World Happiness Day 2022: महामारी के बीच बढ़ी भारतीयों की खुशियां, जानें क्या है वजह  

खुशी या हैप्पीनेस को लेकर कई राय हो सकती हैं. अगर हम महिलाओं की बात करे तो उनके लिए फ्रीडम ऑफ चॉइस हैप्पीनेस हो सकती है. अनुष्का गर्ग की रिपोर्ट.

आज 20 मार्च यानी इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे है. हर साल आज ही के दिन इंटरनेशनल हैप्पीनेस डे यानी अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस मनाया जाता है. और हर साल की तरह इस साल भी आज के दिन की एक अलग थीम है. इस साल की थीम है शांत रहें, सतर्क रहें और दयालु बनें (Keep Calm, Stay Wise and Be Kind).' अंतरराष्ट्रीय खुशी दिवस को मनाने के पीछे यह उद्देश्य है कि इस दिन को सेलिब्रेट करके आप जीवन में खुशहाली लाने के नये मौके तलाश सकें. 

फिनलैंड सबसे ऊपर, पाकिस्तान सबसे नीचे 

अभी हाल ही में World Happiness Report 2022 जारी की गई थी. इस रिपोर्ट में विभिन्न पैमानों के आधार पर देशों को रैंकिंग दी गई है. वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट के 10वें एडिशन के अनुसार, इस साल के इंडेक्स में कुल 146 देशों को स्थान दिया गया था. यह रिपोर्ट 18 मार्च को जारी हुई थी. इसमें खुशी के अहसास, जीडीपी का लेवल, जीवन को लेकर सकारात्मकता, लाइफस्टाइल के लिए आजादी, उदारता और भ्रष्टाचार की धारणा जैसे पैमाने पर रैंक दी जाती है. इस बार की रैंकिंग में फ़िनलैंड ने पहला स्थान हासिल किया है. फिनलैंड ने लगातार पांचवी बार इस रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया है. इस साल इंडेक्स में सबसे नीचे अफगानिस्तान रहा है.

भारत की रैंकिंग में हुआ है सुधार  

वर्ल्ड हैप्पीनेस इंडेक्स में भारत ने अपनी रैंकिंग में सुधार करते हुए 136वां स्थान पाया है।पिछले साल इस लिस्ट में भारत 139वें नंबर पर था।इस बार भारत के हैप्पीनेस इंडेक्स में तीन पायदान का सुधार हुआ है.
 

कोरोना से पहले और बाद के हालातों की समीक्षा

रिपोर्ट तैयार करनेवालों ने कोरोना के पहले और बाद के समय का इस्तेमाल किया है. इस दौरान यह भी देखा गया कि लोंगों की भावनाएं सरकारों के लिए कितना महत्व रखती हैं. लोगों की भावनाओं की तुलना करने के लिए सोशल मीडिया डेटा भी लिया गया था.
 

भारतीयता की वजह से हुआ रैंकिंग में सुधार 

अगर एक्सपर्ट्स की माने तो इतने संकट के समय जहां एक तरफ लोग महामारी से जूझ रहे थे, तब भी भारत के हैप्पीनेस इंडेक्स में सुधार है. इसकी वजह है कि यहां के लोग मिल-जुलकर रहने में विश्वास रखते हैं. दूसरी ओर कई ऐसे देश हैं जिनके मेंटल हेल्थ का डेटा निकाला जाए तो हम ये पाएंगे की हर 100 में 80 लोग एंजाइटी और तनाव के शिकार होते ही हैं. एक्सपर्ट्स का यह भी कहना है कि अगर हमें अपने हैप्पीनेस इंडेक्स को और सुधारना है तो मिल-जुलकर काम करने में ही यकीन रखना होगा. भारत ऐसे भी वसुधैव कुटुंबकम में विश्वास रखता है. इसके साथ ही दूसरी चीज ये है की हमे जलन और नफरत जैसे भावों से पीछा छुड़ाना पड़ेगा.