महारानी एलिजाबेथ द्वितीय साल 1961 में पहली बार भारत आईं थीं. खुद उस समय के मौजूदा पीएम जवाहर लाल नेहरू उन्हें रिसीव करने के लिए एयरपोर्ट गए थे. तब महारानी एलिजाबेथ द्वितीय और अपने पति प्रिंस फिलिप के साथ मुंबई, चेन्नई और कोलकाता का दौरा भी किया था. उन्होंने आगरा पहुंचकर ताज महल का दीदार करने के साथ ही नई दिल्ली में राष्ट्रपिता के स्मारक राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि भी अर्पित की थी. एलिजाबेथ और फिलिप तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद के निमंत्रण पर भारत की गणतंत्र दिवस परेड में सम्मानित अतिथि थे. महारानी ने दिल्ली के रामलीला मैदान में हजारों लोगों की भीड़ को संबोधित भी किया था.
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महारानी एलिजाबेथ साल 1983 में दूसरी बार भारत आईं थीं. उस समय इंदिरा गांधी भारत की प्रधानमंत्री थीं. तब महारानी ने राष्ट्रमंडल शासनाध्यक्षों की बैठक (चोगम) में हिस्सा लेने के लिए भारत की यात्रा की थी. इस दौरान उन्होंने मदर टेरेसा को ‘ऑर्डर ऑफ द मेरिट’ की मानद उपाधि से नवाजा था.
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भारत की उनकी अंतिम यात्रा देश की आजादी की 50वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में हुई थी. इस दौरान उन्होंने पहली बार औपनिवेशिक इतिहास के ‘कठोर दौर’ का जिक्र किया था. उन्होंने कहा था, "यह कोई रहस्य नहीं है कि हमारे अतीत में कुछ कठोर घटनाएं हुई हैं. जलियांवाला बाग एक दुखद उदाहरण है." महारानी और उनके पति ने बाद में साल 1919 में नरसंहार के गवाह बने अमृतसर के जलियांवाला बाग का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने शहीद स्मारक पर पुष्पांजलि अर्पित की थी.
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महारानी ने तीन पूर्व भारतीय राष्ट्रपतियों- 1963 में डॉ राधाकृष्णन, 1990 में आर वेंकटरमण और 2009 में प्रतिभा पाटिल- की मेजबानी भी की थी. महारानी ने बकिंघम पैलेस में राष्ट्रपति पाटिल के लिए आयोजित राजकीय भोज के दौरान कहा था, "ब्रिटेन और भारत का साझा पुराना इतिहास है जो आज इस नई सदी के लिए एक नई साझेदारी के निर्माण में ताकत का मजबूत स्रोत है."
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इसके अलावा भी महारानी ने कई मौकों पर भारत के विभिन्न प्रधानमंत्रियों से मुलाकात की थी. उन्होंने बकिंगम बैलेस में लाल बहादुर शास्त्री, वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनके निधन पर कहा कि महारानी एलिजाबेथ द्वितीय को हमारे समय की कद्दावर शख्सियत के रूप में याद रखा जाएगा. उन्होंने अपने देश को प्रेरणादायी नेतृत्व प्रदान किया.