Nitish-Tejashwi Meet: नीतीश-तेजस्वी की मुलाकात में नई राजनीतिक संभावनाएं क्यों देख रहे हैं चिराग पासवान?
चिराग पासवान के हाथों से उनकी पार्टी की कमान चली गई है. वह बिहार में अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं.
डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 14, 2022, 12:46 PM IST
चिराग पासवान ने शुक्रवार को दावा किया कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (Nitish Kumar) ने विपक्ष के नेता तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) से हाल में की मुलाकात के दौरान खुद के सत्ता में बने रहने को लेकर बातचीत की होगी. चिराग पासवान जातिगत जनगणना के मुद्दे पर इस सप्ताह की शुरुआत में कुमार की राजग नेता यादव के साथ बैठक के बारे में पत्रकारों के सवालों का जवाब दे रहे थे.
चिराग पासवान अपने दिवंगत पिता रामविलास पासवान द्वारा बनाई गई पार्टी में अब अलग-थलग खड़े हैं. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच हुई बातचीत पर कटाक्ष करते हुए चिराग पासवान ने पूछा कि बिहार में जातिगत जनगणना के लिए बंद कमरे में कौन सी बात हो रही है या नीतीश कुमार अपनी सहयोगी बीजेपी से एक फिर अलग होकर सत्ता में बने रहने के तरीकों पर चर्चा कर रहे हैं?
बिहार के विधानसभा चुनावों में चिराग पासवान ने खुद को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हनुमान बताया था. अब पीएम मोदी के हनुमान को बिहार की नई सियासी साजिश की भनक लग गई है. नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव के बीच हुई मुलाकात पर हैरानी जाहिर करते हुए चिराग पासवान ने कहा है कि सीएम कैसे तेजस्वी यादव को इतना वक्त दे सकते हैं.
चिराग पासवान को हैरानी इस बात की भी है कि राष्ट्रीय जनता दल (RJD) की इफ्तार पार्टी में शामिल होने नीतीश कुमार खुद पैदल निकल पड़े. यह कहा जाता रहा है कि नीतीश कुमार का नाम जब मनी लॉन्ड्रिंग केस में सामने आया था तब उन्होंने आरजेडी से किनारा करके बीजेपी से हाथ मिला लिया था. अब चिराग पासवान बिहार में नए सियासी समीकरणों की वापसी देख रहे हैं.
चिराग पासवान के बयानों को सच मानें तो ऐसा लग रहा है कि बिहार में नीतीश कुमार नई संभावनाएं तलाश रहे हैं. वह सेफ साइड पर चलना चाह रहे हैं. ऐसी खबरें सामने आई थीं कि नीतीश कुमार की सक्रिय राजनीति से छुट्टी होने वाली है. भारतीय जनता पार्टी (BJP) उन्हें राष्ट्रपति बनाना चाहती है. हालांकि ऐसी अटकलें सिर्फ अटकलें ही रहीं. जनता दल (यू) ऐसा करती नजर नहीं आ रही है. नीतीश कुमार इतने सहज भी नहीं हैं कि उनकी मर्जी के खिलाफ विदाई हो जाए. आरजेडी के शीर्ष नेतृत्व से नजदीकियां जाहिर तौर पर बीजेपी के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाली है.