राजस्थान में भी बादल जमकर बरस रहे हैं. बीते 24 घटों के दौरान भी प्रदेश के कई जिलों में मूसलाधार बारिश हुई है. अधिकांश इलाकों में इसके जारी रहने का अनुमान है.
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वैज्ञानिकों का कहना है कि नए किस्म के बाद 1 किलोमीटर से लेकर 14 किलोमीटर तक बड़े होते हैं. कोचीन यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड रिसर्च के एसोसिएट प्रोफेसर एस अभिलाष के मुताबिक केरल में 3 दिन से रोज करीब 20 सेंटीमीटर की बारिश देखने को मिल रही है. लोगों को लग रहा है कि मॉनसून ने दस्तक दे दी है लेकिन ऐसी स्थिति नहीं है.
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शोध के मुताबिक देश के पश्चिमी तटों पर कम प्रेशन का क्षेत्र बन रहा है. यह उन बादलों की वजह से नहीं है जो केरल मे हल्की बारिश की वजह बनते थे. ये बादल पहले 7 किलोमीटर के दायरे में होते थे लेकिन अब ये बादल क्यूमोलोनिबस में बदल गए हैं. ये सामान्य से दोगुने हो गए हैं.
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नए किस्म के बाद केरल में अचानक आंधी-तूफान ला रहे हैं. इनकी वजह से भारी बारिश हो रही है. जैसे पहाड़ों पर बादल फटने की बाद स्थितियां होती हैं कुछ वैसी ही स्थितियां इनकी वजह से बन रही हैं. वैज्ञानिक ऐसे बादलों पर पूर्वानुमान भी नहीं लगा सकते हैं. पश्चिमी तटों पर बारिश का नया ट्रेंड देखा जा रहा है.
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मॉनसून के दौरान सामान्यतौर पर केरल में हवा की रफ्तार 40 किलोमीटर प्रति घंटे की होती है लेकिन इन दिनों यह रफ्तार 60 किलोमीटर प्रति घंटे की है. यह आंधी फसलों को बर्बाद कर सकती है और पेड़ों को उखाड़ फेंक सकती है.
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बारिश के नए ट्रेंड की वजह पूर्वी अरब की खाड़ी में पड़ रही गर्मी और नमी का तेजी से घुलना है. अरब सागर के सतही तापमान में बढ़ोतरी हुई है. 3 दशक में तापमान एक डिग्री तक बढ़ गया है. यह ट्रेंड जलवायु परिवर्तन का साफ संकेत है.
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केरल का यह तूफान, राज्य के लिए काल बन सकता है. ऐसा माना जा रहा है कि असमय बारिश की वजह तूफान है. अगर यह पैटर्न जारी रहा तो केरल में साल 2018-19 की तरह भीषण बाढ़ एक बार फिर आ सकती है. केरल में इससे बड़ी तबाही मच सकती है.