Chenab Bridge: जिसे देखकर आप कहेंगे 'बादल पे पांव हैं', देखिए खूबसूरत तस्वीरें
चिनाब नदी पर दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे ब्रिज बन रहा है. इस पुल का नजारा ऐसा है कि जो देखेगा, देखता रह जाएगा.
डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: Feb 22, 2023, 03:02 PM IST
जम्मू-कश्मीर के रियासी जिले में चिनाब रेलवे पुल पर पटरी बिछाने का काम मंगलवार को शुरू हो गया. यह पुल नदी तल से 359 मीटर ऊपर स्थित है. रेलवे ने मंगलवार को इस बारे में जानकारी देते हुए कहा, यूएसबीआरएल परियोजना में एक और मील का पत्थर! चिनाब ब्रिज पर ट्रैक बिछाने का काम शुरू. एक बार पूरा हो जाने पर, यह पुल जम्मू और कश्मीर के दूरस्थ क्षेत्रों के लिए नई संभावनाएं खोलेगा.
चिनाब इलाके में मौसम लगातार एक बड़ी चुनौती बना हुआ था. प्रस्तावित इलाके में बेहद तेज हवाएं चलती हैं. रेलवे यात्रियों की सुरक्षा इस प्रोजेक्ट की देरी की वजह है. साल 2008-09 में इसे स्थगित कर दिया गया था. नए सिरे से काम शुरू हुआ तो सभी जोखिमों के खिलाफ रणनीति तैयार की गई. अब यह पुल 260 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाओं का सामना कर सकेगा. इसकी उम्र करीब 120 साल होगी.
दिसंबर 2023 तक पूरे कश्मीर को कन्याकुमारी तक रेल के जरिए जोड़ दिया जाएगा. दरअसल, उधमपुर-श्रीनगर-बारामूला रेल लिंक का 90 फीसदी काम पूरा हो गया है. यूएसबीआरएल अधिकारीयों के अनुसार जम्मू और कश्मीर को जोड़ने वाली लाइन के लिए सभी जरूरी सुरंगें बनकर तैयार हो चुकी हैं. और बाकी के काम के साथ चिनाब रेलवे पुल पर पटरी बिछाने का काम भी तेजी से चल रहा है.
कटरा-बनिहाल का 111 किमी लंबा रेल खंड बन रहा है. ये सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है, क्योंकि इस लाइन का 97.34 किमी हिस्सा सुरंगों से गुजरता है. इसमें जम्मू से बारामुला तक पहाड़ों, ढलानों और भूकंप वाला संवेदनशील इलाका हैं. इसी कारण इसमें 27 प्रमुख पुल और 10 छोटे पुल बनाने पड़े हैं. इसमें से प्रमुख 21 बनकर तैयार हैं. इसी खंड में चिनाब ब्रिज भी है.
दूरदराज के इलाकों में निर्माण स्थलों तक पहुंचने के लिए 203 किमी नई सड़कें बनानी पड़ीं. एक अधिकारी ने कहा कि कटरा-बनिहाल खंड के तहत 163.88 किलोमीटर में से 162.6 किमी का काम पूरा हो चुका है. वहीं 117.7 किमी में से 31.3 किलोमीटर ट्रैक बनकर तैयार है. दिसंबर में भारत की सबसे लंबी एस्केप टनल, जो बनिहाल-कटरा रेलवे लाइन पर 12.89 किमी लंबी है, पूरी हो चुकी है.
साल 1905 में कश्मीर के तत्कालीन महाराजा ने मुगल रोड के रास्ते से श्रीनगर को जम्मू से जोड़ने वाली रेलवे लाइन बिछाने की घोषणा की थी. शुरुआती काम के बाद परियोजना का काम अटक गया. उसके बाद एक बार फिर मार्च 1995 में 2500 करोड़ रुपये की लागत से काम शुरू किया गया और फिर था साल 2002 मे वाजपेयी सरकार ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित किया, तब इसकी लागत 6000 करोड़ रुपए हो गई. हालांकि आज इस परियोजना की लागत 27,949 करोड़ रुपये हो चुकी है.
इस रेल के चलने से देश के पर्यटक ट्रेन से कश्मीर जा सकेंगे. इसके बाद कश्मीर के सेब जैसे फल को आसानी से देश के बाकी हिस्सों में तेजी से पहुंचाया जाएगा. दक्षिण भारत को सीधे कश्मीर से जोड़ा जा सकेगा. यह स्थानीय अर्थव्यवस्था के आर्थिक उत्पादन में वृद्धि करेगा. (इनपुट: IANS)
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