Independence Day 2022: कई बार बदल चुका है भारत का National Flag, ऐसे भी बने थे डिजाइन
देश की आजादी का 75वां साल सेलिब्रेट किया जा रहा है. इस उपलक्ष्य में देश में जोरो शोरों से आजादी का अमृत महोत्सव मनाया जा रहा हैं. इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने हर घर तिरंगा (Har Ghar Tiranga) अभियान के तहत सभी से अपनी सोशल मीडिया प्रोफाइल की DP में तिरंगा झंडा लगाने की अपील की है.
बता दें कि हमारा पहला राष्ट्रीय ध्वज 7 अगस्त 1906 को पारसी बागान चौक (ग्रीन पार्क) कलकत्ता (अब कोलकाता) में फहराया गया था. यह झंडा लाल, पीले और हरे रंग की क्षैतिज पट्टियों से बनाया गया था. इसमें ऊपर हरा, बीच में पीला और नीचे लाल रंग था. साथ ही इसमें कमल के फूल और चांद-सूरज भी बने थे.
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इसके बाद दूसरा झंडा पेरिस में मैडम कामा और 1907 में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया. यह झंडा भी पहले ध्वज के जैसा ही था. इसमें भी चांद सितारे आदि मौजूद थे महज रंग में कुछ बदलाव किए गए थे. पहले झंडे से अलग इसमें केसरिया, हरा और पीला रंग शामिल था. साथ ही सबसे ऊपरी की पट्टी पर कुछ तारे बनाए गए जो सप्तऋषि को दर्शाते थे. बता दें कि दूसरा झंडा बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था.
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1917 में तीसरा ध्वज आया. इस झंडे को डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान फहराया था. झंडे में एक के बाद एक 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां बनी हुई थी. इसके अलावा सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर 7 सितारे भी थे. झंडे की बांई और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था और दूसरे कोने पर सफेद अर्धचंद्र और सितारा बना था.
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इसके बाद अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सत्र के दौरान आंध्र प्रदेश के एक युवक ने एक अलग झंडा बनाकर गांधी जी को दिया. यह कार्यक्रम साल 1921 में बेजवाड़ा (अब विजयवाड़ा) में किया गया था. युवक ने इस झंडे को दो रंग दिए थे- लाल और हरा. ये रंग दो प्रमुख समुदायों (हिन्दू और मुस्लिम) का प्रतिनिधित्व करते थे. हालांकि, गांधी जी ने सुझाव दिया कि भारत के शेष समुदाय का प्रतिनिधित्व करने के लिए इसमें एक सफेद पट्टी और राष्ट्र की प्रगति का संकेत देने के लिए एक चलता हुआ चरखा भी होना चाहिए.
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इसी क्रम में पांचवा झंडा आया. यह झंडा मौजूदा झंडे से थोड़ा ही अलग था. इसमें चक्र के स्थान पर चरखा बना था.
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बार-बार राष्ट्रीय ध्वज बदलने के बाद आखिरकार, 22 जुलाई 1947 को संविधान सभा ने इसे मुक्त भारतीय राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया. स्वतंत्रता मिलने के बाद इसके रंग और उनका महत्व बना रहा. बस झंडे में चलते हुए चरखे के स्थान पर सम्राट अशोक के धर्म चक्र को दिखाया गया. इस तरह हमें हमारा तिरंगा मिला.