मौज में डूबे रहने वाले Varanasi का आज है जन्मदिन, जान लीजिए इससे जुड़ी कुछ रोचक बातें

Written By डीएनए हिंदी वेब डेस्क | Updated: May 24, 2022, 09:46 AM IST

Varanasi

24th May Varanasi Birthday: दुनिया के सबसे पुराने शहरों में शामिल वाराणसी को ये नाम आज ही के दिन 66 साल पहले मिला था.

डीएनए हिंदी: 'जिसने भी छुआ वो स्वर्ण हुआ, सब कहें मुझे मैं पारस हूं, मेरा जन्म महाश्मशान मगर मैं जिंदा शहर बनारस हूं.' बनारस की बात होती है तो चंद्रशेखर गोस्वामी की लिखी ये लाइनें एक ऐसी परिभाषा के तौर पर सामने आती हैं जो सीधे दिल में उतरती है. कभी काशी कहा गया, कभी बनारस और फिर एक पुख्ता नाम मिला- वाराणसी. आज इस नाम को मिले पूरे 66 साल हो गए हैं. इसी के चलते कह सकते हैं कि आज रंग, संस्कृति और मस्ती में सराबोर रहने वाला यह शहर अपना जन्मदिन मना रहा है. 

मौका इतना खास है और शहर इतना पुराना ऐसे में इसके बारे में जानकारी होना जरूरी है. कुछ ऐसी दिलचस्प बातें वाराणसी के बारे में जो शायद आप नहीं जानते होंगे.

24 मई 1956 को मिला था नाम- वाराणसी
24 मई 1956 से पहले वाराणसी शहर का कोई एक स्थायी नाम नहीं था. कोई बनारस कह देता, कोई काशी. इसके बाद जब नाम पर विचार शुरू हुआ तो वरुणा और असी नदी के किराने बसे इस शहर का नाम वाराणसी रख दिया गया. 24 मई को ही ये नाम आधिकारिक किया गया था. 

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वाराणसी के बारे में कुछ दिलचस्प तथ्य

  • पौराणिक मान्यताएं कहती हैं कि वाराणसी बेहद प्राचीन शहर है. यह भी कहा जाता है कि भोले की यह नगरी उनके त्रिशूल पर ही टिकी हुई है. इसकी स्थापना भी भगवान शिव ने ही की थी और शिव-पार्वती यहां निवास भी करते थे. अगर आप कभी बनारस जाएं तो देखेंगे कि वहां मिलते-जुलते वक्त नमस्ते या प्रणाम नहीं हर-हर महादेव ही कहा जाता है.
  • भगवान बुद्ध और शंकराचार्य के अलावा रामानुज, संत कबीर, गुरु नानक, तुलसीदास औऱ रैदास भी यहां आकर रहे.
  • काशी, बनारस और वाराणसी के बीच इस शहर का नाम और भी कई बार बदला गया.बताया जाता है कि सन् 1194 में शहाबुद्दीन गौरी ने इस शहर को लूटा और इसका नाम बदलकर मुहम्मदाबाद रख दिया. 
  • बताया जाता है कि दुनिया के सबसे प्राचीन ग्रंथ ऋगवेद में भी काशी का जिक्र है. इस हिसाब से देखें तो यह नगरी लगभग 10हजार साल पुरानी है.
     

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