Yashwant Sinha: अधिकारी की कुर्सी से राष्ट्रपति की रेस तक किन-किन राहों से गुजरे सिन्हा

डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated:Jun 21, 2022, 06:24 PM IST

यशवंत सिन्हा को राष्ट्रपति चुनाव में विपक्ष का उम्मीदवार घोषित किया गया है. एक समय पर वह बीजेपी के मजबूत सिपाही हुआ करते थे.

डीएनए हिंदी: यशवंत सिन्हा भारतीय राजनीतिज्ञ और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व वरिष्ठ नेता थे. फिलहाल वह समय में तृणमूल कांग्रेस के नेता हैं. वे भारत के पूर्व वित्त मंत्री रहने के साथ-साथ अटल बिहारी वाजपेयी मंत्रिमंडल में विदेश मंत्री भी रह चुके हैं. सिन्हा ने साल 2009 में भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया था. उनका कहना था कि वे 2009 के आम चुनावों में हार के बाद पार्टी द्वारा की गई कार्रवाई से संतुष्ट नहीं थे.

शरुआती करियर

सिन्हा ने 1958 में राजनीति शास्त्र में अपनी मास्टर्स डिग्री प्राप्त की. इसके बाद उन्होंने पटना यूनिवर्सिटी में 1960 तक इसी विषय की शिक्षा दी. यशवंत सिन्हा 1960 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में शामिल हुए और अपने कार्यकाल के दौरान कई महत्त्वपूर्ण पदों पर रहते हुए सेवा में 24 से ज्यादा साल बिताए. 4 सालों तक उन्होंने सब-डिवीजनल मजिस्ट्रेट और जिला मजिस्ट्रेट के रूप में सेवा की. बिहार सरकार के वित्त मंत्रालय में 2 साल तक अवर सचिव और उप सचिव रहने के बाद उन्होंने भारत सरकार के वाणिज्य मंत्रालय में उप सचिव के रूप में काम किया.

1971 से 1973 के बीच उन्होंने बॉन, जर्मनी के भारतीय दूतावास में प्रथम सचिव (वाणिज्यिक) के तौर पर काम किया था. इसके बाद उन्होंने 1973 से 1974 के बीच फ्रैंकफर्ट में भारत के कौंसुल जनरल के रूप में काम किया. इस क्षेत्र में लगभग सात साल काम करने के बाद उन्होंने विदेशी व्यापार और यूरोपीय आर्थिक समुदाय के साथ भारत के संबंधों के क्षेत्र  काम किया. इसके बाद उन्होंने बिहार सरकार के औद्योगिक आधारभूत सुविधाओं के विभाग (डिपार्टमेंट ऑफ इंडस्ट्रियल इन्फ्रास्ट्रक्चर) और भारत सरकार के उद्योग मंत्रालय में काम किया जहां वे विदेशी औद्योगिक सहयोग, प्रौद्योगिकी के आयात, बौद्धिक संपदा अधिकारों और औद्योगिक स्वीकृति के मामलों के लिए जिम्मेदार थे. 1980 से 1984 के बीच भारत सरकार के भूतल परिवहन मंत्रालय में संयुक्त सचिव के रूप में सड़क परिवहन, बंदरगाह और जहाजरानी (शिपिंग) उनके प्रमुख दायित्वों में शामिल थे.

राजनीतिक करियर

1- जनता दल

यशवंत सिन्हा ने 1984 में भारतीय प्रशासनिक सेवा से इस्तीफा दे दिया और जनता पार्टी के सदस्य के तौर पर राजनीति से जुड़ गए. 1986 में उनको पार्टी का अखिल भारतीय महासचिव नियुक्त किया गया और 1988 में उन्हें राज्य सभा का सदस्य चुना गया. 1989 में जनता दल का गठन होने के बाद उनको पार्टी का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया. उन्होंने चन्द्र शेखर के मंत्रिमंडल में नवंबर 1990 से जून 1991 तक वित्त मंत्री के रूप में कार्य किया.

2- भाजपा

जून 1996 में वे भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता बने. मार्च 1998 में उनको वित्त मंत्री नियुक्त किया गया. उस दिन से लेकर 22 मई 2004 तक संसदीय चुनावों के बाद नई सरकार के गठन तक वे विदेश मंत्री रहे. उन्होंने भारतीय संसद के निचले सदन लोक सभा में बिहार (अब झारखंड) के हजारीबाग निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया. हालांकि, 2004 के चुनाव में हजारीबाग सीट से यशवंत सिन्हा की हार को एक विस्मयकारी घटना माना जाता है. उन्होंने 2005 में फिर से संसद में प्रवेश किया. 13 जून 2009 को उन्होंने भाजपा के उपाध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया.

3- ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस

13 मार्च 2021 को यशवंत सिन्हा ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस में सामिल होकर दोबारा सक्रिय राजनीति में वापसी किया. टीएमसी में शामिल होने के बाद पार्टी ने उन्हें राष्ट्रीय उपाध्यक्ष बना दिया. टीएमसी में शामिल होने का वजह बताते उनका कहना था, ''देश दोराहे पर खड़ा है. हम जिन मूल्यों पर भरोसा करते हैं, वे खतरे में हैं. न्यायपालिका समेत सभी संस्थानों को कमजोर किया जा रहा है. यह पूरे देश के लिए एक अहम लड़ाई है. यह कोई राजनीतिक लड़ाई नहीं है बल्कि लोकतंत्र बचाने की लड़ाई है.''

अब विपक्ष ने उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार घोषित किया है. विपक्ष ने उनके उनके नाम का ऐलान कर दिया है. यशवंत सिन्हा कभी बीजेपी के मजबूत सिपाही हुआ करते थे.

 

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