सीमा सुरक्षा पर जनरल MM Naravane ने बताईं अहम बातें, कहा- हर खतरे के लिए तैयार है सेना

जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि कि जंग के क्षेत्र में काफी बदलाव आए हैं. भारतीय सेना हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार है.

| Updated: Feb 23, 2022, 03:46 PM IST

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बुधवार को जनरल नरवणे ने कहा कि भारतीय सेना आज चुनौतीपूर्ण दौर से गुजर रही है. आप हमारी सीमाओं पर घटनाक्रम से भली भांति परिचित हैं. सेना सीमाओं पर शांति तथा स्थिरता बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है. मैं निश्चित तौर पर कहना चाहता हूं कि हम किसी भी संभावित खतरे को लेकर चौकन्ने और तैयार हैं.

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जनरल एमएम नरवणे ने कहा कि जंग के क्षेत्र में काफी बदलाव आए हैं. हथियारों के इस्तेमाल और जंगें कैसे लड़ी जाती हैं, इनमें काफी परिवर्तन आए हैं. उन्होंने कहा कि सेना ने नए हथियारों और अधुनिक उपकरणों से अपनी दक्षता बढ़ाई है. बदलाव की यह प्रक्रिया जारी है लेकिन पिछले दो से तीन वर्षों में इन प्रयासों में नई तीव्रता और गति आई है.

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सेना प्रमुख एमएम नरवणे ने बुधवार को बेंगलुरु में चार पैराशूट बटालियनों को प्रतिष्ठित प्रेजीडेंट्स कलर्स से सम्मानित किया. जिन चार बटालियनों को प्रेजीडेंट्स कलर्स से सम्मानित किया गया, उनमें 11 पैरा (स्पेशल फोर्स), 21 पैरा (स्पेशल फोर्स), 23 पैरा और 29 पैरा शामिल हैं. यहां पैराशूट रेजीमेंट प्रशिक्षण केंद्र (पीआरटीसी) में 'कलर प्रेजेंटेशन परेड' आयोजित की गई थी.

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जनरल नरवणे ने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की ओर से पैरा बटालियनों को निशान से सम्मानित करना उनके लिए गर्व की बात है. उन्होंने चार बटालियनों के सभी अधिकारियों को बधाई दी. उन्होंने कहा कि पैराशूट रेजीमेंट भारतीय सेना की सर्वश्रेष्ठ रेजीमेंट में से एक है और इसकी अपनी प्रतिष्ठित विरासत है. इसे युद्ध मैदानों में शौर्य और साहस के लिए पहचाना जाता है. देश को इस बटालियन की उपलब्धियों पर गर्व है.

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सेना प्रमुख ने पैराशूट रेजीमेंट के देश के लिए जान न्योछावर करने वाले सभी सैनिकों को श्रद्धांजलि भी दी. इस मौके पर सेना के वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे. परेड में आठ पैरा ट्रूपर्स ने कॉम्बैट फ्री फॉल का प्रदर्शन भी किया. हालांकि, तेज हवाओं की वजह से पैरामोटर उड़ान का प्रदर्शन रद्द कर दिया गया था. प्रेजीडेंट्स कलर्स पुरस्कार युद्ध और शांति दोनों के दौरान राष्ट्र को दी गई असाधारण सेवा की पहचान के लिए किसी सैन्य टुकड़ी को दिया जाने वाला सबसे बड़ा सम्मान है. इसे निशान के नाम से भी जाना जाता है. (भाषा इनपुट के साथ)