Char Dham Yatra: केदारनाथ में श्रद्धालु फैला रहे कूड़ा-कचरा, बढ़ रहा 2013 जैसी त्रासदी का खतरा

केदारनाथ घाटी में पर्यटकों के आने-जाने के साथ ही कूड़े-कचरे का अंबार लग गया है. विशेषज्ञ इसे पर्यावरण के लिए बड़ा खतरा बता रहे हैं.

चार धाम यात्रा (Char Dham Yatra) शुरू होने के साथ ही उत्तराखंड की केदारनाथ घाटी (Kedarnath Valley) में श्रद्धालुओं के तंबू लग गए हैं. लोगों के आने-जाने की वजह से केदारनाथ घाटी में कचरे का अंबार लग गया है. इतनी संवेदनशील जगह पर इतना कूड़ा-कचरा फेंके जाने की वजह से स्थानीय वनस्पतियों को तो नुकसान पहुंच ही रहा है, भूस्खलन जैसी घटनाओं की आशंका भी बढ़ती जा रही है.

घाटी में गंदगी बढ़ा रही चिंता

केदारनाथ धाम जाने के लिए रास्ता काफी दुर्गम और मुश्किल है. यहां पहुंचने के लिए पहले श्रद्धालु सोनप्रयाग आते हैं फिर गौरीकुंड तक गाड़ी से जाते हैं. इसके बाद 16 किलोमीटर लंबे पैदल ट्रैक की शुरुआत होती है. यहां पर साफ-सफाई के इंतजाम आम जगहों की तरह नहीं हैं, ऐसे में इतने बड़े स्तर पर गंदगी चिंता का विषय है.
 

श्रद्धालु ही फैला रहे कूड़ा-कचरा

चार धाम यात्रा के दौरान हजारों श्रद्धालु हर दिन दर्शन-पूजन के लिए पहुंचते हैं. कैंप में रुकने वाले यही लोग अपने पीछे प्लास्टिक के बोतल, पॉलिथीन और अन्य कई तरह के कचरे छोड़ जाते हैं. सामने आई तस्वीरों में देखा जा सकता है कि घाटी में लोगों ने इतना कचरा छोड़ा है कि वहां भी अब कूड़े के छोटे-मोटे पहाड़ दिखने लगे हैं.

3 मई से शुरू हुई है चार धाम यात्रा

चारधाम यात्रा 3 मई से शुरू हुई है. चारों धाम- बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के लिए उत्तराखंड शासन ने श्रद्धालुओं की संख्या तय कर रखी है. आदेश के मुताबिक, बदरीनाथ धाम में प्रतिदिन 15 हजार, केदारनाथ धाम में 12 हजार, गंगोत्री धाम में सात हजार और यमुनोत्री धाम में चार हजार तीर्थयात्री ही दर्शन कर सकते हैं.

बढ़ सकता है भूस्खलन

गढ़वाल सेंट्रल यूनिवर्सिटी के भूगोल विभाग के हेड प्रोफेसर एमएस नेगी कहते हैं, 'केदारनाथ जैसे संवेदनशील स्थल पर जिस तरह प्लास्टिक का कचरा इकट्ठा हो गया है वह हमारी पारिस्थितिकी के लिए बेहद नुकसान दायक है. इससे भूक्षरण होगा और इसका नतीजा भूस्खलन के रूप में देखने को मिलेगा. हमें 2013 में हुई त्रासदी को ध्यान रखना चाहिए और सतर्क रहना चाहिए.'

वनस्पतियों को हो रहा भारी नुकसान

एचएपीपीआरसी के डायरेक्टर प्रोफेसर एमसी नौटियाल कहते हैं, 'यहां पर्यटकों का आना-जाना कई गुना बढ़ गया है, इस वजह से प्लास्टिक कचरा भी बहुत तेजी से बढ़ा है. दूसरा कारण यह भी है कि यहां सफाई की उचित सुविधाएं भी नहीं हैंय इस वजह से यहां की प्राकृतिक संपदा पर असर पड़ रहा है. यहां के औषधीय पौधे भी विलुप्त होते जा रहे हैं.'