Russia Ukraine War: रूस, चीन और पाकिस्तान एक साथ, क्या बढ़ेंगी भारत की मुश्किलें?
चीन और पाकिस्तान खुलकर रूस के समर्थन में आ गए हैं. भारत ने अभी तक गुटनिरपेक्षता को बनाए रखा है.
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और इमरान खान के बीच मॉस्को में पुतिन के आधिकारिक आवास क्रेमलिन में मुलाकात हुई. इमरान खान ने जम्मू-कश्मीर मुद्दे को लेकर शुक्रवार को पुतिन से बातचीत की. दोनों के बीच हुई मुलाकात में भारत के लिए एक अहम संदेश भी छिपा हुआ है. इमरान खान अपनी नजदीकी लगातार रूस से बढ़ा रहे हैं.
इमरान खान ने पुतिन के सामने जम्मू-कश्मीर को 'इंडियन ऑक्युपाइड जम्मू-कश्मीर' कहा है. इमरान खान ने आरोप लगाया है कि कश्मीर में मानवाधिकारों का हनन हो रहा है. इमरान खान ने कहा है कि जम्मू-कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए व्लादिमीर पुतिन को अपने प्रभाव का इस्तेमाल करना चाहिए. दिलचस्प बात यह रही है कि इमरान खान से पुतिन ने इस विषय पर कुछ नहीं कहा है.
शी जिनपिंग ने राष्ट्रपति पुतिन ये यूक्रेन संकट पर बातचीत की है. चीन का कहना है कि यूक्रेन और रूस के बीच विवाद बातचीत के जरिए हल हो. शी जिनपिंग ने फोन पर हुई बातचीत के दौरान पुतिन से कहा था कि सभी देशों की संप्रभुता का चीन सम्मान करता है और क्षेत्रीय अखंडता के पालन करने पर वह संयुक्त राष्ट्र चार्टर के उद्देश्यों और सिद्धांतों का पालन करता है. चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने कहा था कि चीनी पक्ष रूस की सुरक्षा संबंधी चिंताओं को समझता है. उनके यह बयान का अर्थ निकाला जाने लगा कि यूक्रेन पर सैन्य कार्रवाई के भी पक्ष में चीन है. कूटनीतिक स्तर पर दोनों देशों के बीच अच्छे संबंध हैं. चीन को यूक्रेन हमले के समर्थन में खड़ा भी माना जा रहा है.
भारत रूस का एक बड़ा रक्षा भागीदार है. रिपोर्ट्स के मुताबिक भारत में 80 फीसदी से ज्यादा हथियार रूसी मूल के हैं. 55 फीसदी से ज्यादा रक्षा सौदा रूस के साथ भारत करता है. रूस भारत का पुराना मित्र भी रहा है. साल 1971 में जब भारत को डराने के लिए अमेरिका ने अपना नौसैनिक बेड़ा भेजा था तब रूस भारत की रक्षा के लिए खड़ा हो गया था. भारत और रूस की मित्रता तबसे ही गहराती चली गई है. पाकिस्तान और चीन भले ही खुद को रूस का कितना भी करीबी क्यों न दिखाएं भारत जैसे प्रभावशाली देश से रूस कभी अपनी मित्रता नहीं तोड़ेगा.
वैश्विक संबंध कई बार व्यापारिक संबंधों पर भारी पड़ते हैं. रूस, भारत का जितना पुराना मित्र है, उतना ही पुराना डिफेंस पार्टनर भी. तमाम एयरक्राफ्ट से लेकर हथियार तक भारत रूस से खरीदता है. रक्षा क्षेत्र में रूस अहम भागीदार है. आर्थिक मोर्चे पर हमेशा फेल पाकिस्तान सरकार अगर चाहे भी तो भारत की तरह बड़े पैमाने पर हथियार नहीं खरीद सकती. चीन और रूस के बीच डिफेंस डील भी इतनी प्रभावी नहीं है कि वह भारत जितना फायदा रूस को दे सके. व्यापारिक तौर पर रूस कभी नहीं चाहेगा कि उसे बड़ा घाटा लगे. ऐसे में रूस की भी मजबूरी है कि किसी के बहकावे में न आकर भारत के साथ बने रहना. रूस पाकिस्तान और चीन के साथ भारत के सीमा विवाद पर हमेशा चुप्पी साधे रहेगा.