2019 से 2023 तक कैसे बना राम मंदिर, तस्वीरों में देखें पूरा निर्माण

2019 में राम मंदिर पर फैसला आने के बाद 2020 में पहली ईंट रखी गई और अब मंदिर रामलला के दर्शन के लिए भी तैयार है.

नीलेश मिश्र | Updated: Jan 22, 2024, 10:31 AM IST

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नवंबर 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने राम मंदिर के मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया. सुप्रीम कोर्ट ने विवादित जमीन हिंदू पक्ष को देने का आदेश जारी किया. साथ ही, यह भी कहा कि मस्जिद बनाने के लिए अयोध्या में ही कहीं जमीन दी जाए. इसके अलावा, केंद्र सरकार को आदेश दिया गया कि वह एक ट्रस्ट बनाए जो राम मंदिर निर्माण के लिए काम करे.

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राम मंदिर पर फैसला आने से पहले तक राम भगवान टेंट वाले मंदिर में विराजमान थे. फैसला आने के बाद उसी जगह पर मंदिर का निर्माण होना था. ऐसे में एक अस्थायी मंदिर का निर्माण करके मूर्तियों को वहां रख दिया गया और पूरे परिसर को खाली करने और समतलीकरण का काम शुरू किया गया.

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कोरोना का दौर जारी था लेकिन इसी बीच मंदिर का निर्माण कार्य भी शुरू किया जाना था. पीएम मोदी ने अयोध्या जाकर अगस्त 2020 में मंदिर की पहली ईंट रखी जिसके बाद औपचारिक रूप से निर्माण कार्य शुरू किया गया.

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इतने सालों से भले ही राम मंदिर का विवाद चल रहा था लेकिन मंदिर का नक्शा और उसी के हिसाब से पत्थरों को तराशना जारी था. अगस्त में शिलान्यास के बाद अक्टूबर 2020 से पत्थरों को कार्यशाला से उठाकर रामजन्मभूमि परिसर में लाने का काम शुरू कर दिया गया था.

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रामजन्मभूमि परिसर में जिस जगह पर मंदिर बनाया जाना था वहां के नीचे की जमीन रेतीली थी इसलिए वहां पिलर का निर्माण संभव नहीं था. ऐसे में एक बहुत बड़ा चबूतरा बनाया जाना था. इस चबूतरे के लिए कई फीट गहरी खुदाई की गई और वहां की मिट्टी निकाल ली गई.

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गहरी खुदाई के बाद इस नींव को स्पेशल कॉन्क्रीट से भरा गया जिससे यह पूरे मंदिर के भार को थामने और मंदिर को टिका रहने लायक बन सके. इसके लिए कई लाख घन फीट कॉन्क्रीट का इस्तेमाल करके एक विशाल चबूतरा बनाया गया जिसे मंदिर की नींव भी कहा जाता है.

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नींव की भराई के बाद मार्च 2022 में ग्रेनाइट के बड़े-बड़े पत्थरों को रखकर मंदिर के बेस का निर्माण किया गया. इस बेस की ऊंचाई लगभग एक मंजिला इमारत के बराबर है और इसी वजह से मंदिर में पहुंचने के लिए सीढ़ियां चढ़कर जाना होगा.

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ग्रेनाइट के पत्थरों के बाद सितंबर 2022 में तराशे गए पिलर्स खड़े किए जाने लगे. ये पिलर्स राजस्थान के बंशी पहाड़पुर से लाए गए लाल बलुआ पत्थरों से बनाए गए हैं. पूरा मंदिर इन्हीं पत्थरों से बनाया जा रहा है.

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दिसंबर 2022 आते-आते इन पिलर्स ने अपना आकार दिखाना शुरू कर दिया. जैसे-जैसे पिलर्स लगाए जा रहे थे मंदिर का आकार साफ समझ आने लगा था और राम मंदिर अपना रूप आने लगे.

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मई 2023 तक राम मंदिर के पहले तल के सभी पिलर्स रखे जा चुके थे जिससे ड्रोन या क्रेन से ली गई तस्वीरों में राम मंदिर का पूरा आकार दिखने लगा था.

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मई से सितंबर 2023 के बीच में मंदिर के पहले तल की छत पर भी ढाल दी गई और तुरंत ही दूसरे तल के पिलर्स भी रख दिए गए. ऐसे में सितंबर 2023 की तस्वीरों में मंदिर निर्माण की रफ्तार दिखने लगी और राम भक्तों का सपना भी साकार होने लगा था.

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अक्टूबर 2023 तक मंदिर के पहले तल का काम काफी हद तक पूरा हो चुका था और इसी के आसपास दिवाली भी गई थी. दिवाली के मौके पर राम मंदिर को खूब जमकर सजाया गया था.

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जनवरी की शुरुआत होते ही मंदिर निर्माण के काम को अंतिम रूप दिया जाने लगा और भव्य स्वरूप जनता के सामने आ गया. अब प्राण प्रतिष्ठा के बाद भी निर्माण कार्य जारी रहेगा लेकिन रामलला के दर्शन नहीं रुकेंगे.