Surrogacy से मां बनीं Priyanka Chopra, जानें भारत में क्या है इससे जुड़े कानून

प्रियंका चोपड़ा और निक जोनस ने Surrogacy की मदद से पहले बच्चे की जन्म की खुशी फैंस से शेयर की है. भारत में सरोगेसी को लेकर 2 कानून हाल ही में बने हैं.

प्रियंका चोपड़ा से पहले और भी कई सिलेब्रिटीज हैं जो सरोगेसी के जरिए पेरेंट्स बने हैं. इसमें तुषार कपूर, करण जौहर, सनी लियोनी जैसे नाम शामिल हैं. भारत में सरोगेसी को लेकर बहुत स्पष्ट कानून हैं. The Surrogacy (Regulation) Bill, 2019 में इससे जुड़े सभी पहलुओं को इसमें शामिल किया गया है. जानें क्या है भारत में किराए के कोख को लेकर नीतियां और कानून.

कर्मशियल सरोगेसी भारत में बैन 

सरोगेसी बिल 2019 का मुख्य उद्देश्य ही देश में कमर्शियल सरोगेसी पर रोक लगाना था. इस बिल को पेश करते हुए स्पष्ट किया गया था कि किराए पर कोख के कारोबार को किसी भी तरह से बढ़ावा नहीं दिया जा सकता है. इसका मतलब है कि बच्चों को खरीदने-बेचने का काम सरोगेसी के जरिए करना कानूनन अपराध है.

भारत में Altruistic सरोगेसी की ही मान्यता है 

देश में सिर्फ Altruistic सरोगेसी की ही मंजूरी है. इसका मतलब है कि अगर कोई कपल अगर बीमारी या इनफर्टिलिटी की वजह से पेरेंट्स नहीं बन सकते हैं तो वह सरोगेसी की मदद ले सकते हैं. इसके लिए जरूरी है कि सरोगेट मदर और कपल के बीच किसी तरह के पैसे या लेन-देन नहीं हो सकता है. सरोगेट मदर के मेडिकल खर्चे कपल को उठाने होते हैं. सरोगेसी के लिए सिर्फ वही कपल अप्लाई कर सकते हैं जिनमें कपल में एक या दोनों के साथ मेडिकल/ इनफर्टिलिटी समस्या हो. इसके अलावा, कपल की आर्थिक स्थिति, मानसिक स्वास्थ्य की भी जांच होती है. शादी के कम से कम 5 साल पूरे होने के बाद ही सरोगेसी की अनुमति है. अगर किसी कपल का कोई बच्चा दिव्यांग या जानलेवा बीमारी से ग्रस्त है तो भी सरोगेसी की अनुमति है.
 

सरोगेट मदर्स के भी अधिकार सुरक्षित हैं 

बिल के तहत यह प्रावधान है कि प्रेग्नेंसी और डिलीवरी के बाद होने वाले मेडिकल खर्चे कपल या पेरेंट्स को देना होता. डिलीवरी की वजह से होने वाली किसी तरह की तकलीफ और इलाज का खर्चा भी पेरेंट्स को ही वहन करना होता है. इसके लिए डिलीवरी के बाद पोस्ट 16 महीने का बीमा सरोगेट मदर के लिए लेना जरूरी है. इसके अलावा, सरोगेसी की पूरी कानूनी प्रक्रिया कोर्ट के जरिए करवाना होता है. 
 

सरोगेट मदर्स के लिए भी हैं सख्त नियम 

सरोगेट मदर बनने के लिए महिला का जीवन में एक बार विवाहित होना जरूरी है. इसके अलावा, सरोगेट मदर कोई करीबी रिश्तेदार ही बन सकती है. सरोगेट मदर की गर्भधारण करने से पहले शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य की जांच की जाती है. जीवन में कोई भी महिला सिर्फ एक बार ही सरोगेट मदर बन सकती है. सरोगेट मदर की उम्र 25 साल से कम और 35 साल से ज्यादा नहीं हो सकती है और महिला का अपना कोई बच्चा होना जरूरी है. 

सरोगेसी कानून तोड़ने पर है सख्त सजा

कानून के तहत यह प्रावधान है कि कपल, सरोगेट मदर या क्लिनिक कोई भी बच्चे का लिंग नहीं बता सकते हैं. बच्चे के जन्म के बाद पैरेंट्स अपनाने से इनकार नहीं कर सकते हैं. किसी भी तरह से नियम उल्लंघन करने पर सजा का प्रावधान है. सजा अपराध को देखते हुए 10 साल की जेल से लेकर 10 लाख जुर्माना तक हो सकता है.