Yasin Malik On Hunger Strike: यासीन मलिक ने तिहाड़ जेल में क्यों शुरू की भूख हड़ताल?

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Jul 23, 2022, 07:09 PM IST

यासीन मलिक. (फाइल फोटो)

Yasin Malik On Hunger Strike: दिल्ली की तिहाड़ जेल में यासीन मलिक ने भूख हड़ताल शुरू कर दी है. जेल प्रशासन के बार-बार कहने पर भी वह खाना खाने से इनकार कर रहा है.

डीएनए हिंदी: दिल्ली (Delhi) स्थित तिहाड़ जेल (Tihar Jail) में कश्मीर (Kashmir) के अलगाववादी नेता यासीन मलिक (Yasin Malik)  ने भूख हड़ताल (Hunger Strike) शुरू कर दी है. यासीन मलिक ने रुबैया सईद (Rubaiya sayeed) के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में फिजिकल प्रेजेंस की मांग के लिए याचिका दायर की थी लेकिन सरकार से इस पर कोई जवाब नहीं मिलने पर उसने भूख हड़ताल शुरू कर दी. 8 दिसंबर, 1989 को तत्कालीन केंद्रीय गृह मंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद (Mufti Mohammad Sayeed) की बेटी रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में मलिक आरोपी है. जेल के एक सीनियर अधिकारी ने कहा कि मलिक ने शुक्रवार सुबह भूख हड़ताल शुरू की. 

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शुक्रवार से ही खाना नहीं खा रहा है यासीन मलिक

शुक्रवार की सुबह यासीन मलिक ने जेल प्रशासन के बार-बार अनुरोध के बावजूद कुछ भी खाने-पीने से इनकार कर दिया. अधिकारी ने बताया कि उसकी सेहत पर नजर रखी जा रही है. वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सीबीआई के विशेष न्यायाधीश के सामने पेश हुए मलिक ने इसके पहले कहा था कि वह रुबैया सईद के अपहरण से जुड़े मामले में जम्मू की अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश होना चाहता है.

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सरकार को पहले भी दी थी धमकी

यासीन मलिक ने कहा था कि 22 जुलाई तक अगर सरकार ने इस संबंध में अनुमति नहीं दी, तो वह भूख हड़ताल शुरू करेगा. प्रतिबंधित संगठन जम्मू-कश्मीर लिबरेशन फ्रंट (JKLF) के 56 वर्षीय प्रमुख यासीन मलिक को इस साल मई में दिल्ली की एक अदालत ने आतंकवाद का वित्तपोषण करने के मामले में दोषी ठहराया था.

अपनी सजा भुगत रहा है यासीन मलिक

यासीन मलिक को अलग-अलग अवधि की कारावास की सजा सुनाई गई थी और सारी सजा एक साथ चल रही है. यासीन मलिक को कड़ी सुरक्षा के बीच जेल नंबर सात में एक अलग कोठरी में रखा गया है. राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (NIA) ने साल 2017 में दर्ज आतंकवाद के वित्तपोषण के मामले में मलिक को वर्ष 2019 की शुरुआत में गिरफ्तार किया गया था. 

क्या था पूरा मामला?

रुबैया सईद का कथित तौर पर JKLF के आतंकवादियों द्वारा अपहरण किया गया था. रुबैया को 5 दिन बाद 13 दिसंबर को अपहरणकर्ताओं के चंगुल से छुड़ाया गया लेकिन इसके बदले बीजेपी समर्थित तत्कालीन वीपी सिंह सरकार को जेकेएलएफ के पांच आतंकवादियों को रिहा करना पड़ा था.

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यह मामला लंबे समय तक ठंडा पड़ा रहा, लेकिन साल 2019 में मलिक की गिरफ्तारी के बाद यह मामला फिर से शुरू हो गया. इस साल 15 जुलाई को रुबैया सईद पहली बार इस मामले में पेश हुईं और उन्होंने मलिक और तीन अन्य को अपहरणकर्ता के रूप में पहचाना. 

रुबैया सईद ने न्यायाधीश से कहा, 'यह वही व्यक्ति है और उसका नाम यासीन मलिक है. उसने मुझे धमकी दी थी कि अगर मैंने उसके आदेश का पालन करने से इनकार कर दिया, तो वह मुझे मिनीबस से बाहर फेंक देगा.' (इनपुट: भाषा)

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