Photos: सर्दी, धूप और बारिश में चट्टान बन डटे रहे किसान, फतह के बाद Delhi Border से लौट रहे घर!

किसान पिछले साल 26 नवंबर से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर तीनों कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे.

तीनों कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसान अब अपने घरों को लौट रहे हैं. केंद्र सरकार (Modi Government) से कृषि कानूनों की वापसी और किसानों की मांगों पर सहमति पत्र मिलने के बाद किसानों ने सिंघु बॉर्डर  (Singhu Border) से भी लौटना शुरू कर दिया है. 26 नवंबर 2020 से ही किसान दिल्ली की सीमाओं पर डटे हुए थे. सर्दी, गर्मी, धूप और बारिश भी किसान आंदोलन पर असर न डाल सकी. किसान अडिग होकर दिल्ली की सीमाओं पर डटे रहे.

कृषि कानूनों की वापसी पर खुश हैं किसान

संयुक्त किसान मोर्चा (SKM) के प्रदर्शन खत्म करने के ऐलान के बाद किसान अब खुश नजर आ रहे हैं. भारतीय किसान यूनियन (BKU) पंजाब के कार्यकारी सदस्य मनप्रीत सिंह ने कहा है कि हमें ये जीत एक साल तक चले आ रहे संघर्ष के बाद मिली है. हमें खुशी है कि सरकार ने हमारी मांगों को मान लिया है. हम घर लौट रहे हैं. हम इसका जश्न नहीं मनाएंगे क्योंकि तमिलनाडु हेलिकॉप्टर क्रैश में हमने देश के चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) बिपिन रावत (Bipin Rawat) को खो दिया है.

'किसानों को सम्मान दे सरकार'

भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरविंदर सिंह ने किसान आंदोलन के दौरान अपनी जान गंवाने वाले सभी 700 किसानों की मौत पर दुख जाहिर किया. उन्होंने कहा कि हम निराश हैं कि इस विरोध के दौरान हमारे 700 किसानों की मौत हो गई. केंद्र ने इसके लिए कुछ नहीं कहा है. उन्होंने यह भी कहा कि जब कोई उच्च पद का अधिकारी अपनी जान गंवाता है, तो सरकार उन्हें विशेष सम्मान देती है लेकिन किसानों के मामले में ऐसा नहीं हुआ. मैं चाहता हूं कि सभी 700 मृतक किसानों के साथ भी ऐसा व्यवहार किया जाए.

'आंदोलन के दौरान नहीं बाधित हुआ ट्रैफिक'

किसानों का कहना है कि उन्होंने रास्ते से गुजरने वाले यात्रियों के लिए कभी मुश्किलें नहीं खड़ी कीं. ट्रैफिक हमेशा के जैसे ही चल रहा था. आंदोलन के वक्त से ही ट्रैफिक में गड़बड़ी शुरू हुई. किसानों ने उम्मीद जताई है कि भविष्य में भी केंद्र सरकार कृषकों का ध्यान रखेगी. सिंघू बॉर्डर पर एक प्रदर्शनकारी की मां गुरविंदर कौर ने कहा कि मेरा बेटा इस आंदोलन की शुरुआत से ही यहां विरोध प्रदर्शन कर रहा है. हमें खुशी है कि हमने काफी संघर्ष के बाद यह लड़ाई जीती. केंद्र सरकार ने एक अच्छा फैसला लिया है.

अगर मांगें पूरी नहीं हुईं तो फिर से होगा आंदोलन

किसान नेता गुरनाम सिंह चारुनी ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि हमने अपना आंदोलन स्थगित करने का फैसला किया है. हम 15 जनवरी को समीक्षा बैठक करेंगे. अगर सरकार अपने वादे पूरे नहीं करती है तो हम अपना आंदोलन फिर से शुरू कर सकते हैं. जहां तक मुआवजे की बात है तो यूपी और हरियाणा ने सैद्धांतिक सहमति दे दी है.

अपने घरों की ओर लौट रहे किसान

26 नवंबर 2020 से दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर तीन कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसानों ने बुधवार को घोषणा की कि वे अपने साल भर के आंदोलन को स्थगित कर रहे हैं और 11 दिसंबर तक विरोध स्थलों को खाली कर देंगे.

किसानों की मांगों के आगे झुकी सरकार!

 किसान नेता दर्शन पाल सिंह ने भी कहा कि प्रदर्शन कर रहे किसान 11 दिसंबर को धरना स्थल खाली कर देंगे. इससे पहले 29 नवंबर को संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा और राज्यसभा दोनों ने कृषि कानून निरसन विधेयक पारित किया था.