Aditya L1 का सफर पूरा, अब Lagrange Point से रोजाना करेगा 'सूर्य नमस्कार', पीएम मोदी ने कही ये बात

कुलदीप पंवार | Updated:Jan 06, 2024, 05:21 PM IST

Aditya L-1 Mission Updates: इसरो का सौर मिशन 2 सितंबर की सुबह लॉन्च किय गया था.

ISRO Sun Mission: भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने चांद पर चंद्रयान-3 लैंड कराने के बाद यह एक और अहम उपलब्धि हासिल की है. लैग्रेंज पॉइंट से अब आदित्य L1 सूरज की पल-पल की रिपोर्ट धरती पर देगा.

डीएनए हिंदी: Aditya L1 Sun Mission Latest News- भारत ने चांद के दक्षिण ध्रुव पर चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) उतारने का इतिहास रचने के बाद अंतरिक्ष में एक और बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है. भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) का महत्वाकांक्षी सूर्य मिशन आदित्य एल-1 अपने फाइनल स्टॉप पर पहुंच गया है. आदित्य एल-1 मिशन शाम करीब 4 बजे धरती से 15 लाख किलोमीटर दूर हालो ऑर्बिट में लैग्रेंज पॉइंट (Lagrange Point) पर पहुंच गया, जहां अब यह सूरज के पल-पल की निगरानी करेगा और उसकी खबर धरती पर देगा. इसके साथ ही भारत का नाम उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है, जिनके सूर्य मिशन (India Sun Mission) सूरज की निगरानी के लिए अंतरिक्ष में पहुंचकर सफल रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इसरो के सूर्य मिशन (ISRO Sun Mission) की सफलता के लिए वैज्ञानिकों की तारीफ की है. साथ ही कहा है कि भारत ने एक और लैंडमार्क अंतरिक्ष में कायम कर दिया है. देश मानवता के लाभ के लिए विज्ञान की नई सीमाओं को और आगे तक बढ़ाएगा.

लैग्रेंज पॉइंट की 'पार्किंग' में खड़ा होकर क्या काम करेगा आदित्य L-1?

क्यों आवश्यक है सूरज की निगरानी?

इतना हम सभी जानते हैं कि पृथ्वी पर जीवन सूरज की किरणों की गर्मी के कारण ही पनपा है. सूरज पर होने वाली किसी भी घटना का असर पृथ्वी के वातावरण पर दिखाई देता है. सूर्य में लगातार उठने वाले सौर तूफानों के बारे में जानकारी इकट्ठा करना, मानव जाति के भविष्य के लिए जरूरी है. इसके अलावा सूर्य ही हमारे सौरमंडल का इकलौता ऐसा तारा है, जो हमारे सबसे पास है. अंतरिक्ष के अन्य तारों को समझने के लिए भी इसकी स्टडी करना जरूरी है. 

क्या है लैग्रेंज पॉइंट, क्यों हुआ है उसका चयन

आदित्य L-1 में L-1 का मतलब है 'Lagrange Point 1'. इसी पॉइंट पर आदित्य L-1 का पहुंचना इसरो के सौर मिशन का पहला हिस्सा था. दरअसल पृथ्वी से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर ये वो जगह है, जहां, जहां सूर्य और पृथ्वी की गुरुत्वाकर्षण शक्ति लगभग बराबर हो जाती है. यहां से सूर्य की स्टडी करना आसान है. इसे L-1 Point भी कहते हैं. यह सूर्य और धरती के बीच 5 संतुलन बिंदुओं में से एक है. यह सूरज और पृथ्वी के बीच की कुल दूरी के महज 1 फीसदी दूरी पर मौजूद है और यहां सूरज की गर्मी का प्रकोप इतना ज्यादा नहीं है कि यान को नुकसान पहुंच सके. इससे आदित्य L-1 लंबे समय तक एक्टिव रहकर सूरज की गतिविधियों पर नजर रख पाएगा. यह पॉइंट हेलो ऑर्बिट में मौजूद है, जहां से सूरज लगातार दिखाई देता है यानी धरती पर दिन हो या रात, लेकिन आदित्य एल-1 के लिए हमेशा दिन ही रहेगा. इससे सूरज की गतिविधियों और अंतरिक्ष के माहौल पर इसके प्रभाव की रियल टाइम इंफॉर्मेशन धरती पर मिल पाएगी.

कब सूर्य की ओर रवाना हुआ था आदित्य एल-1?

इसरो के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान PSLV-C57 ने दो सितंबर को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र के दूसरे प्रक्षेपण केंद्र से आदित्य-एल1 को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किया था. अंतरिक्ष यान कई चरणों से होकर गुजरा और पृथ्वी के प्रभाव क्षेत्र से बचकर, सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज प्वाइंट 1 की ओर बढ़ गया. 

आदित्य L1 का क्या होगा काम?

आदित्य L1 को सूर्य परिमंडल के दूरस्थ अवलोकन और पृथ्वी से लगभग 15 लाख किलोमीटर दूर एल1 सन-अर्थ लैग्रेंजियन प्वाइंट पर सौर तूफानों की स्थिति जानने के लिए डिजाइन किया गया है. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य सौर वातावरण में गतिशीलता, सूर्य के परिमंडल की गर्मी, सूर्य की सतह पर सौर भूकंप या कोरोनल मास इजेक्शन, सूर्य के धधकने संबंधी गतिविधियों और उनकी विशेषताओं पर नजर रखना है. आदित्य एल-1 पृथ्वी के करीब अंतरिक्ष में मौसम संबंधी समस्याओं को समझाने में मदद करेगा.  

हम लैग्रेंज पॉइंट से आगे क्यों नहीं भेज रहे सैटेलाइट?

सूर्य के बाहरी हिस्से से लेकर उसके केंद्र तक का तापमान 5 हजार 500 डिग्री सेल्सियस से लेकर डेढ़ करोड़ डिग्री सेल्सियस तक होता है. जो भी सैटेलाइट या यान सूर्य के जितना करीब जाएगा. उसे उतना ही ज्यादा भीषण गर्मी का सामना करना पड़ेगा. इतनी गर्मी झेलने लायक कोई धातु अब तक वैज्ञानिक तैयार नहीं कर सके हैं. इसका मतलब है कि आगे मिशन भेजने पर उसकी लाइफ उतनी ही कम हो जाती और शायद लंबे समय तक सूर्य का अध्ययन करना संभव नहीं हो पाता. इसके उलट लैग्रेंज पॉइंट पर सूरज की गर्मी इतनी ज्यादा नहीं है कि उससे यान को नुकसान पहुंचे. गुरुत्वाकर्षण प्रभाव के अलावा इस पॉइंट का चयन करने के पीछे ये भी एक कारण है. 

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