Bipin Rawat: UN मिशन, करगिल युद्ध जैसी उपलब्धियों से भरा जीवन

देश के पहले CDS Bipin Rawat साहसी सैनिक, दूरदर्शी नायक रहे. अपने करियर में उन्होंने ऐसी कई उपलब्धियां हासिल की, जिन पर पूरे देश को नाज है.

CDS Bipin Singh Rawat के जीवन में बतौर सैनिक और मिशन प्रमुख के तौर पर शानदार उपलब्धियां रहीं. 1978 में सेना की 11वीं गोरखा राइफल्स की पांचवीं बटालियन में कमीशन मिला था. वीरता और अद्भुत नेतृत्व की उपलब्धियों से भरा उनका करियर बहुत चमकदार रहा है. नज़र डालते हैं उनके करियर की ऐसी ही उपलब्धियों पर...
 

सीने पर सजे बहादुरी के कई मेडल

जनरल बिपिन रावत ने कई मुश्किल मिशन में हिस्सा लिया और बाद में ऐसे ही कई बड़े मिशन का नेतृत्व भी किया था. इन्हीं उपलब्धियों की वजह से उन्हें करियर में कई मेडल से नवाजा गया. जनरल रावत को उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, युद्ध सेवा मेडल, सेना मेडल, विदेश सेवा मेडल जैसे मेडल मिले. 

संघर्ष वाले इलाकों में दिखाई अद्भुत बहादुरी

जनरल बिपिन रावत को उनकी सर्विस के दौरान ऊंचाई वाले अशांत क्षेत्रों में मिशन सफल कराने के लिए जाना जाता था. रावत के पास अशांत इलाकों में लंबे समय तक काम करने का अनुभव रहा. नॉर्थ में मिलिट्री फोर्स के पुनर्गठन, पश्चिमी फ्रंट पर आतंकवाद और प्रॉक्सी वॉर और पूर्वोत्तर में जारी संघर्ष वाले मोर्चे पर उन्होंने लंबे समय तक काम किया. 

करगिल युद्ध में लिया था हिस्सा 

जनरल रावत ने 1999 में करगिल युद्ध में अपनी टुकड़ी के साथ हिस्सा लिया था. जनरल रावत उस टुकड़ी के नेतृत्वकर्ता भी थे. यह भी दिलचस्प संयोग है कि इसी युद्ध के बाद तत्कालीन उपप्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी की अध्यक्षता में बैठक हुई थी. उस वक्त वायु सेना के साथ तालमेल में कमी की बात सामने आई थी. उसके बाद ही तीनों सेनाओं में बेहतर तालमेल के लिए CDS (चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ) की नियुक्ति का सुझाव दिया गया था. बाद में उन्होंने देश के पहले CDS के तौर पर पद भी संभाला. 
 

वरिष्ठता नहीं योग्यता से बने थे सेना प्रमुख 

जनरल बिपिन रावत गोरखा ब्रिगेड से निकलने वाले पांचवे अफसर हैं जो भारतीय सेना प्रमुख बने. 1987 में चीन से छोटे युद्ध के समय जनरल बिपिन रावत की बटालियन चीनी सेना के सामने डटी रही. दिसंबर 2016 में भारत सरकार ने जनरल बिपिन रावत को दो वरिष्ठ अधिकारियों लेफ्टिनेंट जनरल प्रवीन बक्शी और लेफ्टिनेंट जनरल पीएम हारिज को दरकिनार कर सेना प्रमुख बनाया था. जनरल रावत के बड़े अनुभव और नेतृत्व क्षमता को देखकर यह फैसला लिया गया था. 

UN मिशन में भी बचाई 7,000 लोगों की जान

बिपिन रावत ने भारत में ही नहीं बल्कि अंतराष्ट्रीय स्तर पर भी कई मिशन अंजाम दिए. वह कांगो में UN मिशन का हिस्सा थे. ऐसा कहा जाता है कि उस समय एक बड़े हादसे में उन्होंने सही समय पर सतर्कता दिखाते हुए  7000 लोगों की जान बचाई थी.