trendingPhotosDetailhindi4044206

Independence Day 2022: भारत ने ऐसे मनाया था अपना पहला स्वतंत्रता दिवस, देखिए ये खास तस्वीरें

इस बार हम आजादी के 75 साल पूरे होने की खुशी में आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं. ऐसे में यह सोचना और भी उत्सुकता पैदा कर देता है कि अब से 75 साल पहले जब पहला स्वतंत्रता दिवस मनाया गया होगा, तब कैसा माहौल रहा होगा...देखिए तस्वीरें

भारत आज से ठीक 75 साल पहले 15 अगस्त 1947 के दिन आजाद हुआ था. उस वक्त देश का आर्थिक ताना-बाना हिला हुआ था. अशिक्षा, भुखमरी और सांप्रदायिक तनाव का माहौल था. तब से लेकर अब तक देश कई मामलों में बहुत आगे निकल चुका है और सच में एक स्वतंत्र और सक्षम देश की परिभाषा को सच साबित कर रहा है. उस समय भले ही कितनी भी गरीबी रही हो लेकिन 15 अगस्त के दिन पूरे देश में ये भावनाएं फैल गई थीं कि अब हम आजाद हैं. आखिरकार, देश को अंग्रेजों के अत्याचार और गुलामी के शासन से कई शताब्दियों बाद मुक्ति मिली थी.

1.Lord Mountbatten ने भी देखा आजादी का जश्न

Lord Mountbatten ने भी देखा आजादी का जश्न
1/6

भारत की आजादी का जश्न पूरे देश के साथ-साथ दुनिया ने भी देखा. भारत के वायसराय रहे लॉर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना उन दिनों भारत में ही थीं. सत्ता के हस्तांतरण में माउंटबेटन की अहम भूमिका थी. 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर झंडा फहराने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू पहुंचे तो उनके साथ लॉर्ड माउंटबेटन और उनकी पत्नी एडविना भी पंडित नेहरू के साथ मौजूद थीं.



2.Delhi में नहीं बची थी तिल रखने की जगह

Delhi में नहीं बची थी तिल रखने की जगह
2/6

सैकड़ों सालों तक भारत की आम जनता ने अंग्रेजों का जुल्म सहा था. किसानों, जुलाहों, आदिवासियों, गरीबों और समाज के हर वर्ग ने अंग्रेजों को अत्याचार के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी. ऐसे में आजादी के जश्न में शामिल होने के लिए राजधानी दिल्ली में देश के हर वर्ग के लोग जुट गए थे. इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन, लाल किला हर तरफ सिर्फ़ लोग ही लोग दिखाई दे रहे थे. लोग गांव-गांव से निकलकर दिल्ली की सड़कों पर पहुंच गए थे.
 



3.Pandit Nehru की एक झलक को बेताब थी जनता

Pandit Nehru की एक झलक को बेताब थी जनता
3/6

देश की आजादी के साथ ही यह पहले ही तय हो गया था कि देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू होंगे. पंडित नेहरू देश की जनता के बीच पहले से भी काफी लोकप्रिय थे. ऐसे में दिल्ली की सड़कों पर उतरी पंडित नेहरू की एक झलक के लिए बेताब थी. भीड़ इतनी थी लॉर्ड माउंटबेटन ही नहीं निकल पा रहे थे. आखिर में पंडित नेहरू संसद भवन की छत पर चढ़े और लोगों से अपील की कि वे माउंटबेटन के लिए रास्ता छोड़ दें.



4.जब फहराया गया तिरंगा, झलक उठीं आंखें

जब फहराया गया तिरंगा, झलक उठीं आंखें
4/6

तिरंगा फहराने के लिए पंडित जवाहर नेहरू लाल किले के लाहौरी गेट पहुंचे. उस दिन प्रधानमंत्री के रूप में पंडित नेहरू के तिरंगा फहराने के बाद से ही यह परंपरा बन गई. 15 अगस्त 1947 को लाल किले पर मौजूद लोगों ने उस समय बताया था कि जैसे ही तिरंगा ऊपर गया उसके ठीक पीछे एक इंद्रधनुष उभर आया. ऐसा लग रहा था कि प्रकृति भी भारत की आज़ादी के दिन का स्वागत कर रही थी. देश के तिरंगे को शान से लाल किले पर लहराते देखकर हर देशवासी भावुक हो गया.



5.दूसरी तरफ भुखमरी और सांप्रदायिकता का संकट

दूसरी तरफ भुखमरी और सांप्रदायिकता का संकट
5/6

देश को आजादी के साथ ही बंटवारा भी मिला. जिस वक्त देश की आजादी के जश्न की तैयारी हो रही थी और जश्न मनाया जा रहा था, ठीक उसी वक्त देश के अलग-अलग हिस्सों में सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे थे. भारत-पाकिस्तान की सीमा पर सांप्रदायिक हिंसा से लाखों लोग प्रभावित हुए थे. पाकिस्तान से कई लोग पलायन करके भारत आ रहे थे और हजारों लोग राहत कैंपों में रहने को मजबूर हो गए थे. देश भुखमरी और खाने-पीने की समस्याओं से भी एकसाथ जूझ रहा था.



6.जगमगा उठी थी पूरी दिल्ली

जगमगा उठी थी पूरी दिल्ली
6/6

देश की आजादी के जश्न के लिए राजधानी दिल्ली को दुल्हन की तरह सजाया गया था. पूरी दिल्ली में केसरिया, हरे और सफेद रंग की लाइटें लगाई गई थीं. रात को लॉर्ड माउंटबेटन ने आज के राष्ट्रपति भवन में 2,500 लोगों के लिए भोज का आयोजन किया था. 



LIVE COVERAGE