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पाकिस्तान के इस इलाके में लड़कियों के लिए बैन हो सकता था स्कूल, एक छोटी बच्ची की हिम्मत ने जीती शिक्षा की जंग

12 जुलाई को मलाला दिवस के रूप में मनाया जाता है. दरअसल आज के दिन मलाला यूसुफजई का जन्मदिन होता है. वही मलाला जिन्होंने पाकिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए आवाज उठाई थी.

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  • Jul 12, 2022, 09:04 AM IST

मलाला ने लड़कियों के हित में आवाज उठाई थी. वह खुलकर सामने आईं इसी वजह से उनपर हमला भी हुआ था. तालिबानी बंदूकधारियों ने 9 अक्टूबर 2012 को उनपर गोली चलाई थी.

1.गंभीर रूप से घायल होने पर भी हिम्मत नहीं हारी मलाला

गंभीर रूप से घायल होने पर भी हिम्मत नहीं हारी मलाला
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मलाला इस हमले में बहुत ही गंभीर रूप से घायल हुई थीं. घायल होने के बावजूद मलाला दोबारा उसी अंदाज में लौटीं. पहले की तुलना में उनके विचारों में ज्यादा उदारता दिखी.



2.लड़कियों की शिक्षा बैन करना चाहते थे पाकिस्तानी तालिबान

लड़कियों की शिक्षा बैन करना चाहते थे पाकिस्तानी तालिबान
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मलाला पाकिस्तान में स्वात, खैबर पख्तूनवा की रहने वाली हैं. वहां पाकिस्तानी तालिबानी कई बार लड़कियों के स्कूल जाने पर बैन लगा चुके थे. उनकी कोशिश थी कि लड़कियों को स्कूल से दूर रखा जाए और मलाला को यह बहुत खटकता था.



3.घर से पूरी दुनिया में मशहूर हुईं मलाला

घर से पूरी दुनिया में मशहूर हुईं मलाला
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मलाला ने अपने घर अपने इलाके में जिस तरह आवाज उठाई और हिम्मत से कदम आएग बढ़ाए उनकी यह मुहिम एक इंटरनेशन मूवमेंट बन गई.
 



4.छोटी सी उम्र में हासिल किया नोबल प्राइज

छोटी सी उम्र में हासिल किया नोबल प्राइज
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मलाला धीरे-धीरे शिक्षा के अधिकार के लिए काम करने वाले जाना-पहचाना चेहरा बन गईं. उन्होंने बर्मिंघम में एक एनजीओ के साथ मिलकर मलाला फंड की शुरुआत की. साल 2012 में मिले Pakistan's first National Youth Peace Prize और 2013 में Sakharov Prize मिला. 2014 में उन्हें अपने काम के नोबल प्राइज मिला. उस वक्त उनकी उम्र 17 साल थी.



5.2021 में की शादी

2021 में की शादी
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अपने कामों की वजह से पूरी दुनिया में नाम कमाने वाली मलाला ने नवंबर 2021 में असर मलिक से शादी की. असर पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के मैनेजर हैं और बर्मिंघम में रहते हैं.



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