क्या होती है गणतंत्र दिवस पर होने वाली Beating The Retreat सेरेमनी, इस बार क्यों है खास

Beating The Retreat सेरेमनी इस साल 1 दिन पहले यानी 23 जनवरी से ही शुरू हो गया है. गणतंत्र दिवस पर होने वाला यह समारोह बहुत खास होता है. 

बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी को लेकर इस बार काफी चर्चा हो रही है. नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती की वजह से इस साल यह सेरेमनी 1 दिन पहले 23 जनवरी को शुरु हो गई है. गणतंत्र दिवस पर होने वाला यह समारोह बहुत खास होता है और भारतीय सेना इसके लिए खास तौर पर तैयारी भी करती है. जानें इस समारोह से जुड़ी सभी खास बातें. 

गणतंत्र दिवस समारोह का समापन 

सप्ताह भर चलने वाले गणतंत्र दिवस समारोह के समापन का प्रतीक बीटिंग द रिट्रीट होता है. इस दौरान राष्ट्रपति सेनाओं को अपनी बैरकों में लौटने की इजाजत देते हैं. इसके साथ ही गणतंत्र दिवस समारोह का समापन हो जाता है. पहले यह 24 जनवरी से शुरू होता था. इस साल से नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती यानी 23 जनवरी से इसकी शुरुआत हुई है.

स्वर्णिम विजय धुन इस बार है खास

इस बार बीटिंग-रिट्रीट सेरेमनी की शुरुआत 1971 युद्ध में पाकिस्तान पर मिली जीत के लिए तैयार की गई खास धुन से हो रही है. इस धुन को ‘स्वर्णिम विजय’ थीम नाम दिया गया है. 29 जनवरी को गणतंत्र दिवस समारोह का आधिकारिक समापन होता है. 
 

राष्ट्रपति होते हैं समारोह के मुख्य अतिथि

बीटिंग द रिट्रीट (Beating The Retreat) नाम के इस समारोह का आयोजन 29 की शाम होता है. इस दौरान सेना की तीनों शाखाएं पारंपरिक धुन बजाते हुए मार्च करती हैं. विजय चौक में होने वाले इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि राष्ट्रपति होते हैं. इस दौरान राष्ट्रपति से गणतंत्र दिवस समारोह खत्म करने की अनुमति मांगी जाती है.

सेना की बैरक वापसी का प्रतीक 

दरअसल 'बीटिंग द रिट्रीट सेरेमनी' सेना की बैरक वापसी का प्रतीक है. दुनिया भर में बीटिंग रिट्रीट की परंपरा रही है. पुराने समय में जब लड़ाई के दौरान सेनाएं सूर्यास्त होने पर हथियार रखकर अपने कैंप में जाती थीं. सेनाओं की वापसी पर एक संगीतमय समारोह होता था, इसे बीटिंग रिट्रीट कहा जाता है. भारत में बीटिंग रिट्रीट की शुरुआत 1950 के दशक में हुई थी.

राष्ट्रपति भवन और आस-पास के इलाकों की खास सजावट

रायसीना रोड पर राष्ट्रपति भवन के सामने इसका प्रदर्शन किया जाता है. बैंड वादन के बाद रिट्रीट का बिगुल वादन होता है. इस दौरान बैंड मास्‍टर राष्‍ट्रपति के पास जाते हैं और बैंड वापस ले जाने की इजाजत मांगते हैं. इसका मतलब होता है कि 26 जनवरी का समारोह पूरा हो गया है और बैंड मार्च वापस जाते समय लोकप्रिय धुन "सारे जहां से अच्‍छा" बजाते हैं. इसके लिए राष्ट्रपति भवन, विजय चौक, नॉर्थ ब्लॉक, साउथ ब्लॉक बेहद सुंदर रोशनी के साथ सजाया जाता है.