वैज्ञानिकों, स्वास्थ्य विशेषज्ञों और उद्योग के जानकारों का कहना है कि बूस्टर खुराक लगवाने में हिचक की मुख्य वजह प्रतिकूल प्रभाव का डर है. कोविड-19 का मामूली संक्रमण होने की सोच व एहतियाती खुराक के असर को लेकर लोगों के मन में संशय है. विषाणु रोग विशेषज्ञ टी जैकब जॉन के मुताबिक, बूस्टर खुराक को लेकर हिचक इसलिए भी है क्योंकि विशेषज्ञों के दावे भ्रमित करने वाले हैं.
2
विषाणु रोग विशेषज्ञ टी जैकब जॉन ने कहा, “मुझे बूस्टर खुराक पर स्थिति स्पष्ट करने के लिए कई प्रश्न मिलते हैं इसलिए मैं जानता हूं कि सरकार की ‘शैक्षिक गतिविधि’, जो अत्यधिक कमजोर लोगों का टीकाकरण पूरा कर कोविड-19 से होने वाली मौतों, अस्पताल में भर्ती होने की दर और गंभीर लक्षणों के उभरने का जोखिम घटाना चाहती है, वह जागरुक करने से ज्यादा भ्रमित करने वाली है.”
3
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के सेंटर ऑफ एडवांस्ड रिसर्च इन वायरोलॉजी के पूर्व निदेशक ने कहा कि लंबे समय तक लोगों को बताया गया था कि पूर्ण टीकाकरण का मतलब दो खुराक है. ऐसे में एहतियात खुराक शब्द ने भ्रम की स्थिति पैदा की है. कोविशील्ड का निर्माण करने वाले सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) के सीईओ अदार पूनावाला ने बीते हफ्ते कहा था कि उनके स्टॉक में बड़ी संख्या टीके मौजूद हैं.
4
अदार पूनावाला ने कहा, “हमने 31 दिसंबर 2021 को उत्पादन बंद कर दिया था. मौजूदा समय में हमारे पास 20 करोड़ से अधिक खुराक मौजूद हैं. मैंने इन्हें मुफ्त में देने की पेशकश की है लेकिन उस प्रस्ताव पर भी ज्यादा अच्छी प्रतिक्रिया नहीं मिली है.” टाइम्स नेटवर्क इंडिया इकोनॉमिक कॉन्क्लेव में पूनावाला ने कहा, “ऐसा लगता है कि लोगों में टीके को लेकर हिचक है. कीमतों के 225 रुपये प्रति खुराक तक घटने के बावजूद इनकी ज्यादा खरीद नहीं हो रही है.”
5
इकरिस फार्मा नेटवर्क के सीईओ प्रवीण सीकरी की नजर में लोग एहतियाती खुराक की जरूरत पर सवाल उठा रहे हैं. कोविड-19 संक्रमण की पिछली लहर ज्यादा घातक नहीं थी. प्रवीण सीकरी ने कहा कि टीकाकरण विरोधी लोग टीका लगवाने से बच्चों का लिवर खराब होने, खून के थक्के जमने और लोगों की मौत होने जैसी झूठी खबरें फैला रहे हैं. इससे लोगों में टीकाकरण को लेकर हिचक पैदा हो रही है.