100 years of Delhi University: दिल्ली विश्वविद्यालय ने पूरे किए 100 वर्ष, जानिए इसका कैसा रहा है स्वर्णिम इतिहास

नीलेश मिश्र | Updated:May 01, 2022, 11:44 AM IST

दिल्ली विश्वविद्यालय

देश के प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में से एक Delhi University के 100 साल पूरे हो गए हैं. इस मौके पर विश्वविद्यालय अपना शताब्दी समारोह मना रहा है.

डीएनए हिंदी: दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना के 100 साल पूरे होने के बाद 1 मई से शताब्दी समारोह मनाया जाएगा. डीयू के इस शताब्दी सारोह को खास बनाने के लिए विश्वविद्यालय प्रशासन ने सालाना समारोह की योजना बनाई है. कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने कहा है कि डीयू को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ 200 विश्वविद्यालयों की सूची में शामिल कराने का लक्ष्य रखा गया है. 

शताब्दी समारोह के मौके पर डीयू के कैंपस में 100 जगहों पर 100 पेड़ लगाए जाएंगे. इसके अलावा, नए हॉस्टल बनाए जाएंगे, लाइट ऐंड साउंड शो के जरिए इतिहास बताया जाएगा, पुस्तक मेला, प्रदर्शनी, सम्मेलन और लिटफेस्ट का भी आयोजन किया जाएगा. इसके अलावा उन छात्रों को अपनी डिग्री पूरी करने का मौका दिया जाएगा, जिन्होंने किसी कारणवश कोर्स को बीच में छोड़ दिया था. 

कैसे बना दिल्ली विश्वविद्यालय
दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना अंग्रेजों के शासनकाल में साल 1922 में हुई. उस समय की संसद यानी सेंट्रल लेजिस्लेटिव असेंबली के एक कानून द्वारा इस विश्वविद्यालय की स्थापना हुई. भारत के राष्ट्रपति इसके विजिटर, उप-राष्ट्रपति चांसलर और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस इसके प्रो-चांसलर होते हैं. 

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आजादी की लड़ाई से भी कनेक्शन
बताया जाता है कि जब चंद्रशेखर आजाद ब्रिटिश सरकार से छिप रहे थे तो रामजस कॉलेज के छात्रों ने उन्हें अपने पास छिपा लिया था. आजाद ने सिखों जैसी वेशभूषा बना रखी थी और हॉस्टल में वॉर्डन के संरक्षण में रह रहे थे. भगत सिंह को जब सेंट्रल असेंबली में बम फेंकने के जुर्म में 8 अप्रैल 1929 को सजा सुनाई गई, तब उन्हें वायसरॉय लॉज में बंद रखा गया था. 1857 में सैन्य विद्रोह के दौरान अंग्रेज अधिकारी यहीं आकर छिपे थे.

देश के विभाजन के समय नहीं मनाया गया दीक्षांत समारोह
साल 1947 में जब देश को आजादी मिली तो साथ-साथ बंटवारा भी हुआ. उस साल दिल्ली यूनिवर्सिटी के 25 साल पूरे हुए थे यानी रजत जयंती वर्ष था. इसी साल विजयेंद्र कस्तूरी रंगा वरदराज राव ने डीयू के मुख्य भवन में राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा फहराया. हालांकि, उस साल दीक्षांत समारोह का आयोजन नहीं किया गया. इसके बजाय, अगले साल यानी 1948 में एक खास समारोह आयोजित हुआ. इस कार्यक्रम में देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू, लार्ड माउंटबेटन, अबुल कलाम आजाद, डॉ. जाकिर हुसैन और शांति स्वरूप भटनागर जैसे शख्स शामिल हुए.

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तीन कॉलेज से हुई थी शुरुआत
जब दिल्ली यूनिवर्सिटी की स्थापना हुई तो सिर्फ़ तीन कॉलेज थे और 750 छात्र थे. दरअसल, दिल्ली यूनिवर्सिटी के स्थापना से पहले हिंदू कॉलेज, सेंट स्टीफेंस कॉलेज और रामजस कॉलेज में पढ़ाई हो रही थी. इससे पहले ये कॉलेज पंजाब यूनिवर्सिटी से संबद्ध थे. जब डीयू की स्थापना हुई, तो इन दोनों कॉलेजों को डीयू के अंतर्गत कर दिया गया. अब यह देश के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में शुमार है. दिल्ली यूनिवर्सिटी में 16 फैकल्टी, 80 अकादमिक विभाग, 80 कॉलेज और लगभग साथ लाख छात्र-छात्राएं पढ़ाई करते हैं. 

1973 में बना साउथ कैंपस
धीरे-धीरे डीयू का दायरा बढ़ता गया और साउथ दिल्ली के लोगों की आसानी के लिए 1973 में दिल्ली यूनिवर्सिटी का साउथ कैंपस शुरू किया गया. 1984 में साउथ कैंपस धौला कुआं के पास शिफ्ट हो गया. अब दक्षिणी दिल्ली में दिल्ली यूनिवर्सिटी के कई कॉलेज बन गए हैं, जहां हजारों छात्र-छात्राएं अलग-अलग कोर्स में पढ़ाई कर रहे हैं.

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डीयू ने निकलीं एक से बढ़कर एक शख्सियतें
डीयू ने कला से लेकर राजनीतिक तक और खिलाड़ी से लेकर सिविल सेवा तक, लगभग हर क्षेत्र में एक से बढ़कर एक नगीने देश को दिए हैं. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, शशि थरूर, अमिताभ बच्चन, किरण बेदी, शाहरुख खान, गौतम गंभीर, कपिल देव, शीला दीक्षित, शाहरुख खान, कपिल सिब्बल, सुब्रमण्यन स्वामी, प्रोफेसर सीआर बाबू और खुशवंत सिंह जैसे तमाम लोग दिल्ली विश्वविद्यालय से पढ़कर निकले और अपने-अपने क्षेत्र में नाम रोशन किया.

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