Amarnath Yatra के श्रद्धालुओं को आंख उठाकर भी नहीं देख सकेंगे आतंकी, देखें कैसे हैं सुरक्षा के इंतजाम

अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए हजारों जवानों को तैनात किया गया है. इसके अलावा, ड्रोन कैमरों से निगरानी की जा रही है और खोजी कुत्तों को भी लगाया गया है. सेना, पुलिस और अर्धसैनिक बल मिलकर काम कर रहे हैं ताकि आतंकियों के मंसूबों को कामयाब न होने दिया जाए.

डीएनए हिंदी: कोरोना महामारी की वजह से अमरनाथ यात्रा (Amarnath Yatra) चार साल बाद शुरू हो रही है. 30 जून को शुरू होने जा रही इस यात्रा के लिए आर्मी ने सख्त इंतजाम किए हैं. बेस कैंप से लेकर अमरनाथ गुफा (Amarnath Cave) तक और पूरे रास्ते में सेना के जवानों की तैनाती की गई है. सुरक्षा के इंतजामों के अलावा यात्रियों की स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए भी कई खास इंतजाम किए गए हैं. आर्मी (Indian Army) के अलावा अर्धसैनिक बल और पुलिस के जवान भी पूरी मुस्तैदी से जुटे हुए हैं ताकि इस यात्रा में किसी भी प्रकार का कोई खलल न पड़ने पाए. सुरक्षा चाक-चौबंद रखने के लिए ड्रोन से निगरानी की जाएगी और यात्रियों को RFID चिप भी दी जाएगी.

तीन-चार गुना बढ़ाई गई सुरक्षा

अमरनाथ यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को अधिक खतरा होने की आशंका के मद्देनजर सुरक्षाबलों ने खास इंतजाम किए गए हैं. आतंकवादियों के हमले के खतरे को देखते हुए इस बार पहले से तीन से चार गुना अधिक सुरक्षाकर्मियों की तैनाती की जा रही है. प्रशासन को उम्मीद है कि इस बार श्रद्धालुओं की संख्या ज्यादा रहेगी क्योंकि बीते चार साल में यह पहली यात्रा हो रही है. इससे पहले वर्ष 2019 में अमरनाथ यात्रा केंद्र द्वारा जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-370 को हटाने की वजह से बीच में ही रोक दी गई थी जबकि वर्ष 2020 और 2021 में कोविड-19 महामारी की वजह से यात्रा स्थगित कर दी गई थी. 

कश्मीर में टारगेटेड किलिंग के बाद बढ़ा खतरा

हाल के दिनों में आतंकवादियों द्वारा की गई टारगेटेड किलिंग के चलते भी सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए हैं क्योंकि जम्मू-कश्मीर में खासतौर पर अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया है. अधिकारीयों का कहना है कि प्रशासन द्वारा सुरक्षित यात्रा संपन्न कराने की तमाम कोशिशों के बावजूद हम नहीं कह सकते हैं कि हमने यात्रा को शत प्रतिशत सुरक्षित बना दिया है.

2017 में अमरनाथ यात्रा पर हुआ था हमला

10 जुलाई 2017 को श्रीनगर-जम्मू नेशनल हाइवे पर अमरनाथ यात्रियों को ले जा रही बस को आतंकवादियों ने निशाना बनाया था जिसमें सात लोग मारे गए थे और 11 अन्य घायल हुए थे. कश्मीर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विजय कुमार ने 14 जून को बताया था कि लश्कर ए तैयबा के मारे गए तीन आतंकवादियों को पाकिस्तान से वार्षिक अमरनाथ यात्रा पर हमला करने के लिए भेजा गया था. उन्होंने बताया कि मारे गए तीन आतंकवादियों में दो पाकिस्तानी और एक स्थानीय आतंकी था.

सुरक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य का भी रखा जाएगा ध्यान

जम्मू-कश्मीर सरकार के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने शनिवार को कहा कि इस साल की अमरनाथ यात्रा के लिए पहलगाम और बालटाल दोनों मार्गों पर हर 2 किमी के बाद तीर्थयात्रियों के लिए चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध रहेंगी/ स्वास्थ्य सेवा (कश्मीर) के निदेशक डॉ मुश्ताक अहमद ने बताया कि 30 जून से शुरू होने वाली अमरनाथ यात्रा 2022 के लिए 100 एम्बुलेंस और 70 स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराई गई हैं. इसके अलावा, यात्रियों की जरूरतों को पूरा करने के लिए 20 ऑक्सीजन बूथ होंगे.

रास्ते में बनाए गए हैं अस्पताल

जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने 70 बेड वाले अस्पतालों का उद्धाटन किया है. डॉ. मुश्ताक अहमद ने कहा कि दो डेडिकेटेडे 70-बेड अस्पताल, बालटाल और चंदनवती में एक-एक, तीर्थयात्रियों के लिए कार्यात्मक होंगे. दक्षिण कश्मीर पहलगाम मार्ग और उत्तरी कश्मीर बालटाल मार्ग दोनों पर आईसीयू बेड उपलब्ध हैं, 1500 स्टाफ सदस्यों को 3 शिफ्टों में काम करने के लिए तैनात किया जाएगा. यात्रियों के लिए अलाव की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाएगी.

130 खोजी कुत्ते भी तैनात किए गए

यात्रा शुरू होने से ठीक पहले सुरक्षा-व्यवस्था को दुरुस्त रखने के लिए अमरनाथ यात्रा के रास्ते पर 130 खोजी कुत्ते (स्निफर डॉग) तैनात किए गए हैं. 43 दिन तक चलने वाली इस यात्रा के दौरान ये कुत्ते गाड़ियो के रास्तों की सुरक्षा के लिए काम करेंगे. ये कुत्ते रास्ते में छिपाए जाने वाले बम और लैंड माइन को आसानी से सूंघ सकते हैं जिससे आतंकियों की साजिशें नाकाम की जा सकें.

लंगर के लिए सज गए तंबू, लाखों लोग खाएंगे खाना

बालटाल बेस कैंप के पास लंगरों के लिए भी तंबू लग गए हैं. बेस कैंप के डायरेक्टर एनएस जामवाल ने बताया कि यहां सरकार खाना नहीं खिलाती है, सिर्फ़ लंगरों में ही खाना मिलता है. हर दिन लगभग डेढ़ लाख लोगों को खाना खिलाया जाता है. इस साल 38 लंगर संगठनों को अनुमति दी गई है. श्रद्धालुओं के खाने-पीने के भरपूर इंतजाम बेस कैंप पर ही किए गए हैं.

ड्रोन से निगरानी, बारूदी सुरंगों की हो रही खोज

अमरनाथ यात्रा दो रास्तों- दक्षिण कश्मीर के पहलगाम में नुनवान के पारंपरिक 48 किलोमीटर और मध्य कश्मीर के गांदरबल में बालटाल से 14 किलोमीटर छोटे मार्ग से शुरू होगी. संयुक्त तलाशी अभियान का नेतृत्व कर रहे पुलिस अधिकारी जी आर भारद्वाज ने कहा कि सुचेतगढ़ सीमा से रीगल तक लगभग आठ किलोमीटर के क्षेत्र में संयुक्त बलों द्वारा किसी भी संभावित सीमा पार सुरंग का पता लगाने पर ध्यान केंद्रित किया गया. संभव है कि घुसपैठ के लिए आतंकवादियों द्वारा सीमा पार से सुरंग खोदी गई हो. सुरक्षा चुस्त-दुरुस्त रखने के लिए सुरक्षाकर्मियों की तैनाती, ड्रोन से निगरानी के साथ-साथ आरएफआईडी चिप भी श्रद्धालुओं की दी जाएगी. इस प्रकार तीन लेवल की सुरक्षा का चक्रव्यूह बनाया गया है.