्रा-HNI व्यक्ति कौन होत हैं?
कैपजेमिनी की रिपोर्ट के मुताबिक, अल्ट्रा हाई नेटवर्थ इंडिविजुअल (HNI) उन लोगों को कहा जाता है कि जिनकी संपत्ति 30 मिलियन डॉलर से अधिक हो. दुनियाभर के 221 लोगों के पास 30 मिलियन डॉलर से अधिक की संपत्ति है. अगर एशिया-प्रशांत क्षेत्र की बात करें तो भारत और ताइवान अल्ट्रा-एचएनआई श्रेणी में सबसे ज्यादा योगदान देने वाले देश हैं.
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भारत के Billionaires की कैसे बढ़ी संपत्ति?
देश में अल्ट्रा-रिच व्यक्तियों की इस बढ़ोतरी के कई कारण हैं. जिसमें आदर्श व्यवसायी माहौल का बनना, व्यापार और निवेश के क्षेत्र में स्थिरता के साथ-साथ सरकार की नीतियों के प्रभावी अमल लाना भी शामिल है. रिपोर्ट के अनुसार, भारत में बढ़ते इन रिच व्यक्तियों के फाइनेंशियल वृद्धि में एडवांस्ड टेक्नोलॉजी भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है. इसमें केंद्रीय बैंक से Higher Liquidity सपोर्ट भी शामिल है. यहां लिक्विडिटी का मतलब सहजता से है. इसके अलावा घरेलू नीतियों का सरकार का समर्थन करना, टीकाकरण अभियान में वृद्धि आदि शामिल हैं.
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