Uttarkashi का रैथल गांव, सदियों पुरानी विरासत सहेजे हुए ये लकड़ी और पत्थर से बने मकान

उत्तरकाशी का रैथल गांव नजारों के लिए ही नहीं बल्कि प्रकृति संरक्षण और हैरिटेज के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है. यहां की खूबसूरती भी देखने लायक है.

उत्तरकाशी में बसा छोटा सा गांव रैथल पर्यटकों के बीच खासा मशहूर है. यह जगह सिर्फ अपनी लोकेशन और खूबसूरती के लिए नहीं बल्कि हैरिटेज और स्थानीय लोगों की जीवन पद्धति के लिए भी दुनिया भर में मशहूर है. इस गांव में दूर-दराज से लोग यहां पहुंचते हैं. इस गांव के लोगों की जीवन पद्धति भी ऐसी है कि उन्होंने 3 बार भूकंप की विभीषिका भी झेल ली है.

घमेरू राणा का 500 साल पुराना घर

घमेरू राणा का यह पुराना मकान सिर्फ  पत्थर और लकड़ी से बना है और आज भी रहने लायक है. लकड़ी और पत्थर से बने इस मकान ने 3 बार भूकंप के भारी झटकों को भी झेल लिया है. 

जानवरों के रहने के लिए भी घर में जगह

लकड़ी और पत्थर के बने इस घर में जानवरों को रखने के लिए भी अलग से जगह है. उत्तराखंड के मौसम और प्राकृतिक चुनौतियों को देखते हुए इस तरह के घर गांव भर में बनाए गए हैं.

गांव में ऐसे कई और पुराने घर हैं

रैथल गांव में ऐसे ही कई और पुराने घर हैं. काफी पुराने इन लकड़ी और पत्थर से बने घरों को ठंड और भारी बारिश को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है. इनकी बनावट इस तरह की है कि भारी बारिश में भी घर से पानी न टपके और ठंड में लोगों को गर्माहट का असर महसूस हो.

हैरिटेज संभालने के लिए मशहूर

इस गांव के लोगों की हैरिटेज संभालने की इस परंपरा की पहचान अब राज्य के बाहर भी हो चुकी है. दूर-दराज के हिस्सों से लोग इस गांव को देखने के लिए आते हैं. लकड़ी और पत्थर के बने ये मकान पर्यटकों के लिए खास आकर्षण है.