YearEnder 2022: साल 2022 की खास राजनीतिक घटनाएं, शिंदे ने किया खेल, चाचा शिवपाल का भतीजे से हुआ मेल

2022 में कांग्रेस को गैर गांधी अध्यक्ष मिला. बीजेपी ने यूपी, गुजरात और उत्तराखंड में सरकार बनाई. केजरीवाल की AAP ने कई राज्यों में पैर पसारे.

नीलेश मिश्र | Updated: Dec 20, 2022, 06:38 PM IST

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पंजाब विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की आपसी कलह का फायदा आम आदमी पार्टी ने उठाया. 117 में से 92 सीटें जीतकर AAP ने ऐसा तूफान चलाया कि मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी समेत तमाम मंत्री अपनी सीटों पर चुनाव हार गए. AAP के लिए यह कामयाबी बहुत बड़ी थी क्योंकि दिल्ली की पार्टी कहे जाने वाले इस दल ने दिल्ली के बाहर किसी राज्य में पहली बार चुनाव जीता था. चुनाव में जीत के बाद AAP ने मशहूर कॉमेडियन और लोकसभा सांसद रहे भगवंत मान को अपना मुख्यमंत्री बनाया.

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उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनाव को लोकसभा चुनाव 2024 का सेमीफाइनल माना जा रहा था. अखिलेश यादव की अगुवाई में ओम प्रकाश राजभर की एसबीएसपी, जयंत चौधरी की आरएलडी और कई अन्य छोटे दलों ने बीजेपी के खिलाफ गठबंधन बनाया. चुनावी जंग काफी रोचक रही. हालांकि, आखिर में योगी-मोदी की जोड़ी के आगे गठबंधन का दांव फेल हो गया और बीजेपी ने एक बार फिर से अपनी सरकार बना ली. इन चुनावों में सिर्फ़ बीजेपी को 255 सीटें मिलीं. वहीं, समाजवादी पार्टी को 111 सीटों पर ही रह गई.

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शिवसेना ने जब से कांग्रेस और एनसीपी के साथ सरकार बनाई थी तब से ही बीजेपी मौके की तलाश में थी. इस बार देवेंद्र फडणवीस को एकनाथ शिंदे के रूप में मजबूत मोहरा मिल गया. एमएलसी चुनाव के तुरंत बाद एकनाथ शिंदे कुछ विधायकों को लेकर बागी हो गए. बाद में ये विधायक गुवाहाटी पहुंचे और विधायकों की संख्या बढ़कर 40 हो गई. आखिर में मजबूर होकर उद्धव ठाकरे को इस्तीफा देना पड़ा. सदन में सबसे बड़ी पार्टी होने के बावजूद बीजेपी ने एकनाथ शिंदे को सीएम बना दिया और देवेंद्र फडणवीस डिप्टी सीएम बने. बाद में एकनाथ शिंदे की बगावत के चलते शिवसेना भी दोफाड़ हो गई और पार्टी के दो नाम और दो निशान हो गए.

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बीजेपी ने अपनी रणनीति में काफी बदलाव किया. साल 2022 में उसने उत्तराखंड, त्रिपुरा और कर्नाटक में अपने मुख्यमंत्रियों को बदल दिया. इससे पहले, गुजरात में भी बीजेपी ने विजय रुपाणी को हटाकर भूपेंद्र पटेल को सीएम बनाया था. गुजरात और उत्तराखंड में उसे इस रणनीति का फायदा भी हुआ और इन दोनों ही राज्यों में उसकी सरकार बरकरार रही.
 

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बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में बीजेपी और जेडीयू गठबंधन ने जीत हासिल की थी और नीतीश कुमार सीएम बने थे. अगस्त 2022 आते-आते एक बार फिर नीतीश कुमार की 'अतंरात्मा' जाग गई और वह फिर से आरजेडी के साथ चले गए. आरजेडी और जेडीयू ने गठबंधन बनाकर सरकार बनाई और तेजस्वी यादव फिर से डिप्टी सीएम बन गए. अब नीतीश कुमार ऐलान कर चुके हैं कि अगला चुनाव तेजस्वी यादव की अगुवाई में लड़ा जाएगा.

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कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष के रूप में राहुल गांधी ने 2019 में ही इस्तीफा दे दिया था. दशकों के बाद कांग्रेस में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव हुआ. मल्लिकार्जुन खड़गे और शशि थरूर के बीच आसान सा मुकाबला था. 24 साल बाद कांग्रेस को गांधी परिवार से बाहर का अध्यक्ष मिला और मल्लिकार्जुन खड़गे पार्टी के अगुवा बने. हालांकि, विपक्षियों का अभी भी आरोप है कि खड़गे सिर्फ मोहरा हैं. फैसले अभी भी गांधी परिवार ही ले रहा है.

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अलग-अलग राज्यों में कांग्रेस नेताओं की आपसी कलह 2022 में भी जारी रही. कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए गांधी परिवार की पहली पसंद अशोक गहलोत थे. प्लान यह था कि अशोक गहलोत कांग्रेस अध्यक्ष बनेंगे और सचिन पायलट को राजस्थान का सीएम बनाया जाए. इसके विरोध में अशोक गहलोत समर्थक मंत्रियों ने इस्तीफा दे दिया. आखिर में अशोक गहलोत अध्यक्ष पद की रेस से हट गए और सचिन पायलट एक बार फिर से सीएम बनते-बनते रह गए. अभी तक मान-मनौव्वल ही चल रही है. कांग्रेस दावा कर रही है कि अब सब ठीक है. हाल ही में राहुल गांधी ने भी दोनों नेताओं के साथ मुलाकात की है.

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यूपी की आजमगढ़ और रामपुर लोकसभा सीटों को समाजवादी पार्टी का गढ़ माना जाता है. 2019 के लोकसभा चुनाव में आजमगढ़ से अखिलेश यादव और रामपुर से आजम खान चुनाव जीते थे. 2022 के विधानसभा चुनाव में अखिलेश यादव विधायक बन गए तो यह सीट फिर से खाली हो गई. इस सीट पर हुए उपचुनाव में भोजपुरी स्टार और बीजेपी के उम्मीदवार दिनेश लाल यादव उर्फ निरहुआ ने समाजवादी पार्टी को हरा दिया. आजम खान भी विधायक बन गए थे तो रामपुर में भी उपचुनाव हुए. इस सीट पर बीजेपी के धनश्याम लोधी ने सपा के आसिम रजा को हराकर आजम खान का किला ढहा दिया.
 

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कांग्रेस के रिवाइवल की कोशिशों में लगे राहुल गांधी ने 7 सितंबर 2022 को भारत जोड़ो यात्रा की शुरुआत की. तमिलनाडु के कन्याकुमारी से शुरू हुई यह यात्रा जम्मू-कश्मीर में श्रीनगर तक जाएगी. अभी तक यह यात्रा राजस्थान तक पहुंची है. इस यात्रा में राहुल गांधी के साथ सिनेमा, साहित्य, खेल, कृषि समेत तमाम क्षेत्रों के लोग जुड़ रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि यह पार्टी की राजनीतिक यात्रा नहीं है बल्कि यह सामाजिक यात्रा है.
 

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सपा के संस्थापक रहे मुलायम सिंह यादव के निधन के बाद मैनपुरी लोकसभा सीट खाली हो गई थी. सपा की पारंपरिक सीट कही जाने वाली सीट को बचाना मुलायम परिवार के लिए बड़ी चुनौती थी. मुश्किल की इस घड़ी में अखिलेश यादव अपने चाचा शिवपाल यादव को साथ ले आए. लंबे समय से चल रही अखिलेश और शिवपाल के बीच की तनातनी खत्म हुई. शिवपाल ने हर मंच से अपनी बहू डिंपल यादव को जिताने की अपील की. चाचा-भतीजे की जोड़ी कामयाब हुई और डिंपल यादव रिकॉर्ड वोटों से जीतीं. नतीजे आते ही अखिलेश यादव चाचा शिवपाल यादव से मिलने पहुंचे. परिवार इस कदर साथ आ गया कि शिवपाल ने अपनी प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) का समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया.