रूस से बिहार क्यों आए हजारों की संख्या में ये पक्षी, देखें PHOTOS

रूस के साइबेरिया से हर साल हजारों साइबेरियन पक्षी भारत आते हैं, जिनमें से बिहार एक प्रमुख ठिकाना है. बिहार में मौजूद इनके ठीकानों की बात करें तो इनमें काबर झील, कुशेश्वर स्थान, गोगाबिल पक्षी अभयारण्य, नागी-नक्की डैम और जगतपुर झील शामिल हैं. ये साइबेरियन पक्षी यहां पर अक्टूबर से मार्च तक रहते हैं.

आदित्य प्रकाश | Updated: Nov 13, 2024, 08:22 AM IST

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इनमें से कुछ प्रवासी पक्षी खास तौर पर मशहूर हैं. इनमें साइबेरियन सारस और ब्राह्मणी बतख शामिल है. साइबेरियन सारस को स्नो क्रेन भी कहा जाता है, जो दिन भर भोजन करते हैं और सर्दियों में अपने शीतकालीन बसेरों के करीब इकट्ठा होते हैं.
 

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हालांकि साइबेरियाई क्रेन की सुरक्षा और प्रबंधन को लेकर पिछले कुछ सालों से खूब काम हुआ था. बावजूद इनकी संख्या कम हो रही है, जिसका मुख्य कारण शिकार माना जाता है. सभी रेंज देशों में शिकार पर प्रतिबंध लगाने वाले कानून हैं, फिर भी इनका अवैध शिकार जारी है. 
 

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इन पक्षियों का सफर और लाइफस्टाइल हकीकत में दिलचस्प है. किस तरह से ये हजारों किलोमिटर का सफर करके हर साल अपने लक्ष्य पर पहुंचती है, और फिर समय के साथ अपने मूल निवास की 
ओर वापसी का रुख करती है.

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साइबेरियन क्रेन को साइबेरियन श्वेत क्रेन या स्नो क्रेन भी कहा जाता है. इस पक्षी का वास्ता पक्षियों के ग्रुइडे परिवार से है.