PHOTOS: Jammu Kashmir में रचा गया इतिहास, लाल चौक के घंटाघर पर लहराया तिरंगा

रिपोर्ट के मुताबिक 70 वर्षों में यह पहली बार है कि लाल चौक के घंटाघर पर तिरंगा फहराया गया है.

आज 73वें गणतंत्र दिवस के मौके पर कश्मीर में इतिहास रचा गया. आजादी के बाद पहली बार श्रीनगर के प्रतिष्ठित लाल चौक के घंटाघर पर तिरंगा फहराया गया. सामाजिक कार्यकर्ता सजाद यूसुफ शाह और साहिल बशीर भट्ट ने जम्मू-कश्मीर प्रशासन की उचित अनुमति के बाद लाल चौक के घंटाघर पर यह कार्यक्रम आयोजित किया. इस दौरान सजाद यूसुफ़ ने कहा कि यह नया कश्मीर है और अभी बहुत कुछ होना बाकी है. यह एक शुरुआत है.
 

दो सामाजिक कार्यकर्ताओं ने की नई शुरुआत

युवा सामाजिक कार्यकर्ता सजाद ने कहा, 'जब भी पाकिस्तानी ध्वज को यहां देखते थे तो मेरे जैसे लोग हमेशा अलग और असहाय महसूस करते थे,  लेकिन अब चीजें बदल गई हैं, यह "नया कश्मीर" है. आज हम दो थे, कल दस और सैकड़ों होंगे और वह दिन दूर नहीं जब पूरा जम्मू कश्मीर हमारे साथ होगा.'
 

धारा-370 हटने के बाद बेहतर हुए हालात

वहीं साहिल बशीर भट्ट ने कहा, "पिछले 70 वर्षों में जम्मू कश्मीर पर शासन करने वाले लोगों ने कभी भी इस टावर पर राष्ट्रीय ध्वज फहराने की कोशिश नहीं की. 370 के निरस्त होने के बाद चीजें बदल गई हैं और हमने भारत का झंडा फहराने का फैसला किया है. 70 वर्षों में यह पहली बार है कि घंटाघर के ऊपर तिरंगा फहराया गया और यह उन सभी लोगों के लिए एक संदेश है जो यहां हिंसा पैदा कर लोगों को भारत से नफरत करना सिखाते थे लेकिन अब युवा अब इस तिरंगे के साथ है."

ऐतिहासिक है घंटाघर का महत्व

घंटाघर का ऐतिहासिक महत्व जम्मू कश्मीर के साथ-साथ देश में भी है. यह वह स्थान था जहां भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने वर्ष 1948 में भारतीय राष्ट्रीय ध्वज फहराया था. यह स्थान जम्मू कश्मीर के पहले निर्वाचित प्रधानमंत्री शेख मोहम्मद अब्दुल्ला और भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल के समझौते का भी गवाह है. जम्मू कश्मीर के भारत में विलय होने पर यहीं हाथ मिलाया गया था.
 

पहले दिखता था पाकिस्तानी झंडा

बाद में जब 1989 में कश्मीर में आतंकवाद शुरू हुआ तो इस जगह पर अलग-अलग घटनाएं हुईं. 2018 में अमरनाथ लैंड विवाद में सैकड़ों लोग इस घंटाघर पर इकट्ठे हुए और अलगाववादी नेता मीरवाइज उमर फारूक ने उन्हें संबोधित किया था और उस समय इस टावर पर एक पाकिस्तानी झंडा भी फहराया गया था.

आज नया गणतंत्र है और नया कश्मीर

जब अलगाववादी हड़ताल का आह्वान करते थे, तब प्रशासन इस जगह को हमेशा सील कर देता था. इसके पीछे डर था कि कहीं कोई बदमाश वहां पाकिस्तानी झंडा ना फहरा दे. 370 के निरस्त होने के बाद प्रशासन अलगाववादी और पाकिस्तान समर्थक समूहों के एजेंडे पर सख्त हो गया. आज ऐतिहासिक लाल चौक पर हाथों में तिरंगा लिए लगभग सौ लोगों ने भारत का गणतंत्र दिवस मनाया क्योंकि वे कहते हैं कि यह 'नया कश्मीर' है और यह इसकी नई शुरुआत है.

 

रिपोर्ट- ख़ालिद हुसैन