Bastar Cafe: नक्सली हमलों, बम धमाकों और अपराध के लिए चर्चित बस्तर में अब कॉफी की खेती रफ्तार पकड़ रही है और उत्पादन भी अच्छा हो रहा है.
छत्तीसगढ़ का बस्तर जिला कभी नक्सलियों और माओवादियों का गढ़ माना जाता था. बस्तर से आने वाली हर खबर यही होती थी कि नक्सली हमने में कहीं जवान शहीद हुए तो कहीं घायल हो गए. सुरक्षाबलों और नक्सलियों की मुठभेढ़ का नुकसान आम लोगों को सबसे ज्यादा उठाना पड़ता था क्योंकि यही लोग दोनों तरफ से पिसते थे. अब इसी बस्तर की तस्वीर बदल रही है. गोली, बम और बारूद की गंध वाला बस्तर अब कॉफी की खुशबू से महक उठा है. उम्मीद जताई जा रही है कि आने वाले कुछ सालों में बस्तर कॉफी उत्पादन का बड़ा हब बनकर उभरेगा.
Coffee Cultivation
बस्तर में किसानों को प्रशासन से मदद मिल रही है. इसका नतीजा यह हुआ है कि बस्तर के कई इलाकों में कॉफी की खेती ने जोर पकड़ा है. अब फसलें तैयार भी होने लगी हैं और बस्तर की खुद की कॉफी की बिक्री भी होने लगी है.
Experiment Successful
बागवानी वैज्ञानिक डॉ. केपी बताते हैं कि साल 2017-18 में प्रयोग के लिए 20 एकड़ में कॉफी अरैबिका की चार किस्में और कॉफी रोबस्टा की इस किस्म की खेती की शुरुआत बस्तर में की गई थी.
Coffee Production
साल 2020-21 में कॉफी की पहली फसल तैयार हुई. इसके सैंपल जब कॉफी बोर्ड को भेजे गए तो उन्हें 6 से 6.4 की रेटिंग मिली जो कि काफी अच्छी है. इसके बाद साल 2021-22 में 100 एकड़ में कॉफी की खेती की गई. अब किसानों को भी इसका अच्छा फायदा मिल रहा है.
New Identity of Bastar
बस्तर के कलेक्टर चंदन कुमार का कहना है, 'हमारे लिए हमेशा से सबसे बड़ी चुनौती यहां के लोगों को मुख्य धारा से जोड़ना और उनके लिए रोजगार सुनिश्चित करना रहा है ताकि वे प्रगति के रास्ते पर आगे बढ़ सकें. यहां की कॉफी बस्तर की नई पहचान बनेगी.'
Bastar Cafe
कलेक्टर चंदन कुमार का कहना है कि अब बस्तर में 350 एकड़ में कॉफी की फसल लगाई जा रही है. लोगों को कॉफी से जोड़ने और उसकी खुशबू और स्वाद से परिचित कराने के लिए 'बस्तर कैफे' शुरू किया गयाहै. लोगों को यह पसंद आ रहा है और यह तय है कि आने वाले समय में इसकी मांग बढ़ने वाली है.