डीएनए हिंदी: 14 फरवरी एक ऐसा दिन जिसे पूरी दुनिया प्रेम को एक उत्सव की तरह मनाती हे लेकिन इसी दिन तीन साल पहले सीआरपीएफ (CRPF) की टुकड़ी पर पाकिस्तान से आने वाले आतंकियों ने हमला कर 40 जवानों की शहादत में ना जाने कितने लोगों के प्रेम उजाड़ दिए थे. आज पुलवामा हमले (Pulwama Attack) की तीसरी बरसी है. आज ही के दिन पूरा देश अपने उन जांबाज जवानों के बलिदान को याद कर रहा है जिन्होंने इस आतंकी हमले मे अपनी जान गंवाई थी
आज भी याद है वो दिन.
भले ही हमले को बीते तीन साल हो चुके है लेकिन पुलवामा आतंकी हमले के तीन साल बाद आज भी देश को वो दिन याद है, जब आत्मघाती हमलावरों ने सुरक्षाबलों को ले जा रही एक बस में आईईडी लदी गाड़ी से टक्कर मारी थी और इस आतंकी हमले में सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे. पाकिस्तान स्थित आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद ने इस नृशंस आतंकवादी हमले की जिम्मेदारी ली थी.
किसने किया था हमला
सीआरपीएफ जवानों के काफिले पर हमला 14 फरवरी, 2019 को जम्मू-कश्मीर के पुलवामा जिले में हुआ था जिसमें 22 वर्षीय एक आत्मघाती हमलावर आदिल अहमद डार ने विस्फोटक से भरे वाहन को बस में घुसा दिया था और हमले में मुख्य भूमिका निभाई थी. सीआरपीएफ के काफिले में 78 बसें थीं जिनमें लगभग 2500 सैनिक जम्मू से श्रीनगर जा रहे थे. ऐसे में इसे भारत पर हुआ एक बड़ा हमला मान गया था.
देश ने लिया था बदला
पुलवामा हमले के चलते पूरे देश में आक्रोश था और पीएम नरेंद्र मोदी के समर्थन के बाद में देश की सशस्त्र सेनाओं ने सीमापार से हुए इस हमले का मुहंतोड़ जवाब दिया लेकिन उन जवानों की शहादत का गम किसी बदले से भी बड़ा है और इसीलिए लोग इस हमले का जिक्र होते ही भावुक हो जाते हैं.
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अमर हो गए जवान
पुलवामा हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के सभी 40 जवानों के नाम वाले स्मारक का उद्घाटन 14 फरवरी 2020 को पुलवामा के लेथपोरा शिविर में सीआरपीएफ के प्रशिक्षण केंद्र में किया गया था. स्मारक को पुलवामा हमले में शहीद सभी 40 सैनिकों के नाम और उनकी तस्वीरों और सीआरपीएफ के आदर्श वाक्य- "सेवा और निष्ठा" (सेवा और वफादारी) के साथ अंकित किया गया है. ये देश के प्रति सुरक्षा बलों के लगाव को दर्शाता है.
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