इसके बाद किसानों ने वहीं पक्का धरना लगाने का ऐलान किया है. दलेवाल और लक्खोवाल ने माइक पर सभी किसानों से अपील की कि वे शांत होकर यही पर बैठ जाएं, यही पर बैठकर वह सरकार के खिलाफ धरना देंगे. वहीं किसान नेताओं के कहने के बावजूद कुछ नौजवान चंडीगढ़ की तरफ कूच करने की कोशिश में थे, लेकिन किसान नेताओं की तरफ से सख्ती कर उन्हें रोक दिया गया। इससे पहले डीआईजी गुरप्रीत भुल्लर ने किसानों नेताओं से बातचीत कर उन्हें समझाया लेकिन किसान नहीं माने.
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प्रदर्शन कर रहे किसानों ने गेहूं के लिए 500 रुपये बोनस की मांग की. उन्होंने कहा कि इस पर सीएम ने सहमति जताई लेकिन अधिसूचना जारी नहीं की. हम बासमती, मूंग पर एमएसपी के लिए अधिसूचना की भी मांग करते हैं. बिजली के प्रीपेड मीटर नहीं लगाए जाने चाहिए. मांगें पूरी होने तक हम चंडीगढ़ जाएंगे और दिल्ली जैसा मोर्चा लगाएंगे.
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वहीं किसानों के प्रदर्शन को देखते हुए चंडीगढ़ पुलिस ने सीमाएं सील कर दी हैं. एसएसपी कुलदीप चहल भी मौके पर हैं. किसानों के प्रदर्शन से घबराई सरकार ने उन्हें मीटिंग के लिए बुला लिया है. खुद अधिकारी बस में किसानों को चंडीगढ़ स्थित पंजाब भवन में ले गए.
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किसान संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले मोहाली पहुंचे हैं. किसानों ने बताया कि सरकार उनके संघर्ष को हल्के में ले रही थी. जब रात को गांव से ट्रालियां मोहाली की तरफ निकली थी तो सरकार हरकत में आई थी. इस दौरान पहले खेतीबाड़ी विभाग के सीनियर अधिकारियों, मोहाली प्रशासन के अधिकारियों के उन्हें फोन आने लगे थे. रात में ही मुख्यमंत्री से मीटिंग कराने का आश्वासन दिए जाने लगे थे. उस समय किसानों ने फैसला लिया था कि किसान मोहाली जाएंगे. उसके बाद जो भी फैसला होगा वह देख लिया जाएगा.
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किसानों का काफिला देखकर चंडीगढ़ प्रशासन और मोहाली के अधिकारियों की सोमवार रात ही ज्वाइंट मीटिंग हुई थी. रात 12 बजे ही चंडीगढ़ और मोहाली सीमा से लगते एरिया में पक्के बैरिकेड लगा दिए गए थे. इसके अलावा सीसीटीवी कैमरे थे. गौरतलब है कि मंगलवार सुबह प्रमुख सड़कों पर बैरिकेड के अलावा टिप्पर खड़े कर दिए गए ताकि किसान आगे न बढ़ पाएं. इसके अलावा दो हजार से अधिक पुलिस कर्मी करीब तीन किलोमीटर के एरिया में तैनात किए गए हैं. हालांकि किसानो ंको प्रदर्शन धीरे-धीरे उग्र हो रहा है.