डीएनए हिंदी: वाई एस शर्मिला कांग्रेस में शामिल हो गई हैं. उन्होंने अपनी पार्टी वाई एस आर तेलंगाना का कांग्रेस में विलय कर दिया है. इस तरह 14 साल पहले शुरू हुई एक कहानी का वृत्त पूरा हो गया है. 14 साल पहले अपनी मां विजयम्मा और बहन वाई एस शर्मिला के अपमान के बाद जगन मोहन रेड्डी ने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी बनाई थी और कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़ दिया था. अब वही बहन वाई एस शर्मिला अपने भाई का साथ छोड़कर एक बार फिर से कांग्रेस के साथ आ खड़ी हुई हैं. लोकसभा चुनाव 2024 से पहले इसे कांग्रेस पार्टी की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है.
इस मौके पर शर्मिला ने कहा, 'मैं आज बहुत खुश हूं कि वाईएसआर तेलंगाना का विलय कांग्रेस में हो गया है. आज से वाईएसआर तेलंगाना कांग्रेस से अलग नहीं होगी. डॉ. वाईएसआर ने ना सिर्फ कांग्रेस पार्टी के लिए जीवन भर काम किया बल्कि इसी पार्टी के लिए अपनी जान भी दे दी. उनकी बेटी उन्हीं के पदचिह्नों पर चल रही है और उसी कांग्रेस पार्टी का हिस्सा बन रही है. कांग्रेस पार्टी आज भी देश की सबसे बड़ी सेक्युलर पार्टी है.'
कौन हैं वाई एस शर्मिला?
वाई एस शर्मिला वाई एस राजशेखर रेड्डी की बेटी और जगन मोहन रेड्डी की बहन हैं. वह पहले भी कांग्रेस में रही हैं. जगन मोहन रेड्डी के जेल जाने पर उन्होंने वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की कमान संभाली थी. बाद में वह अपने भाई के लिए प्रचार करती भी नजर आई थीं. शर्मिला के दो बच्चे हैं.
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सितंबर 2009 में वाई एस राजशेखर रेड्डी की मौत एक विमान हादसे में हो गई थी. उनका हेलिकॉप्टर क्रैश कर गया था और उसमें सवार सभी पांच लोगों की मौत हो गई. उस समय राजशेखर रेड्डी की लोकप्रियता ऐसी थी कि आंध्र प्रदेश में उनके कई समर्थकों ने आत्महत्या कर ली. मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ काफी जनप्रिय नेता रहे राजशेखर रेड्डी के लिए हर कोई भावुक था. उस समय उनके बेटे जगन मोहन रेड्डी सीमेंट और मीडिया बिजनेस कर रहे थे. पिता की मौत के बाद जगन ने राजनीति में एंट्री करने का फैसला किया.
जगन मोहन रेड्डी और उनके परिवार को उम्मीद थी कि वाईएसआर की जगह उन्हें सीएम बनाया जाएगा. इसके लिए वह अपनी मां विजयम्मा और बहन वाई एस शर्मिला को लेकर सोनिया गांधी से मिलने दिल्ली में 10 जनपथ रोड स्थित उनके घर पहुंचे. रेड्डी परिवार की उम्मीद के विपरीत यहां स्थितियां अलग थीं. सोनिया गांधी और कांग्रेस रेड्डी परिवार से इतर आंध्र प्रदेश में अपना भविष्य देख रही थीं.
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यात्रा रोकने को तैयार नहीं था रेड्डी परिवार
इतना ही नहीं, सोनिया गांधी ने विजयम्मा से यह भी कहा कि वह उस 'ओदारपू यात्रा' को रुकवाएं जो जगन ने शुरू की थी. इस यात्रा के तहत जगन मोहन रेड्डी उन लोगों के घर जा रहे थे जिन्होंने जगन के पिता वाईएसआर की मौत के बाद आत्महत्या कर ली थी. सोनिया गांधी की यह बात सुनकर रेड्डी परिवार अवाक रह गया. विजयम्मा ने सोनिया गांधी को समझाने की बहुत कोशिश की लेकिन बात नहीं बनी. जाहिर था कि रेड्डी परिवार यात्रा रोकने को तैयार नहीं था क्योंकि इससे उनकी भावनाएं जुड़ी थीं. दूसरी तरफ, कांग्रेस ने रोसैय्या को आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री बना दिया.
इस प्रकार दिल्ली से अपमानित होकर लौटे रेड्डी परिवार ने कसम खा ली कि इस अपमान का बदला लिया जाएगा. नवंबर 2010 में जगन मोहन रेड्डी ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दे दिया. तब वह कांग्रेस पार्टी के लोकसभा सांसद थे. 2009 के लोकसभा चुनाव में ही उन्हें कडपा लोकसभा सीट से जीत मिली थी. उन्होंने लोकसभा की सदस्यता भी छोड़ दी और कांग्रेस पार्टी से भी अपनी राहें अलग कर लीं. उनकी मां विजयम्मा ने भी विधायक पद छोड़ दिया और कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया. साल 2011 के मार्च महीने में जगन मोहन रेड्डी ने अपने पिता के नाम से वाईएसआर कांग्रेस पार्टी बनाई.
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जब जगन मोहन रेड्डी को जाना पड़ा जेल
कांग्रेस से इस्तीफा देने के बाद जगन मोहन रेड्डी ने कडपा सीट से ही लोकसभा का उपचुनाव लड़ा और अब अपनी पार्टी से सांसद बन गए. जगन के लिए रास्ता आसान नहीं रहा. उनके खिलाफ आय से अधिक संपत्ति के मामलों में जांच शुरू हो गई थी. मई 2012 में सीबीआई ने जगन मोहन रेड्डी को गिरफ्तार कर लिया. 16 महीने के बाद सिंतबर 2023 में जगन मोहन रेड्डी को जमानत मिली और वह जेल से बाहर आए.
जगन मोहन ने संघर्ष जारी रखा और पूरे आंध्र प्रदेश में जमकर पदयात्राएं की. 2014 में उनकी पार्टी दूसरे नंबर पर पहुंच गई. 2019 आते-आते जगन की मेहनत रंग लाई. वाईएसआर कांग्रेस ने 175 में से 151 सीटें जीत लीं और जगन मोहन रेड्डी मुख्यमंत्री बन गए. इतना ही नहीं, लोकसभा की 25 में से 22 सीटें भी वाईएसआर कांग्रेस के खाते में ही गईं. साल 2021 आते-आते जगन मोहन रेड्डी और उनकी बहन शर्मिला के बीच मनमुटाव की खबरें आने लगीं. 2021 में ही वाई एस शर्मिला ने वाईएसआर कांग्रेस छोड़कर वाईएसआर तेलंगाना बना ली और तेलंगाना में सक्रिय हो गईं.
बाद में उनकी मां ने भी जगन का साथ छोड़ दिया और उन्हीं के साथ आ गईं. हालांकि, अब कांग्रेस में वापसी के साथ ही इस बात के पूरे आसार हैं कि वह फिर से आंध्र प्रदेश में सक्रिय होंगी और अपने ही भाई के सामने खड़ी होंगी.
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