S-500 missiles का पहला खरीदार हो सकता है भारत, जानें इसकी खासियत

S-500 Prometei एक एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइल है जिसे रूस ने तैयार किया है. यह बेहद खतरनाक हथियार है.

| Updated: Dec 14, 2021, 06:38 PM IST

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यूरी बोरिसोव ने कहा है कि इस बात में कोई शक नहीं है कि हम एक बार अपनी सेना को S-500 सौंप दें और भारत इस अत्याधुनिक हथियार को खरीदना चाहे तो हमारी प्राथमिकता में वह पहला देश होगा. 

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S-500 'प्रोमिटी' (Prometei) एक एंटी एयक्राफ्ट मिसाइल सिस्टम (Anti-Aircraft Missile System) है. यह चलता-फिरता ऐसा हथियार है जो जमीन से हवा में मार कर सकता है. यह इसी साल तैयार किया गया है.  साल 2019 में तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप अर्दोआन ने भी S-500 एयर डिफेंस सिस्टम खरीदने में दिलचस्पी दिखाई थी. 

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रूस के डिप्टी पीएम यूरी बोरिसोव का यह बयान तब सामने आया है जब भारत को एस-400 सिस्टम मिल रहा है. जब रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) साल 2018 में भारत दौरे पर आए थे तब उन्होंने इस करार पर दस्तखत किया था. S-400 की डिलिवरी इसी महीने से शुरू हुई है.

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भारत में वॉशिंगटन (Washington) के कैट्सा (Caatsa) प्रतिबंधों को लेकर चिंता बनी हुई है. वॉशिंगटन भारत-रूस के बीच डिफेंस डील पर क्या प्रतिक्रिया देगा यह अभी सामने नहीं आया है. बड़ा सवाल ये भी है कि अमेरिकी प्रतिक्रिया का भारत किस तरह से जवाब देगा.

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दरअसल अमेरिका ने ट्रंप शासनकाल के दौरान 2017 में काउंटरिंग अमेरिकाज एडवर्सरीज थ्रू सैंक्शन ऐक्ट पास किया था. इसके तहत जो भी देश रूस से सैन्य उपकरण खरीदता है अमेरिका उस पर प्रतिबंध लगा देता है. भारत ने भी रूस के साथ S-400 की भी डील की है. पहले ही कई रक्षा संबंधी डील भारत रूस से कर चुका है. ऐसे में अमेरिका अपने एक्ट पर अमल करता है या भारत-रूस की संप्रभुता का सम्मान करता है यह देखने वाली बात होगी.

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वॉशिंगटन प्रतिबंधों के सवालों के जवाब में विदेश सचिव हर्ष श्रृंगला (Harsh Shringla) ने कहा है कि रूस भारत का पुराना सहयोगी रहा है जहां से हथियार खरीदे जाते रहे हैं. सप्लाई इस महीने से शुरू हो गई है और हमेशा होती रहेगी.
 

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भारत और रूस एक-दूसरे के पुराने सुरक्षा सहयोगी रहे हैं. ब्रह्मोस (Brahmos) मिसाइल, एसयू 30 एयरक्राफ्ट के लाइसेंस्ड प्रोडक्शन और टी-30 टैंक्स के सौदे इसका उदाहरण हैं. AK सिरीज के राइफल्स को लेकर भारत-रूस के बीच भागीदारी है. ऐसे में भारत अमेरिकी प्रतिबंधों की परवाह अभी करता नजर नहीं आ रहा है.