क्या फरवरी में Omicron की वजह से आएगी Covid की तीसरी लहर?

नेशनल कोविड-19 पैनल के चीफ ने कोरोना की तीसरी लहर को लेकर एक गंभीर चेतावनी दी है.

कोरोना वायरस (Coronavirus) के नए वेरिएंट ओमिक्रॉन (Omicron) के बढ़ते मामलों की वजह से स्वास्थ्य विशेषज्ञ चिंता में हैं. हर दिन देश के अलग-अलग हिस्से में ओमिक्रॉन के मामले सामने आ रहे हैं. हर किसी के दिमाग में एक सवाल है कि क्या ओमिक्रॉन की वजह कोरोना की तीसरी लहर देश में दस्तक दे सकती है?

फरवरी में आ सकती है कोरोना की तीसरी लहर

नेशनल कोविड-19 सुपरमॉडल कमेटी ने लोगों के इसी सवाल का जवाब दिया है. शनिवार को कमेटी ने एक गंभीर चेतावनी जारी की है. कोविड-19 के इस पैनल ने आशंका जाहिर की है कि कोरोना की तीसरी लहर अगले साल फरवरी में दस्तक दे सकती है.

दूसरी लहर की तरह भयावह नहीं होंगी स्थितियां

नेशनल कोविड-19 सुपरमॉडल कमेटी के प्रमुख विद्यासागर ने कहा है कि भारत में तीसरी लहर फरवरी 2022 में आ सकती है. ओमिक्रॉन वेरिएंट की वजह से ही तीसरी लहर आएगी. हालांकि राहत की बात ये उन्होंने कही है कि ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना की दूसरी लहर की तरह भयावह स्थितियां नहीं पैदा होंगी.

हर दिन बढ़ेगा ओमिक्रॉन संक्रमण

कोविड-19 एक्सपर्ट ने कहा है कि तीसरी लहर, दूसरी लहर की तुलना में हल्की होगी क्योंकि अब देश की बड़ी आबादी कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी हासिल कर चुकी है. ओमिक्रॉन के लक्षण हल्के रहेंगे ऐसे में दूसरी लहर की तुलना में देश में हर दिन ज्यादा केस सामने आ सकते हैं. 

क्या खतरनाक होगा ओमिक्रॉन?

नेशनल कोविड-19 सुपरमॉडल कमेटी के प्रमुख ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में यह भी कहा कि महामारी की तीसरी लहर में हर दिन सामने आते मामले दो बातों पर निर्भर करेंगे. पहला ये कि ओमिक्रॉन किस हद तक डेल्टा वेरिएंट से प्राप्त इम्युनिटी को बेअसर कर सकता है. 

तीसरी लहर में हर दिन आएंगे 2 लाख नए केस!

कोविड एक्सपर्ट ने भी कहा कि महामारी की तीसरी लहर के दौरान देश में हर दिन 2 लाख नए केस सामने आ सकते हैं. लेकिन ये अनुमान हैं, भविष्यवाणी नहीं. हम तब अनुमान लगाना शुरू कर सकते हैं जब एक बार यह पता चल जाए कि आबादी को यह किस तरह से प्रभावित कर सकता है.

अभी होनी है पूर्ण समीक्षा

अभी इसे प्री-प्रिंट पर पोस्ट किया गया है और इसकी पूर्ण समीक्षा नहीं हुई है. इस अध्ययन में ओमिक्रोन का SARS-CoV-2 के वुहान स्ट्रेन और अन्य चिंताजनक वेरिएंट्स के साथ पर्यावरणीय स्थिरता में अंतर का विश्लेषण किया गया है.