नोएडा की एक सोसाइटी के व्हाट्सऐप ग्रुप में अब रजिस्ट्री और डॉग फीडिंग की चर्चा के साथ एल्विश यादव (Elvish Yadav) की गिरफ्तारी (Arrest) का पूरा घटनाक्रम भी साझा किया जा रहा है. एक गुट है जो कहता है कि एल्विश अच्छे हैं और उन्हें फंसाया जा रहा है और दूसरा है जो कहता है कि वो अब चुनौती देकर दिखाए. लोग इस पर इमोजी बनाते हैं, ताली बजाते हैं और बात आई गई हो जाती है. लेकिन बतौर नागरिक एक ऐसे समाज का हिस्सा होने पर मैं सिहर उठता हूं जो Online Abuse को देख कर भी अनदेखा कर रहा है और एक अपमानजनक व्यवहार करने वाले युवा को 'हीरो' बना दे रहा है.
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रोस्टिंग के नाम पर गाली गलौज का एक नया ट्रेंड
गुरूग्राम से आने वाले 26 साल के सिद्धार्थ यादव, उर्फ एल्विश यादव ने जब साल 2016 में अपना YouTube चैनल खोला था तब भी वो जिस तरह का कंटेंट बनाते थे वो सही नहीं था. रोस्टिंग को कॉमेडी का एक आर्ट माना जाता है, लेकिन रोस्टिंग के ज़रिए लिंग-भेद, सेक्सुअल टिप्पणियां, बॉडी शेमिंग, गाली गलौज करना एक ट्रेंड बन गया और एल्विश के अकाउंट से ऐसा कंटेंट सामने आने लगा. लेकिन हंसराज कॉलेज से पास आउट ये लड़का एक खास तबके में पॉपुलर हो गया.
आलम ये है कि न सिर्फ वो बिग बॉस (ओटीटी) का हिस्सा बन रहे हैं, उसे जीत भी रहे हैं. अपनी गिरफ्तारी से 30 घंटे पहले ही उन्हें क्रिएटर अवॉर्ड मिला था. नोएडा में हुए उनके भव्य स्वागत में हिस्सा लेने हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर भी मौजूद रहे थे. सिस्टम को गाली देते देते, ये लड़का कब सिस्टम से बड़ा बन गया - हमें पता नहीं चला.
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डराना-धमकाना एल्विश यादव की आदत
हम "एनिमल" जैसी फिल्मों की बुराई करते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि न तो रणबीर कपूर आपको पीटने आएंगे और ना ही संदीप रेड्डी वांगा आपके घर आ सकते हैं. लेकिन एल्विश के बारे में लिखते हुए आपके हाथ कांपते हैं. क्योंकि वो धमकी तो देता ही है, आपके घर का पता निकाल कर आपको पीटने भी आ जाता है. मुझे यह लेख लिखते समय चार बार टोका गया. बताया गया कि एल्विश की तरफ से गाज़ियाबाद के पत्रकार को धमकाया जा चुका है. लेकिन क्या बोलने की छूट सिर्फ एल्विश को है, हम सब चुप हो जाएं और हिंसा, क्रूरता, पाश्विकता पर बस "अर्जुन वेल्ली" गाना गाते रहे?
एनिमल फिल्म की जिस Toxic Masculinity पर आप चिंतित हो रहे हैं, एल्विश और उनकी आर्मी के साथी युवा उस लाइफस्टाइल को जी रहे हैं. वो लोगों को खुलेआम मारते हैं, पुलिस को चुनौती देते हैं, सोशल मीडिया पर लिख कर धमकी देते हैं कि वो कौन हैं, वो रेस्तरां में लोगों को थप्पड़ मार देते हैं.
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महिलाओं के खिलाफ भी करते रहे हैं अभद्र टिप्पणियां
पॉपुलैरिटी के नशे में चूर एक युवा हमें दिख रहा है, जिसे हमारे बच्चे रोल मॉडल मान रहे हैं. आप अपने बच्चों को जो नहीं बनाना चाहते, ये वही सितारा है. अभिनेत्री और कंटेंट क्रिएटर कुशा कपिला के बारे में वो अपमानजनक टिप्पणी कर चुके हैं. अभिनेता अर्जुन बिजलानी को "महिला" कह चुके हैं.
एल्विश की टिप्पणियां बताती हैं कि जेंडर की समझ इस युवा को अभी नहीं है. एक देश जो "महिला दिवस" को पूरे ज़ोर शोर से मनाता है. जहां आज भी फेमिनिज़्म को समझा जाना बाकी है और Sexual Abuse का शिकार लड़कियां हो रही हैं. वहां एल्विश की टिप्पणियों को हम नज़रअंदाज़ कर दे रहे हैं और उन्हें खुली छूट है (Scott Free) कुछ भी कहने और करने की.
सांपों के ज़हर के मामले में एल्विश पर हैं संगीन आरोप
सांपों के ज़हर के मामले में अब एल्विश की गिरफ्तारी हो गई है. उन पर संगीन आरोप है कि वो दिल्ली एनसीआर में रेव पार्टीज़ का आयोजन करते थे. इन आयोजनों में ड्रग्स का इस्तेमाल होता था. यहां सांपो के ज़हर का इस्तेमाल नशे के लिए किया जाता था. विदेशी महिलाओ को यहां देह व्यापार के लिए बुलाया जाता था.
NDPC Act (Narcotics Drugs and Psychotropic Substance Act, 1985) की सात धाराएं उनके उपर लगाई गई हैं. एल्विश ने पुलिस के सामने इन आरोपों को मान भी लिया है. लेकिन अभी भी सोशल मीडिया पर एक पूरी फौज उनका समर्थन कर रही है.
हमें बतौर समाज ये समझना होगी कि ऐसे Youtubers हमारे लिए खतरा हैं. एल्विश एंटरटेनर हैं तो एंटरटेनमेंट करें, अपराध और हिंसा की सज़ा होती है - सब्सक्रिप्शन नहीं.
सोशल मीडिया स्टार को समझनी होगी अपनी जिम्मेदारी
एल्विश पहले राष्ट्रीय सितारे बन जाते हैं और फिर एक पूरी पीढ़ी के रोल मॉडल भी बनने लगते हैं. सोशल मीडिया पर उनके फॉलोवर्स देखकर हमारे बच्चे भी उनकी तरह बात करने लगेंगे. क्या आप तैयार होंगे कि आपका बेटा या बेटी एल्विश की तरह बातें करें या सांपों के ज़हर का व्यापार करे. मैं जानता हूं कि गलती युवाओं से होती है, पर एल्विश 26 साल के हैं - वो कानूनन अपने फैसले खुद ले सकते हैं. एक सोशल मीडिया स्टार को जिम्मेदार होना चाहिए, कसूरवार नहीं.
शायद लोगों को यह एल्विश से मेरी निजी परेशानी लगे, लेकिन बतौर एक पत्रकार मैं चिंता में हूँ. मैं अपनी बात आपको बस ऐसे समझा सकता हूं कि आप नोएडा-ग्रेटर नोएडा की सड़क पर गाड़ी चला रहे हैं और अचानक आपका पार्किंग को लेकर किसी एसयूवी चालक से कहा सुनी होती है. आप क्या चाहेंगे, दूसरी गाड़ी के अंदर से एल्विश यादव निकले या कोई आम आदमी. आपके मन में आया जवाब ही यह बताने के लिए काफी है कि हम बतौर समाज कहां आ गए हैं और कौन लोग 'हीरो' बन कर हमारे बीच लाइक और सब्सक्राइब बटोर रहे हैं. सिस्टम अपना काम करेगा और उन्हें सज़ा मिलेगी, लेकिन बतौर समाज हमें भी अपना काम करना चाहिए और ऐसे Hateful Abusive Content को Dislike और Report करना चाहिए.
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