Odisha: आदिवासी गांव पोईगुड़ा की कहानी जहां 60 परिवारों ने मिलकर दूर की पानी की कमी

कहते हैं कि जहां चाह होती है वहीं राह होती है. उड़ीसा के ग्रामीणों ने इस कहावत को सच कर दिखाया है.

| Updated: Jan 15, 2022, 03:31 PM IST

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उड़ीसा का यह गांव पेयजल और प्राथमिकी स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित था. इस कारण यहां के लोगों को बहुत सी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता था. सड़क के अभाव में गांव तक एंबुलेंस नहीं पहुंच पाती थी. हालांकि कुछ समय बाद यहां कमलाझरन पुल बन जाने से समस्याएं कुछ हद तक हल हो गईं लेकिन पानी की दिक्कत अभी भी बरकरार थी.

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इसे दूर करने के लिए यहां रहने वाले कुल 60 आदिवासी परिवारों ने मिलकर कठिन श्रमदान से कोशलामस्का पहाड़ में करीब 3 फुट गहरी नाली खोदकर उसमें बहने वाले झरने के पानी को अपने गांव तक पहुंचाने के लिए करीब पांच हजार चार सौ फुट 110 एमएम मोटा एचडीसी पाइप बिछाया.

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ग्रामीणों की मेहनत रंग लाई. इससे न केवल उन्हें 12 महीने पीने के लिए बल्कि अपनी सीमित खेती किसानी के लिए भी आसानी से पानी उपलब्ध हो सका. 

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ग्रामीणों का यह सपना टाटा ट्रस्ट और झारखंड बैंक की सहायता से स्वयंसेवी संस्था लिवोलिंक फाउंडेशन द्वारा उन्हें मुहैया कराई गई पाइप तथा अन्य सामग्री के चलते पूरा हो सका. जिला संयोजक प्रदीप प्रधान ने बताया कि पाइप आदि सामग्री पर करीब चार-साडे-चार लाख रुपये का खर्चा आया है. जबकि इतना ही खर्चा ग्रामीणों को भी उठाना पड़ा है.

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वहीं इसे लेकर डेवलपमेंट फाइल्स के संपादक और उड़ीसा के विकास कार्यों से जुड़े प्रोजेक्ट को लीड कर चुके अमरेंद्र किशोर ने कहा कि कालाहांडी कुदरती संसाधन से भरपूर है लेकिन उनका उचित उपयोग अभी तक तरीके से नहीं किया गया है. इसके लिए नागरिक संगठनों को प्रोत्साहित करने के लिए गांव वालों की यह पहल एक नजीर है. उम्मीद है कि कालाहांडी के विकास को लेकर आगे भी ऐसी कई कहानियां हमे पढ़ने को मिलेंगीं.

 (तस्वीर साभार- सुरेश अग्रवाल)