यासीन मलिक का रुख अलगाववादी रहा है. साल 2013 में हाफिज सईद के साथ भूख हड़ताल करने के चलते यासीन का जमकर विरोध हुआ. दरअसल, उस समय अफजल गुरु को फांसी दिए जाने के विरोध में यासीन मलिक में पाकिस्तान में इस्लामाबाद प्रेस क्लब के सामने 24 घंटे की हड़ताल की थी. इस पर यासीन मलिक ने कहा था कि वह निजी कारणों से पाकिस्तान गया था, उसे किसी ने बुलाया नहीं था. इसके अलावा, यासीन मलिक पर पाकिस्तान से फंडिंग और हथियार लेने का भी आरोप है.
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साल 1990 में श्रीनगर के रावलपोर में कुछ आतंकियों ने एयरफोर्स के जवानों पर हमला कर दिया था. स घटना में एयरफोर्स के चार जवान शहीद हुए थे. यासीन मलिक पर आरोप लगा कि वह इन जवानों पर हुए हमले में शामिल था और उसी की साजिश के तहत जवानों को मार डाला गया. एक इंटरव्यू में खुद यासीन मलिक ने भी इन बातों को स्वीकार किया था.
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चर्चित रुबैया सईद किडनैपिंग केस में भी यासीन मलिक का हाथ बताया जाता है. साल 1989 में तत्कालीन केंद्रीय गृहमंत्री मुफ्ती मोहम्मद सईद कश्मीर से आने वाले नेता थे. उनकी बेटी रुबैया सईद को कुछ आतंकियों को किडनैप कर लिया था. बदले में भारत की जेलों में बंद कई आतंकियों को छुड़ा लिया गया. यासीन पर आरोप है कि वह भी इस केस में शामिल था.
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UAPA की धारा 16 (आतंकी गतिविधि), धारा 17 (टेरर फंडिंग), धारा 18 (आतंकी साजिश रचने) और धारा 20 (आतंकी संगठन का सदस्यन होने) के साथ-साथ आईपीसी की धारा 120-बी (आपराधिक साजिश) और देशद्रोह की धारा 124-ए का मुकदमा चल रहा है. अब यासीन मलिक ने कहा है कि वह इन मुकदमों को चुनौती नहीं देना चाहता है.
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यासीन मलिक ने जम्मू-कश्मीर की स्वतंत्रता के नाम पर कई लोगों से पैसे लिए. बाकायदा नेटवर्क स्थापित करके कई आतंकी संगठनों और संगठित अपराधियों से अलग-अलग माध्यमों से पैसा मंगाने का भी आरोप है. यासीन मलिक के खिलाफ यह भी आरोप है कि वह इन पैसों का इस्तेमाल हथियार खरीदने और कश्मीर में आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए करता था.