Omicron से घबराने की जरूरत नहीं, जानिए क्यों बोल रहे Health Experts?

देश में Coronavirus का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है. मंगलवार को 37,000 से ज्यादा Covid-19 केस सामने आए थे.

| Updated: Jan 05, 2022, 07:16 AM IST

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कोविड-19 के संक्रमण का पता लगाने के लिए सबसे सटीक तरीका RT-PCR टेस्ट है. इसलिए जब भी आपके अंदर ये लक्षण दिखे तो जल्द से जल्द अपनी जांच कराएं. जिन लोगों में सर्दी के लक्षण दिखते हैं, उन्हें कोरोना टेस्ट कराने की सलाह दी जाती है, ताकि संक्रमण को बढ़ने से रोका जा सके. इसके साथ ही यह भी सलाह दी जाती है कि जब तक टेस्ट रिपोर्ट ना आ जाए और यह कंफर्म ना हो जाए कि आप कोरोना संक्रमित नहीं हैं, तब तक घर पर ही रहें.

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कोरोना के सबसे ज्यादा मामले महाराष्ट्र से सामने आ रहे हैं. अकेले महाराष्ट्र से 19.92 प्रतिशत केस दर्ज किए गए हैं. यहां पिछले 24 घंटे में  33,470 केस सामने आए हैं. इसके अलावा पश्चिम बंगाल औऱ दिल्ली में सबसे ज्यादा मामले दर्ज किए जा रहे हैं 

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दिल्ली में अब तक कुल 382 ओमिक्रॉन संक्रमित मरीज मिले हैं जिनमें से 138 मरीज लोक नायक जयप्रकाश अस्पताल (LNJP) में भर्ती थे. अस्पताल के मेडिकल डायरेक्टर डॉक्टर सुरेश कुमार के मुताबिक एलएनजेपी में अब तक जितने भी ओमिक्रॉन मामले आए थे, उनमें से करीब 85-90 प्रतिशत ऐसे मरीज थे जिनमें फ्लू के कोई लक्षण नहीं थे, जिनका इलाज आइसोलेट रखकर घर पर ही किया जा सकता था. 

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एलएनजेपी में ओमिक्रॉन संक्रमण से भर्ती 138 में से कुल 105 मरीज महज 5 से 7 दिन में निगेटिव होकर अपने घर जा चुके हैं. ओमिक्रॉन से संक्रमित मरीजों में लक्षण केवल उन्हीं में थे जो पहले से बीमार थे और उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम थी, हालांकि ये लक्षण सामान्य सर्दी-खांसी के थे.
 

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दिल्ली के मैक्स हॉस्पिटल में दिसंबर 2021 से ओमिक्रॉन के मरीजों का इलाज कर रहे डॉक्टर विवेक नांगिया के मुताबिक अब तक उनके अस्पताल में जितने भी संक्रमित मरीज आए हैं, उनमें से सभी सामान्य पैरासिटामोल (Paracetamol) और एंटी एलर्जी दवाओं से ठीक हो चुके हैं. वहीं डेल्टा वेरिएंट के कहर के दौरान दूसरी लहर में कोरोना वायरस के मरीजों को स्टेरॉयड से लेकर मोनोक्लोनल एंटीबॉडी ट्रीटमेंट तक देना पड़ा. इसका सबसे बड़ा कारण ओमिक्रॉन रोगियों में कोई गंभीर लक्षण नहीं होना या ऑक्सीजन  स्तर का ठीक रहना है.

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दिल्ली में भी मई 2021 के बाद सबसे ज्यादा कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं लेकिन इसका असर फिलहाल अस्पतालों में नहीं दिख रहा है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि दिल्ली में 14,000 से ज्यादा एक्टिव केस हैं जिनमें से सिर्फ 1,308 मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराने की जरूरत पड़ी है.

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दिल्ली में वहीं 14,000 से ज्यादा एक्टिव केस में से केवल 544 को ऑक्सीजन की जरूरत है, 131 को आईसीयू और 62 मरीजों को वेंटिलेटर की जरूरत है. यानी दिल्ली के 100 कोरोना संक्रमित मरीजों में से 9 को ही अस्पताल में भर्ती कराना पड़ रहा है. वहीं, 100 में से 4 कोरोना संक्रमित मरीजों को ऑक्सीजन की जरूरत पड़ रही है. दिल्ली में 100 में से करीब 1 कोरोना संक्रमित मरीज के लिए आईसीयू की जरूरत है और हर 250वें कोरोना संक्रमित मरीज के लिए वेंटिलेटर की जरूरत पड़ रही है.

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बीते 24 घंटों के अन्य आंकड़ों के अनुसार इस दौरान कोरोना से होने वाली मौत के मामले भी बढ़े हैं. पिछले 24 घंटे में कोरोना से 441 लोगों की मौत हुई है. इस दौरान रिकवर होने वालों की संख्या 1, 88, 157 है. 

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 हाल ही में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस (IISc) और इंडियन स्टेटिकल इंस्टीट्यूट (ISI) बेंगलुरु की संयुक्त स्टडी में भी तीसरी लहर की आशंका जाहिर की गई है. इस स्टडी के मुताबिक देश में जनवरी के अंतिम सप्ताह से फरवरी तक कोरोना की तीसरी लहर अपने पीक (Peak) पर हो सकती है. तीसरी लहर के दौरान हर दिन औसतन 10 लाख केस सामने आ सकते हैं.