गंगा नदी का बदल रहा है बहाव का पैटर्न, ला सकती है भारी बाढ़: स्टडी
IIT कानपुर और भारतीय विज्ञान संस्थान, बेंगलुरु की संयुक्त स्टडी में यह बाद सामने आई है कि भविष्य में गंगा नदी का बहाव और तेज हो सकता है, जिसकी वजह से बाढ़ की घटनाएं बढ़ सकती है. दोनों संस्थाओं ने बाढ़ के अनुमान पर गंगोत्री ग्लेशियर से लेकर ऋषिकेश तक 21 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र की स्टडी की है.
| Updated: Nov 24, 2021, 01:06 PM IST
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IIT कानपुर की नई शोध में यह बात सामने आई है कि गंगा नदी जल्द अपना रौद्र रूप दिखा सकती है. गंगा नदी के प्रवाह का तरीका बदल रहा है. आईआईटी कानपुर और इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस, बेंगलुरु ने 21 हजार स्कायर किलोमीटर इलाके का अध्ययन किया है. गंगोत्री ग्लेशियर से लेकर ऋषिकेश तक के क्षेत्रों में शोधार्थियों ने अलग-अलग आंकड़ों का अध्ययन किया है. (इमेज सोर्स- Reuters)
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यह रिपोर्ट नेचर साइंटिफिक रिपोर्ट में प्रकाशित हुई है. रिपोर्ट में कहा गया है कि गंगा के बहाव के पैटर्न में लगातार बदलाव आ रहा है. ऐसा लगातार बन रहे फ्लड गेट, डैम और बैराज की वजह से हो रहा है. जल मंत्रालय को भेजी गई रिपोर्ट में भविष्य में गंगा की त्रासदी पर आशंका जाहिर की गई है.
(इमेज सोर्स: फाइल फोटो)
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स्टडी में यह बात सामने आई है कि गंगोत्री ग्लेशियर से निकलने वाली गंगा नदी और सतोपंथ ग्लेशियर से शुरू होने वाली अलकनंदा नदी के प्रवाह और बेसिन में काफी बदलाव आया है.
(इमेज सोर्स: Pixabay)
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स्टडी में यह बात भी सामने आई है कि 1995 से लेकर 2005 तक के बीच अलकनंदा बेसिन का प्रवाह दोगुणा हो गया है. अब माना जा रहा है कि प्रवाह की रफ्तार अपने उच्चतम स्तर पर है. ठीक इसी वक्त गंगा बेसिन में कोई बदलाव नहीं आया है लेकिन आने वाले दिनों में यहां भी प्रवाह की दर तेज हो सकती है.
(इमेज सोर्स: Pixabay)
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प्रोफेसर सिन्हा ने यह भी कहा है कि नदी की धारा में आ रहे बदलाव की वजह से भविष्य में गंगा और गगा बेसिन के क्षेत्रों में बाढ़ की आशंका बढ़ेगी. स्टडी में सुझाव दिया गया है कि जब भविष्य में गंगा पर डैम या बैराज बनाया जाए तब नदी के वर्तमान पैटर्न और भविष्य के पैर्टन पर नजर रखकर उनका निर्माण किया जाए. इससे हम बाढ़ के खतरे और बड़े प्राकृतिक हादसे से बच सकेंगे.