NFHS सर्वे में घरेलू हिंसा से जुड़े चौंकाने वाले आंकड़े, जानें आपके राज्य की महिलाओं का हाल

Domestic Violence को लेकर नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. एक तिहाई महिलाओं ने अपने साथ घरेलू हिंसा की बात मानी है.

NFHS-5 सर्वे के मुताबिक,  शारीरिक हिंसा के मामले में ग्रामीण और शहरी इलाकों का फर्क भी साफ दिखता है. महिलाओं में जैसे-जैसे शिक्षा और संपत्ति का स्तर बढ़ता है, हिंसक घटनाएं भी कम हो जाती हैं. जानें सर्वे की मुख्य बातें...

30% महिलाएं हो चुकी हैं घरेलू हिंसा की शिकार

नैशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (NFHS-5) में कई चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं. सर्वे के मुताबिक, 18 से 49 साल की लगभग 30 प्रतिशत महिलाएं ऐसी हैं, जिन्हें 15 साल की उम्र के बाद शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ा है. 6 फीसदी महिलाओं को जिंदगी में कभी न कभी यौन हिंसा झेलनी पड़ी. लेकिन महज 14 फीसदी महिलाएं ही ऐसी रहीं, जिन्होंने अपने साथ हुई शारीरिक या यौन हिंसा के बारे में बताया. 

ज्यादातर शराबी पति करते हैं मारपीट 

18 से 49 साल की 32 फीसदी शादीशुदा महिलाओं को अपने पति की तरफ से शारीरिक, मानसिक या यौन हिंसा झेलनी पड़ी है. जबकि सिर्फ 4 प्रतिशत पुरुष ही ऐसे रहे, जिन्होंने कभी न कभी घरेलू हिंसा का सामना किया हो. सर्वे में यह भी सामने आया कि शराब पीने वाले पुरुष महिलाओं के साथ ज्यादा मारपीट करते हैं.

घरेलू हिंसा के साथ शिक्षा का स्तर भी जुड़ा है

सर्वे के मुताबिक, कभी स्कूल न जाने वाली 40% महिलाओं को शारीरिक हिंसा का सामना करना पड़ता है. जिन महिलाओं ने स्कूली पढ़ाई की होती है, उनमें हिंसा के मामले 18% ही देखे गए हैं. सर्वे में यह तथ्य भी सामने आया है कि शिक्षा का असर महिलाओं के साथ हिंसा पर भी दिखता है. सर्वे के हवाले से बताया कि महिलाओं के खिलाफ शारीरिक हिंसा के 80% से अधिक मामलों में आरोपी पति होता है. यहां भी शिक्षा की अहम भूमिका देखी गई है. जिन पतियों ने स्कूली शिक्षा के 12 या अधिक वर्ष पूरे किए हैं, उनमें शादी के बाद शारीरिक, यौन या भावनात्मक हिंसा करने की संभावना उन लोगों के मुकाबले आधी (21%) होती है, जो कभी स्कूल नहीं गए.

कर्नाटक के नाम शर्मनाक रिकॉर्ड, इस राज्य में महिलाएं सुरक्षित

घरेलू हिंसा के मामले में कर्नाटक (48%) देश में सबसे ऊपर है. उसके बाद बिहार (39.6%), , मणिपुर (38%), तेलंगाना और तमिलनाडु का नंबर है. देश में लक्षद्वीप ऐसा है, जहां महिलाओं से सबसे कम (2.1%) घरेलू हिंसा हुई. 

शिक्षा और संपत्ति का है हिंसा से गहरा संबंध

हिंसा का पढ़ाई-लिखाई से भी संबंध देखा गया है. महिलाओं में ही नहीं, पुरुषों में भी जैसे-जैसे शिक्षा और संपत्ति के स्तर में बढ़ोतरी होती है, उनके साथ होने वाली हिंसक घटनाएं भी कम हो जाती हैं. पैसा बढ़ने पर भी हिंसा कम हो जाती है. सर्वे के मुताबिक, सबसे गरीब 20 फीसदी महिलाओं के ग्रुप में 39 प्रतिशत हिंसा के मामले सामने आए जबकि सबसे अमीर ग्रुप में ये आंकड़ा 17 प्रतिशत का रहा.